जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय देश-विदेश में अपनी पहचान खोता जा रहा है. एनआईआरएफ रैंकिंग (NIRF Ranking) में राजस्थान यूनिवर्सिटी टॉप 200 में भी नहीं है और अब तो विदेशी छात्रों का भी यूनिवर्सिटी से (Rajasthan University) मोहभंग होता जा रहा है. इस सत्र में अब तक किसी भी नए विदेशी विद्यार्थी ने विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं हुआ है. जिसका सबसे बड़ा कारण विश्वविद्यालय में विदेशी विद्यार्थियों को इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं मिलना और एडमिशन के लिए अपनाई जाने वाली जटिल प्रक्रिया को बताया जा रहा है. जहां एक ओर प्राइवेट यूनिवर्सिटीज विदेशी छात्रों के लिए स्वयं वीजा और डॉक्यूमेंट्स वेरिफाई कराने की व्यवस्था करती हैं. वहीं राजस्थान यूनिवर्सिटी तो इन छात्रों से संपर्क तक स्थापित नहीं करती.
एक दौर था जब राजस्थान विश्वविद्यालय में यूएसए, इंडोनेशिया, अफ्रीका जैसे देशों के छात्र पढ़ने के लिए आया करते थे. इन विदेशी छात्रों को ध्यान में रखते हुए ही राजस्थान यूनिवर्सिटी में हॉस्टल फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट बनाया गया था. लेकिन बीते कुछ सालों में विदेशी छात्रों राजस्थान विश्वविद्यालय से जैसे मुंह मोड़ लिया है. जानकारों की मानें तो पहले एक सत्र में तकरीबन 30 से 40 विदेशी छात्र राजस्थान विश्वविद्यालय से पीएचडी, डिग्री और डिप्लोमा कोर्स करते हैं. अब इसके उलट हर साल इक्का-दुक्का छात्र यहां विदेशी स्टूडेंट की कमी पूर्ति करते हैं. और कोरोना काल ने तो इन इक्का-दुक्का छात्रों को भी यूनिवर्सिटी से दूर कर दिया है.
2016 से अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो :
सत्र | छात्रों की संख्या |
2016-17 | 3 |
2017-18 | 0 |
2018-19 | 4 |
2019-20 | 3 |
2020-21 | 0 |
2021-22 | 0 |
2022-23 | 0 (अब तक) |
पढ़ें: Admission in Rajasthan University: आरयू के संघटक कॉलेजों में शुरू हुए एडमिशन
विश्वविद्यालय में पढ़ने आने वाले विदेशी छात्रों में यूएसए, इंडोनेशिया, अफगानिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश की छात्र-छात्राएं शामिल हैं. हालांकि इस बार बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छात्रों ने यूनिवर्सिटी से एप्रोच किया. लेकिन बांग्लादेश के छात्र यूनिवर्सिटी के जटिल एडमिशन प्रोसेस में उलझ कर रह गया. वह यहां टूरिस्ट वीजा पर आया, वीजा की अवधि पूरी होने तक भी उसका एडमिशन नहीं हो सका. इसके संबंध में डीएसडब्ल्यू नरेश मलिक ने बताया कि अफगानिस्तान के करीब 17 छात्र अभी भी यूनिवर्सिटी से कांटेक्ट में है. जो यहां विभिन्न विषयों में एडमिशन लेना चाहते हैं. लेकिन इनमें से 3 को ही सीएसआईआर से स्कॉलरशिप की स्वीकृति मिली है. जबकि ये सभी छात्र स्कॉलरशिप से ही यहां पढ़ाई करना चाहते हैं.
विदेशी छात्रों को पढ़ाई के लिए अमंत्रित नहीं करता विश्वविद्यालय: जानकारों की मानें तो राजस्थान विश्वविद्यालय विदेशी विद्यार्थियों को अपने यहां पढ़ाई करने के लिए इनवाइट ही नहीं करता है और न ही किसी तरह का कोई प्रचार प्रसार करता है. जिससे विदेशी विद्यार्थी विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए आएं. राजस्थान विश्वविद्यालय सिर्फ वेबसाइट पर जानकारी अपलोड करके खानापूर्ति कर लेता है. वहीं, दूसरी ओर प्राइवेट यूनिवर्सिटीज एमओयू, एक्सचेंज प्रोग्राम और इंटर्नशिप के जरिए लगातार बाहरी कैंपस से जुड़े रहते हैं और उनके विद्यार्थी भी विदेशों में जाते हैं और विदेशी छात्र भी यहां आते हैं. लेकिन राजस्थान विश्वविद्यालय इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. जबकि प्रदेशभर के निजी विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में विदेशी विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं.
पढ़ें: राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. श्यामलाल को मिला लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
एडमिशन प्रक्रिया को आसान करने की आवश्यकता : इस संबंध में डीएसडब्ल्यू नरेश मलिक ने कहा कि बीते 2 साल से कोरोना की वजह से विदेशी छात्र यूनिवर्सिटी से नहीं जुड़ रहे है. उन्होंने एडमिशन प्रक्रिया को आसान करने की आवश्यकता बताई. साथ ही विश्वविद्यालय कुलपति से विचार विमर्श कर कमेटी बनाकर प्रचार-प्रसार और विदेशी छात्रों की एडमिशन प्रक्रिया सामान्य छात्रों से 6 महीने पहले शुरू किए जाने के प्रावधान तय किए जाने की बात कही. वहीं पूर्व डीएसडब्ल्यू डॉ. सरीना कालिया ने कहा कि विदेशी छात्रों से सामान्य छात्रों की तुलना में ज्यादा फीस ली जाती है, तो उसी के अनुसार उन्हें सुविधाएं भी अलग दी जानी चाहिए. यही नहीं विदेशी छात्रों को आकर्षित करने के लिए एडवर्टाइजमेंट करते हुए विदेशी यूनिवर्सिटी से जुड़ने की दरकार है. उन्होंने विदेशी छात्रों के एडमिशन प्रोसेस की धीमी गति को भी एक बड़ा कारण बताया, जिससे छात्र राजस्थान विश्वविद्यालय से दूरी बना रहे हैं.
उधर, राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी ने कहा कि राजस्थान विश्वविद्यालय की सुविधाएं इस स्तर की नहीं है कि यहां विदेशी छात्रा यहां पढ़ें. चूंकि इस सत्र छात्रों ने उन्हें छात्रसंघ अध्यक्ष चुना है, ऐसे में वो अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए देशी-विदेशी छात्रों के लिए अच्छे से अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर और क्वालिटी ऑफ एजुकेशन के लिए संघर्ष करेंगे.