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लापरवाही से करंट, 166 साल पुराने कानून के तहत जयपुर डिस्कॉम पर लगाया हर्जाना

अतिरिक्त जिला न्यायालय क्रम- 2 महानगर प्रथम ने जयपुर डिस्कॉम (Jaipur Discom) की लापरवाही से लगे करंट से महिला की मौत के मामले में डिस्कॉम पर हर्जाना लगाया है. अदालत ने हर्जाना राशि पर 9 फीसदी ब्याज भी अदा करने को कहा है.

negligence of jaipur discom, Jaipur Discom
जयपुर डिस्कॉम पर लगाया हर्जाना
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Published : Oct 28, 2021, 10:48 AM IST

जयपुर. अतिरिक्त जिला न्यायालय क्रम- 2 महानगर प्रथम ने जयपुर डिस्कॉम (Jaipur Discom) की लापरवाही से लगे करंट से महिला की मौत के मामले में डिस्कॉम पर 8 लाख 13 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. अदालत ने हर्जाना राशि पर 9 फीसदी ब्याज भी अदा करने को कहा है. अदालत ने यह आदेश दौसा के झेरा निवासी महेश चंद मीणा व अन्य के परिवाद पर दिए.

पढ़ें- राजस्थान में आयकर विभाग की बड़ी कार्रवाई, श्रीगंगानगर और जयपुर में 33 ठिकानों पर छापेमारी

परिवाद में कहा गया की 15 जुलाई 2018 को सुबह 5 बजे उसकी पत्नी अनिता देवी खेत में फसल नष्ट कर रहे जानवरों को भगाने के लिए गई थी. रास्ते में बिजली का खम्भा खड़ा था, जिसे सीधा रखने के लिए लगाए गए स्टेग वायर के संपर्क में आने से करंट लगने के चलते उसकी मौत हो गई.

परिवाद में कहा गया कि तारों की देखभाल नहीं करने और स्टेग वायर में चीनी-मिट्टी की चिड़िया नहीं लगाने के कारण उसमें करंट प्रवाहित हो रहा था. ऐसे में डिस्कॉम की जिम्मेदारी तय करते हुए घातक दुर्घटना अधिनियम 1855 के तहत परिवादी को मुआवजा दिलाया जाए.

जयपुर. अतिरिक्त जिला न्यायालय क्रम- 2 महानगर प्रथम ने जयपुर डिस्कॉम (Jaipur Discom) की लापरवाही से लगे करंट से महिला की मौत के मामले में डिस्कॉम पर 8 लाख 13 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. अदालत ने हर्जाना राशि पर 9 फीसदी ब्याज भी अदा करने को कहा है. अदालत ने यह आदेश दौसा के झेरा निवासी महेश चंद मीणा व अन्य के परिवाद पर दिए.

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परिवाद में कहा गया की 15 जुलाई 2018 को सुबह 5 बजे उसकी पत्नी अनिता देवी खेत में फसल नष्ट कर रहे जानवरों को भगाने के लिए गई थी. रास्ते में बिजली का खम्भा खड़ा था, जिसे सीधा रखने के लिए लगाए गए स्टेग वायर के संपर्क में आने से करंट लगने के चलते उसकी मौत हो गई.

परिवाद में कहा गया कि तारों की देखभाल नहीं करने और स्टेग वायर में चीनी-मिट्टी की चिड़िया नहीं लगाने के कारण उसमें करंट प्रवाहित हो रहा था. ऐसे में डिस्कॉम की जिम्मेदारी तय करते हुए घातक दुर्घटना अधिनियम 1855 के तहत परिवादी को मुआवजा दिलाया जाए.

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