जयपुर. पर्यटक गाइड अभ्यर्थी पिछले 10 सालों से गाइड परीक्षा पत्र के लिए पर्यटन विभाग के चक्कर लगा रहे हैं. शैक्षणिक योग्यता रखने वाले अनुभवी पर्यटक गाइडों को प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल न करके बेरोजगारी की ओर धकेला जा रहा है. बता दें कि अनुभवी गाइड अभ्यर्थी बेरोजगारी से तंग आकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर आत्महत्या करने की सूचना भी पहले दे चुके हैं.
साल 2007 में स्थानीय स्तर गाइड प्रशिक्षण हेतु विज्ञप्ति निकाली गई थी. विज्ञप्ति शर्त के अनुसार अभ्यार्थी सीनियर सेकेंडरी यानी 12वीं पास या समक्ष परीक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए. वहीं, जिन्हें गाइडिंग कार्य करने का 5 साल का अनुभव है, उन्हें शैक्षणिक योग्यता में छूट दी गई थी. गाइड प्रशिक्षण कार्यक्रम में चयन शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, विदेशी भाषा का ज्ञान और पर्यटन में डिप्लोमा के आधार पर किया जाना था.
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पर्यटन विभाग ने अनुभवी अभ्यार्थियों को बिना सूचना दिए ही गाइड प्रशिक्षण कार्यक्रम विज्ञप्ति को रद्द कर दिया. इस प्रकार से पर्यटन विभाग ने साल 2010 में पर्यटन एक्ट लागू कर दिया और इस एक्ट में विज्ञप्ति के आधार पर चयन प्रक्रिया कर ली गई. पर्यटन विभाग की ओर से मनमानी के चलते अनुभवी अभ्यर्थी और गाइड बेरोजगार हो गए हैं. इस कोरोना महामारी में भूख और गरीबी का सामना करना पड़ा.
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गाइडों का कहना है कि हमारे सामने आत्मदाह करने के सिवा कुछ नहीं बचा है. गाइड राजकुमार ने बताया कि यदि मुख्यमंत्री भी हमारी पीड़ा को नहीं सुनेंगे या पर्यटन गाइड परिचय पत्र दिलाने का न्याय नहीं करेंगे तो हम पीड़ित अनुभवी पर्यटन कार्यालय के सामने आत्मदाह करेंगे. गाइडों ने मुख्यमंत्री से मांग हैं कि हमारा परिचय पत्र बनाने के निर्देश जारी करें.