जयपुर. एसीबी टीम ने जयपुर में ग्रेटर नगर निगम के पशुधन सहायक समेत चार कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए ट्रैप किया है. एसीबी ने पशुधन सहायक जितेंद्र वर्मा को 4,500 रुपए और सहायक राजकुमार को 500 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. एक पशुधन सहायक सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है. कर्मचारियों ने मीट की दुकानों के लाइसेंस जारी करने की एवज में रिश्वत राशि ली थी.
नगर निगम ग्रेटर के इलाके में मीट की दुकानें संचालित करने की एवज में एक व्यापारी से 6 हजार रुपए की रिश्वत की मांग की गई थी. इसमें साढ़े चार हजार रुपए पशुधन सहायक जितेंद्र वर्मा ने ले लिए. बाकी डेढ़ हजार रुपए अपने स्टॉफ में बांट दिए. इनमें 500 रुपए की रिश्वत दलाली कर रहे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राजकुमार ने ली. साथ ही शिकायतकर्ता पीड़ित से रिश्वत में एक महंगी शराब की बोतल भी ली. वहीं, भ्रष्टाचार का दूसरा मामला जयपुर हैरिटेज का है, जहां से एसीबी ने स्लाटर हाउस में बाबू अनिल और एक ठेकाकर्मी कलील को धर दबोचा.
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नगर निगम में एसीबी की कार्रवाई से कर्मचारियों में हड़कंप मच गया. कई कर्मचारी तो मुख्यालय से भाग निकले. एसीबी के एएसपी बजरंग सिंह के नेतृत्व में कार्रवाई को अंजाम दिया गया है. एसीबी अधिकारियों के मुताबिक, मामले में हेरिटेज नगर निगम के कर्मचारी की संलिप्तता भी सामने आई है. एसीबी टीम हेरिटेज नगर निगम में भी छानबीन कर रही है. मीट की दुकानों के लाइसेंस जारी करने को लेकर रिश्वत राशि मांगने पर परिवादी ने एसीबी में शिकायत दर्ज करवाई. एसीबी की ओर से शिकायत का सत्यापन करवाने के बाद कार्रवाई को अंजाम दिया है.
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एसीबी के अधिकारी गिरफ्त में आए नगर निगम के कर्मचारियों से पूछताछ कर रहे हैं. इसके साथ इस खेल में और कौन-कौन लोग शामिल हैं, उसकी भी जांच की जा रही है. वहीं नगर निगम मुख्यालय में एसीबी की टीम दस्तावेजों की भी जांच पड़ताल कर रही है. इस बात का भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि मीट की दुकानों के लाइसेंस जारी करने के मामले में पहले भी किन-किन लोगों से और कितनी रिश्वत ली जा चुकी है.
एसीबी के एएसपी बजरंग सिंह के मुताबिक, काफी समय से रिश्वत राशि के लिए जाने की शिकायत मिल रही थी. लेकिन कोरोना के चलते कार्रवाई लेट हो गई. रिश्वत राशि लेते हुए नगर निगम के कर्मचारी समेत उसके एक सहायक को गिरफ्तार किया गया है. वहीं इस मामले में निगम के अधिकारियों की मिलीभगत की भी जांच पड़ताल की जा रही है.
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एसीबी के डीजी बीएल सोनी के मुताबिक, पिछले एक महीने से मिल रही शिकायतों के बाद एसीबी इसकी निगरानी कर रही थी, इसके बाद सोमवार को ट्रैप किया गया. जानकारी के अनुसार पशु काटने के लिए चैनपुरा में स्लॉटर हाउस है. पशुओं को यहीं काटना पड़ता है. इसके लिए शुल्क जमा करवाने के लिए एक पर्ची कटती है. लेकिन बाबू अनिल और कलील मिलकर पर्चियां काटने में हेरफेर कर अवैध वसूली कर रहे थे. वहीं, जिन बकरों को काटने के लिए पर्चियां जारी की गई, वे कम मिली. जबकि शहर में रोजाना कई जगहों पर बकरे काटे जा रहे थे. भ्रष्टाचार के इस खेल में स्लॉटर हाउस के इंचार्ज वेटेनरी डॉक्टर की भूमिका संदिग्ध है, उसकी भी जांच की जा रही है.