जयपुर. जिले के कोई सरकारी कर्मचारी अगर आरएसएस या जमाते इस्लामी जैसे संगठन का सदस्य है या उससे जुड़ी गतिविधियों में लिप्त पाए जाते है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी. सरकार ने विधानसभा में विधायक संयम लोढ़ा के सवाल के जवाब में 18 मार्च 1981 को जारी परिपत्र का हवाला देते हुए इसे और भी स्पष्ट किया है. सरकार के कार्मिक विभाग की ओर से जारी इस स्पष्टीकरण से प्रदेश में फिर से सियासी उबाल आ सकता है.
दरअसल, 15 वीं विधानसभा के दूसरे अधिवेशन में विधायक संयम लोढ़ा ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस से जुड़े होने संबंधी सवाल पूछा था. साथ ही विधायक संयम लोढ़ा ने कहा था कि क्या सरकारी कर्मचारी RSS की सदस्यता ले सकता है. इस बारे में बीसवीं सदी का क्या नियम है और 21 वीं सदी में इसमें क्या बदलाव किया गया है. विधायक लोढ़ा ने कहा कि किस तरह के संगठन में शामिल हो सकते है और इसके क्या मापदंड है.
वहीं इस पर सदन में सवाल का जवाब देते हुए डीओपी ने कहा था कि RSS की सदस्यता के संबन्ध में 20वीं सदी के नियम से संबंधित 18-03-1981 का परिपत्र इस समय भी लागू है और राजस्थान कार्मिक आचरण नियम 1971 के नियम 7 और 8 में उल्लेखित संगठन या गतिविधियों में शामिल नहीं होने के लिए प्रतिबंधित किया गया है.
क्या है 18 मार्च 1981 का परिपत्र
बता दें कि 18 मार्च 1981 को तत्कालीन सीएस के जारी किए गए आदेश के तहत, सरकारी कर्मी किसी राज, दल या संगठन में सदस्य नहीं बन सकते और न ही वह उसमें सहायक के रूप में शामिल हो सकते हैं.
वहीं परिपत्र में कहा गया कि किसी संगठन से संबद्घता के संदर्भ में HOD इस निर्देश को बताएं कि किसी गतिविधि में भाग लेना है या नहीं.
वहीं किसी भी सरकारी कर्मचारी के ऐसे किसी संगठन से संबंध रखने पर या गतिविधि में संलिप्त होने पर राजकीय कार्मिक और राजस्थान सेवा आचरण नियम 1971 के नियम 7 और 8 का उल्लंघन करना और इसे अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में माना जायेगा.