जयपुर. कोरोना संकट के समय राज्य के लिए लाए गए राजस्थान महामारी अध्यादेश 2020 में कलेक्टर्स के साथ ही सरकार की ओर से समक्ष प्राधिकारियों की शक्तियों में बढ़ोतरी की गई है. साथ ही किसी व्यक्ति, संस्था या कंपनी की ओर से अध्यादेश के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दोषी को दो साल की सजा या जुर्माना जो कि दस हजार रुपए तक हो सकेगा या फिर सजा और जुर्माना दोनों से दंडित करने का प्रावधान किया गया है.
राजस्थान संक्रामक रोग अधिनियम 1957 निरस्त
पुराने कानून में आईपीसी की धारा 188 के तहत सिर्फ सजा का प्रावधान था. नए अध्यादेश के तहत अपराध को संज्ञेय और जमानती रखा गया है. नए अध्यादेश के लागू होते ही राजस्थान संक्रामक रोग अधिनियम 1957 निरस्त हो गया है.
कलेक्टरों की बढ़ाई गई शक्तियां
दरअसल, इस अध्यादेश के जरिए जिला कलेक्टरों की शक्तियों को बढ़ा दिया गया है. इस अध्यादेश के तहत किसी भी महामारी के समय किसी तरह के जमाव, समारोह, उपासना या ऐसे अन्य क्रियाकलापों को प्रतिबंधित किया जा सकेगा. जिससे महामारी के फैलने की आशंका हो, उसे प्रतिबंधित किया जा सकेगा.
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इसके साथ ही प्राधिकारी अधिकारी वायु, रेल, सड़क मार्ग या अन्य किसी भी साधन से पहुंचने वाले या चिकित्सालय, अस्थाई आवास, घर में क्वॉरेंटाइन या आइसोलेशन में रखे गए व्यक्तियों और रोग के संक्रमण के संदिग्ध व्यक्तियों का निरीक्षण कर सकेंगे.
लोक ओर निजी परिवहन पर रोक
राज्य की सीमाओं को जरूरत के हिसाब से सील किया जा सकेगा. लोक और निजी परिवहन पर रोक लगाई जा सकती है. जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए सामाजिक दूरी के मानकों के साथ ही अन्य तय किए जा सकेंगे. इसके साथ ही सार्वजनिक स्थानों और धार्मिक संस्थाओं या उपासना स्थलों में व्यक्तियों के एकत्रित होने को प्रतिबंधित कर सकने, सरकारी और निजी कार्यालय और शिक्षण संस्थाओं के कामकाज को विनियमित या प्रतिबंधित किया जा सकेगा.
वहीं, दुकानों, वाणिज्यिक और अन्य कार्यालयों के साथ ही संस्थापन, फैक्ट्री, वर्कशॉप और गोदामों के कामकाज पर प्रतिबंधित या नियंत्रित किया जा सकेगा. साथ ही जरूरी सेवाओं या आपातकालीन सेवाओं जैसे कि बैंक, मीडिया, स्वास्थ्य सेवा, खाद्य आपूर्ति, बिजली, जल, ईंधन इत्यादि की समयावधि को प्रतिबंधित किया जा सकेगा. साथ ही महामारी को रोकने के लिए अन्य जरूरी उपाय किए जा सकेंगे.