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सरकारी कर्मचारी को रहना होगा सतर्क...RSS से जुड़ी गतिविधि में लिप्त होने पर होगी कार्रवाई

जिले में किसी भी सरकारी कर्मचारी का आरएसएस या जमाते इसलामी जैसे किसी भी संगठन से जुड़ी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर उस कर्मचारी को राजकीय कार्मिक और राजस्थान सेवा आचरण नियम 1971 के नियम 7 और 8 का उल्लंघन करना माना जाएगा.

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Published : Sep 6, 2019, 6:44 PM IST

जयपुर, सरकारी कर्मचारी, अनुशासनात्मक कार्रवाई, RSS related activities

जयपुर. जिले के कोई सरकारी कर्मचारी अगर आरएसएस या जमाते इस्लामी जैसे संगठन का सदस्य है या उससे जुड़ी गतिविधियों में लिप्त पाए जाते है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी. सरकार ने विधानसभा में विधायक संयम लोढ़ा के सवाल के जवाब में 18 मार्च 1981 को जारी परिपत्र का हवाला देते हुए इसे और भी स्पष्ट किया है. सरकार के कार्मिक विभाग की ओर से जारी इस स्पष्टीकरण से प्रदेश में फिर से सियासी उबाल आ सकता है.

सरकारी कर्मचारी को RSS से जुड़ी गतिविधियों में सुचारु रहने से होना होगा सतर्क

दरअसल, 15 वीं विधानसभा के दूसरे अधिवेशन में विधायक संयम लोढ़ा ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस से जुड़े होने संबंधी सवाल पूछा था. साथ ही विधायक संयम लोढ़ा ने कहा था कि क्या सरकारी कर्मचारी RSS की सदस्यता ले सकता है. इस बारे में बीसवीं सदी का क्या नियम है और 21 वीं सदी में इसमें क्या बदलाव किया गया है. विधायक लोढ़ा ने कहा कि किस तरह के संगठन में शामिल हो सकते है और इसके क्या मापदंड है.

पढ़ें: कश्मीरी युवक से मारपीट का मामला : गहन पूछताछ के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने किया घटनास्थल का मौका मुआयना

वहीं इस पर सदन में सवाल का जवाब देते हुए डीओपी ने कहा था कि RSS की सदस्यता के संबन्ध में 20वीं सदी के नियम से संबंधित 18-03-1981 का परिपत्र इस समय भी लागू है और राजस्थान कार्मिक आचरण नियम 1971 के नियम 7 और 8 में उल्लेखित संगठन या गतिविधियों में शामिल नहीं होने के लिए प्रतिबंधित किया गया है.

क्या है 18 मार्च 1981 का परिपत्र

बता दें कि 18 मार्च 1981 को तत्कालीन सीएस के जारी किए गए आदेश के तहत, सरकारी कर्मी किसी राज, दल या संगठन में सदस्य नहीं बन सकते और न ही वह उसमें सहायक के रूप में शामिल हो सकते हैं.
वहीं परिपत्र में कहा गया कि किसी संगठन से संबद्घता के संदर्भ में HOD इस निर्देश को बताएं कि किसी गतिविधि में भाग लेना है या नहीं.

वहीं किसी भी सरकारी कर्मचारी के ऐसे किसी संगठन से संबंध रखने पर या गतिविधि में संलिप्त होने पर राजकीय कार्मिक और राजस्थान सेवा आचरण नियम 1971 के नियम 7 और 8 का उल्लंघन करना और इसे अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में माना जायेगा.

जयपुर. जिले के कोई सरकारी कर्मचारी अगर आरएसएस या जमाते इस्लामी जैसे संगठन का सदस्य है या उससे जुड़ी गतिविधियों में लिप्त पाए जाते है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी. सरकार ने विधानसभा में विधायक संयम लोढ़ा के सवाल के जवाब में 18 मार्च 1981 को जारी परिपत्र का हवाला देते हुए इसे और भी स्पष्ट किया है. सरकार के कार्मिक विभाग की ओर से जारी इस स्पष्टीकरण से प्रदेश में फिर से सियासी उबाल आ सकता है.

सरकारी कर्मचारी को RSS से जुड़ी गतिविधियों में सुचारु रहने से होना होगा सतर्क

दरअसल, 15 वीं विधानसभा के दूसरे अधिवेशन में विधायक संयम लोढ़ा ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस से जुड़े होने संबंधी सवाल पूछा था. साथ ही विधायक संयम लोढ़ा ने कहा था कि क्या सरकारी कर्मचारी RSS की सदस्यता ले सकता है. इस बारे में बीसवीं सदी का क्या नियम है और 21 वीं सदी में इसमें क्या बदलाव किया गया है. विधायक लोढ़ा ने कहा कि किस तरह के संगठन में शामिल हो सकते है और इसके क्या मापदंड है.

पढ़ें: कश्मीरी युवक से मारपीट का मामला : गहन पूछताछ के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने किया घटनास्थल का मौका मुआयना

वहीं इस पर सदन में सवाल का जवाब देते हुए डीओपी ने कहा था कि RSS की सदस्यता के संबन्ध में 20वीं सदी के नियम से संबंधित 18-03-1981 का परिपत्र इस समय भी लागू है और राजस्थान कार्मिक आचरण नियम 1971 के नियम 7 और 8 में उल्लेखित संगठन या गतिविधियों में शामिल नहीं होने के लिए प्रतिबंधित किया गया है.

क्या है 18 मार्च 1981 का परिपत्र

बता दें कि 18 मार्च 1981 को तत्कालीन सीएस के जारी किए गए आदेश के तहत, सरकारी कर्मी किसी राज, दल या संगठन में सदस्य नहीं बन सकते और न ही वह उसमें सहायक के रूप में शामिल हो सकते हैं.
वहीं परिपत्र में कहा गया कि किसी संगठन से संबद्घता के संदर्भ में HOD इस निर्देश को बताएं कि किसी गतिविधि में भाग लेना है या नहीं.

वहीं किसी भी सरकारी कर्मचारी के ऐसे किसी संगठन से संबंध रखने पर या गतिविधि में संलिप्त होने पर राजकीय कार्मिक और राजस्थान सेवा आचरण नियम 1971 के नियम 7 और 8 का उल्लंघन करना और इसे अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में माना जायेगा.

Intro:सरकारी कर्मी RSS से जुड़ी गतिविधि में है तो होगी कार्रवाई , सरकार ने विधानसभा में पूछे सवाल के जवाब में किया साफ ,18 मार्च 1981 का इस संबंधी आदेश है अभी भी मान्य ,18 मार्च 1981 को तत्कालीन सीएस ने जारी किया था आदेश
कि सरकारी कर्मी किसी राज.दल या संगठन में सदस्य नहीं बन सकता ,न ही वह उसमें सहायक के रूप में शामिल हो सकता है ,आदेश में RSS,जमाते इस्लामी को बताया है ऐसा ही संगठन
कहा है कि HOD बताएं इस निर्देश को कर्मियों को

एंकर:- सरकारी कर्मचारी अगर आरएसएस या जमाते इस्लामी जैसे संगठन का सदस्य है या उससे जुड़ी गतिविधि में लिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। सरकार ने विधानसभा में विधायक संयम लोढ़ा के सवाल के जवाब में 18 मार्च 1981 को जारी परिपत्र का हवाला देते हुए इसे और भी स्पष्ट किया है। सरकार के कार्मिक विभाग की ओर से जारी इस स्पष्टीकरण से प्रदेश में फिर सियासी उबाल आ सकता है।15 वीं विधानसभा के दूसरे अधिवेशन में विधायक संयम लोढ़ा ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस से जुड़े होने संबन्धी सवाल पूछा था। विधायक संयम लोढ़ा ने पूछा था सवाल ,क्या सरकार का कर्मी RSS की सदस्यता ले सकता है ,इस बारे में बीसवीं सदी का क्या नियम है ,क्या 21 वीं सदी में इसमें किया है बदलाव ,किस तरह के संगठन में हो सकते शामिल और इसके क्या मापदंड है। इस पर सदन में रखी जाए प्रति
इस सवाल पर डीओपी ने यह दिया जवाब
कि RSS की सदस्यता के संबन्ध में 20 वीं सदी के नियम से संबंधित 18-03-1981 का परिपत्र इस समय भी लागू है।
जवाबमें कहा है कि राजस्थान कार्मिक आचरण नियम 1971 के नियम 7 व 8 में उल्लेखित संगठन या गतिविधियों में शामिल नहीं होने के लिए पाबन्द किया गया है।

आइये अब जानते हैं कि 18 मार्च 1981 के इस परिपत्र में क्या है
-18 मार्च 1981 को तत्कालीन सीएस ने जारी किया था आदेश इसके तहत सरकारी कर्मी किसी राज.दल या संगठन में सदस्य नहीं बन सकता...न ही वह उसमें सहायक के रूप में शामिल हो सकता है।
-आदेश में RSS,जमाते इस्लामी को बताया है ऐसा ही संगठन
परिपत्र में कहा है कि HOD बताएं इस निर्देश को कर्मियों को
RSS,जमाते इस्लामी जैसे आनंद मार्ग या अन्य संगठन से है संबद्धता या उसकी गतिविधियों में भाग लेना है
राजकीय कार्मिक राजस्थान सेवाएं आचरण नियम 1971 के नियम 7 व 8 का उल्लंघन और इसे अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में माना जायेगा।
यह परिपत्र तत्कालीन सीएस ने जारी किया था।

परिपत्र में इन संगठनों में शामिल होने या गतिविधियों में शामिल होने को किया है पाबन्द

आरएसएस,जमाते इस्लामी को बताया है ऐसा संगठन
साथ ही VSS-वॉलंटियर सोशल सर्विस,अमरा बंगाली
भारतीय प्रगतिशील संघ,भारतीय प्रोटिस्ट मंच,अंगिका समाज
प्रगतिशील गगही समाज,नागपुरी,मैथिली समाज
प्रगतिशील भोजपुरी,अवधी,बृज,बुंदेली समाज बताए ऐसे संगठन

rajassembly की वेबसाइट में तारांकित 27 वें नम्बर का सवाल है संयम लोढ़ा का जिसका टेक्स्ट यह है।
1-. क्या सरकार का कोई भी कार्मिक राष्ट्रीय स्वंयं सेवक संघ की सदस्यता ले सकता है? इस संबंध में बीसवीं सदी में क्या नियम था और इक्कीसवीं सदी में उक्त नियम में क्या फेरबदल किया गया है? विवरण सदन की मेज पर रखें।
2. राजकीय कार्मिक किस तरह के संगठन में शामिल हो सकते है और किसमें नहीं? इस संबंध में क्या नियम/मानदंड है? मानदण्डों की प्रति सदन की मेज पर रखें।
उत्तर-         
1- जी नहीं ।

राष्ट्रीय स्वंयं सेवक संघ की सदस्यता के सम्‍बन्‍ध में 20वीं सदी के नियम से सम्‍बन्धित परिपत्र दिनांक 18-03-81 वर्तमान में लागू हैा संलग्‍न

2- राजकीय कार्मिक राजस्‍थान आचरण नियम 1971 के नियम 7 एवं 8 में उल्‍लेखित संगठन/गतिविधियों में शामिल नहीं होने के लिए पाबन्‍द किया गया हैा संलग्‍नBody:VoConclusion:
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