जयपुर. देश में कोयले के संकट के दौरान (Coal Crisis in Rajasthan) केंद्र ने सभी राज्यों को अपने स्तर पर 10 फीसदी कोयला अनिवार्य रूप से आयात करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब राज्यों को इसमें छूट देकर ये नियम स्वैच्छिक कर दिया गया है. हालांकि, केंद्र सरकार के यू-टर्न के बाद भी राजस्थान में अडानी इंटरप्राइजेज के माध्यम से विदेश से महंगे कोयले की खरीद जारी है. बताया जा रहा है कि सितंबर तक 5.79 लाख मीट्रिक टन कोयला आयात किया जाएगा, जिस पर करीब 1000 करोड़ रुपये से अधिक लागत आएगी.
राज्य ने कोयला मंत्रालय के पुराने निर्देशों के बाद ही कर दिए थे टेंडर : केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने जब हर राज्य को 10 फीसदी कोयला अपने स्तर पर विदेशों से आयात करने के निर्देश दिए थे, उसके बाद ही राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम ने यह काम अडानी एंटरप्राइजेज को सौंप दिया था. हालांकि, निविदा में दो फर्म शामिल हुई थी, लेकिन एक फर्म ने तो निर्धारित दस्तावेज जमा नहीं कराए. इसलिए अडानी एंटरप्राइजेज ही सफल हुई और कंपनी को यह काम सौंप दिया गया.
अडानी इंटरप्राइजेज इंडोनेशिया से कोयला खरीद कर राजस्थान के विद्युत उत्पादन निगम की इकाइयों तक (Rajasthan Coal Supply Through Adani Enterprises) पहुंचाने का काम कर रहा है. कोयला खरीद और परिवहन की कुल लागत 18 हजार रुपये प्रति टन है. हालांकि, कंपनी जब विदेश से कोयला ले रही है तो उसी समय की लागत से बिलिंग की जाने की बात बताई जा रही है.
राज्य में अक्टूबर तक आएगा विदेशी कोयला, 2 से ढाई गुना तक महंगी है लागत : राजस्थान राज्य उत्पादन निगम ने कोयला मंत्रालय के शुरुआती निर्देश को मानते हुए विदेश से कोयला आयात करने का काम संबंधित अडानी एंटरप्राइजेज को सौंप दिया और तब 5.79 मीट्रिक टन कोयला आयात किए जाने का काम दिया गया, जिसकी कुल लागत करीब 1042 करोड़ रुपये थी. इंडोनेशिया से यह कोयला जून माह में राजस्थान में आना शुरू हुआ जो अक्टूबर माह तक लगातार जारी रहेगा. अगस्त माह में 1.25 लाख टन, सितंबर माह में 1.29 लाख टन और अक्टूबर माह में 1.25 लाख टन कोयला आएगा. यह कोयला छबड़ा थर्मल, सूरतगढ़ थर्मल और कोटा थर्मल प्लांट में पहुंच रहा है.
महंगे कोयले का भार आम बिजली उपभोक्ताओं पर : केंद्र सरकार ने तो सभी राज्यों पर फैसला छोड़ दिया है कि वह उचित समझें तो विदेशों से कोयला आयात करें, अथवा ना करें. लेकिन राजस्थान में अडानी एंटरप्राइजेज को इंडोनेशिया से कोयला लाकर राजस्थान में देने का जो काम कुछ माह पहले दे दिया गया, उसे फिलहाल विद्युत उत्पादन निगम अब नहीं रोक रही.
उत्पादन निगम के अधिकारी (Rajasthan Rajya Vidyut Utpadan Nigam) बताते हैं कि जो काम निविदा के जरिए दे दिए गए वो तो पूरे होंगे और आगे विदेश से कोयले की खरीद करना है या नहीं, यह निर्णय सरकार और बोर्ड के स्तर पर होगा. मतलब विदेशों से जो महंगा कोयला आ रहा है, उसका भार आने वाले दिनों में फ्यूल सरचार्ज के रूप में राजस्थान के आम बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर ही पड़ना तय है.
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