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गहलोत सरकार की टोल टैक्स वापसी कुछ खट्टी-कुछ मीठी, जानें फायदे और नुकसान पर किसने क्या कहा

प्रदेश की गहलोत सरकार ने स्टेट हाईवे टोल पुन: लागू करने को लेकर कुछ तर्क दिए हैं और कहा है कि टोल को बंद करने पर सरकार को एक हजार करोड़ का सीधा नुकसान हो रहा था. अब इस टोल टैक्स को वापस लगाने से प्रदेश की खस्ताहाल सड़कों की फिर से मरम्मत हो सकेगी.

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Published : Nov 3, 2019, 9:24 PM IST

जयपुर की खबर, toll tax in jaipur

जयपुर. राजस्थान में पिछली वसुन्धरा राजे सरकार के समय 1 अप्रेल 2018 को स्टेट हाईवे पर से निजी वाहनों पर से टोल वसुली बंद की थी. जिसे राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने अब फिर से लागू कर दिया है. इसके पीछे सरकार कर कई तर्क देती हुई नजर आ रही है.

सरकार का कहना है कि जो सड़कें ठेकेदारों ने बनायी थी और इसी टोल के सहारे ये ठेकेदार इन सड़कों की मरम्मत करते थे. अब वो वाइबलिटी खत्म होने के चलते सड़कों की मरम्मत भी नहीं कर रहे थे और जो सरकार के साथ उनका करार था उसे लेकर वो कोर्ट में भी पहुच रहे थे.

टोल को फिर से लागू करने पर सड़को की पुन: होगी मरम्मत

सरकार का तर्क है कि इससे राज्य सरकार को एक हजार करोड़ का सीधा नुकसान हो रहा था. जो बीती सरकार ने वोटों की राजनिती के चलते लिया था. अब इस टोल टैक्स को वापस लगाने से प्रदेश की खस्ताहाल सड़कों की फिर से मरम्मत हो सकेगी. हालांकी एक बात साफ है कि निर्णय चाहे राजनितीक तौर पर ही क्यों ना लिया गया हो लेकिन, निजी वाहन मालिकों को इससे राहत मिली थी क्योंकि प्रदेश के 142 टोल नाकों से निकलने पर उससे किसी तरह का टोल नही लिया जा रहा था.

पढ़ेंः वसुंधरा सरकार ने बिना किसी की राय लिए, चुनावी फायदे के लिए कर दिया था टोल टैक्स फ्री : गहलोत

इसे लेकर अगर आंकडों की बात करें तो वसुन्धरा राजे की गत भाजपा सरकार ने चुनावी साल में 1 अप्रेल 2018 को टोल हटा दिया था. प्रदेश में कुल 15 हजार 543 किमी लम्बा स्टेट हाइवे है. जिसमें से 30 से 35 प्रतिशत सडकें रिपेयर नहीं हो पा रही. अब हर टोल पर औसतन 40 से 65 रुपये लगेंगे ओर लगभग हर पचास किमी पर एक टोल होगा.

बता दें कि राजस्थान में फिल्हाल 142 टोल नाके ऐसे हैं जहां पर 1 नवम्बर से पहले निजी वाहनों से टोल नहीं लिया जा रहा था. इससे जनता को भले ही फायदा हो रहा हों लेकिन सरकार की जेब पर इसका सालाना 172 करोड़ का नुकसान हो रहा था. क्योकि सरकार ने जो भी प्रदेश में सड़के बनाई थी उनके रखरखाव का काम इस टोल की राशि से ही करना था. ऐसे में सरकार को हर महीने के 172 करोड़ रुपये अनुदान के तौर पर देकर भरपाई की जा रही थी. जिसमें भी देरी हो रही थी. ऐसे में ठेकेदार भुगतान नही. मिलने से सड़कों की मरम्मत का काम नहीं कर रहे थे और इससे प्रदेश की सड़कें लगातार खराब हो रही थी.

पढे़ंः गहलोत के मंत्री बोले- ईडब्ल्यूएस आरक्षण से जमीन संबंधित बाध्यता हटाए केन्द्र, मोदी के मंत्री ने कहा- करेंगे चर्चा

इसे इस तरह समझा जाये कि सरकार को हर महीने 300 करोड़ रुपये टोल के जरिये स्टेट हाइवे से मिल रहे थे. जिसे देकर वो उन सडकों को मेंटेनेंस करवा रहे थे. लेकिन, जैसे ही निजी वाहनों से टोल बंद हुआ 300 करोड़ में से राजस्व केवल 128 करोड़ ही रह गया. जिसके चलते सरकार पर हर महीने का 172 करोड़ का भार पड़ गया और अगर पांच साल तक ये रहता तो सरकार पर 860 करोड़ रूपये का भार आता और पेमेंट देरी से होने पर ठेकेदार सडकों की मरम्मत भी नहीं करते और कोर्ट में भी चले जाते.

इसे लेकर आम लोगों के भी मिक्स रिएक्शन है. जहां कुछ लोग कह रहें है कि आम लोगों को पहले ही महंगाई से दो चार होना पड़ रहा था. तो अब टोल टैक्स लग जाने से उन्हें और दिक्कत होगी. एक बार टोल लग जाने के बाद उसे वापस लगाने का कोई तुक नहीं होता है.

पढ़ें- RCA की पहली EGM को लेकर कल होगी बैठक, लोकपाल की नियुक्ति को लेकर हो सकता है फैसला

साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को जनता को राहत देने के लिए फैसले करने चाहिए. इस तरह से दी गयी सुविधा वापस लेने से उन्हें दिक्कत होगी. वहीं, कुछ लोग इस फैसले का स्वागत भी करते दिखाई दे रहें है. कुछ लोगों ने कहा कि जब कार कोई 10 लाख या इससे ज्यादा की चला सकता है और पैट्रोल के बढ़े दाम भी वो दे सकता है. तो सडकों की मरम्मत में काम आने वाले इस टोल को देने में उसे क्या परेशानी होगी. वैसे भी इस निर्णय से लोग ही प्रभावित होंगे क्योकि बड़ी गाडियों में वही सफर करते हैं और आम जनता को तो इससे बेहतर सड़कों की राहत मिलेगी. वैसे भी पिछली सरकार ने केवल चुनावी फायदे के लिए ये निर्णय लिया था जिसके चलते आज सड़कें खराब हो चुकी है.

जयपुर. राजस्थान में पिछली वसुन्धरा राजे सरकार के समय 1 अप्रेल 2018 को स्टेट हाईवे पर से निजी वाहनों पर से टोल वसुली बंद की थी. जिसे राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने अब फिर से लागू कर दिया है. इसके पीछे सरकार कर कई तर्क देती हुई नजर आ रही है.

सरकार का कहना है कि जो सड़कें ठेकेदारों ने बनायी थी और इसी टोल के सहारे ये ठेकेदार इन सड़कों की मरम्मत करते थे. अब वो वाइबलिटी खत्म होने के चलते सड़कों की मरम्मत भी नहीं कर रहे थे और जो सरकार के साथ उनका करार था उसे लेकर वो कोर्ट में भी पहुच रहे थे.

टोल को फिर से लागू करने पर सड़को की पुन: होगी मरम्मत

सरकार का तर्क है कि इससे राज्य सरकार को एक हजार करोड़ का सीधा नुकसान हो रहा था. जो बीती सरकार ने वोटों की राजनिती के चलते लिया था. अब इस टोल टैक्स को वापस लगाने से प्रदेश की खस्ताहाल सड़कों की फिर से मरम्मत हो सकेगी. हालांकी एक बात साफ है कि निर्णय चाहे राजनितीक तौर पर ही क्यों ना लिया गया हो लेकिन, निजी वाहन मालिकों को इससे राहत मिली थी क्योंकि प्रदेश के 142 टोल नाकों से निकलने पर उससे किसी तरह का टोल नही लिया जा रहा था.

पढ़ेंः वसुंधरा सरकार ने बिना किसी की राय लिए, चुनावी फायदे के लिए कर दिया था टोल टैक्स फ्री : गहलोत

इसे लेकर अगर आंकडों की बात करें तो वसुन्धरा राजे की गत भाजपा सरकार ने चुनावी साल में 1 अप्रेल 2018 को टोल हटा दिया था. प्रदेश में कुल 15 हजार 543 किमी लम्बा स्टेट हाइवे है. जिसमें से 30 से 35 प्रतिशत सडकें रिपेयर नहीं हो पा रही. अब हर टोल पर औसतन 40 से 65 रुपये लगेंगे ओर लगभग हर पचास किमी पर एक टोल होगा.

बता दें कि राजस्थान में फिल्हाल 142 टोल नाके ऐसे हैं जहां पर 1 नवम्बर से पहले निजी वाहनों से टोल नहीं लिया जा रहा था. इससे जनता को भले ही फायदा हो रहा हों लेकिन सरकार की जेब पर इसका सालाना 172 करोड़ का नुकसान हो रहा था. क्योकि सरकार ने जो भी प्रदेश में सड़के बनाई थी उनके रखरखाव का काम इस टोल की राशि से ही करना था. ऐसे में सरकार को हर महीने के 172 करोड़ रुपये अनुदान के तौर पर देकर भरपाई की जा रही थी. जिसमें भी देरी हो रही थी. ऐसे में ठेकेदार भुगतान नही. मिलने से सड़कों की मरम्मत का काम नहीं कर रहे थे और इससे प्रदेश की सड़कें लगातार खराब हो रही थी.

पढे़ंः गहलोत के मंत्री बोले- ईडब्ल्यूएस आरक्षण से जमीन संबंधित बाध्यता हटाए केन्द्र, मोदी के मंत्री ने कहा- करेंगे चर्चा

इसे इस तरह समझा जाये कि सरकार को हर महीने 300 करोड़ रुपये टोल के जरिये स्टेट हाइवे से मिल रहे थे. जिसे देकर वो उन सडकों को मेंटेनेंस करवा रहे थे. लेकिन, जैसे ही निजी वाहनों से टोल बंद हुआ 300 करोड़ में से राजस्व केवल 128 करोड़ ही रह गया. जिसके चलते सरकार पर हर महीने का 172 करोड़ का भार पड़ गया और अगर पांच साल तक ये रहता तो सरकार पर 860 करोड़ रूपये का भार आता और पेमेंट देरी से होने पर ठेकेदार सडकों की मरम्मत भी नहीं करते और कोर्ट में भी चले जाते.

इसे लेकर आम लोगों के भी मिक्स रिएक्शन है. जहां कुछ लोग कह रहें है कि आम लोगों को पहले ही महंगाई से दो चार होना पड़ रहा था. तो अब टोल टैक्स लग जाने से उन्हें और दिक्कत होगी. एक बार टोल लग जाने के बाद उसे वापस लगाने का कोई तुक नहीं होता है.

पढ़ें- RCA की पहली EGM को लेकर कल होगी बैठक, लोकपाल की नियुक्ति को लेकर हो सकता है फैसला

साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को जनता को राहत देने के लिए फैसले करने चाहिए. इस तरह से दी गयी सुविधा वापस लेने से उन्हें दिक्कत होगी. वहीं, कुछ लोग इस फैसले का स्वागत भी करते दिखाई दे रहें है. कुछ लोगों ने कहा कि जब कार कोई 10 लाख या इससे ज्यादा की चला सकता है और पैट्रोल के बढ़े दाम भी वो दे सकता है. तो सडकों की मरम्मत में काम आने वाले इस टोल को देने में उसे क्या परेशानी होगी. वैसे भी इस निर्णय से लोग ही प्रभावित होंगे क्योकि बड़ी गाडियों में वही सफर करते हैं और आम जनता को तो इससे बेहतर सड़कों की राहत मिलेगी. वैसे भी पिछली सरकार ने केवल चुनावी फायदे के लिए ये निर्णय लिया था जिसके चलते आज सड़कें खराब हो चुकी है.

Intro:नोट ये खबर डेस्क ने मंगवाई है

गहलोत सरकार की टोल टैक्स वापसी कुछ खटटी कुछ मिठी प्रदेश की 35 प्रतिशत सडके टूटी अब होगी उनकी मरम्मत,भाजपा कुछ भी कहे लेकिन सरकार की मजबूरी कि वित्तीय हालत बचाते हुए जनता को दे बेहतर सडकेंBody:राजस्थान में गत वसून्धरा राजे सरकार के समय 1 अप्रेल 2018 को स्टेट हाइवे पर से निजी वाहनों पर से टोल वसुली बंद की थी जिसे राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने अब फिर से लागू कर दिया है इसके पिछे सरकार का साफ तर्क है कि जो सडकें ठेकेदारों ने बनायी थी और इसी टोल के सहारे ये ठेकेदार इन सडकों की मरम्मत करते थे अब वो वाइबलिटी खत्म होने के चलते सडकों की मरम्मत भी नही कर रहे थे और जो सरकार के साथ उनका करार था उसे लेकर वो कोर्ट में भी पहुच रहे थे ।सरकार का तर्क है कि इससे से राज्य सरकार को 1000 करोड का सीधा नुकसान हो रहा था जो बीती सरकार ने वोटों की राजनिती के चलते लिया था।अब इस टोल टैक्स के वापस लगाने से प्रदेश की खस्ताहाल सडकों की फिर से मरम्मत हो सकेगी।हालांकी एक बात साफ है कि निर्णय चाहे राजनितीक तौर पर ही क्यों ना लिया गया हो लेकिन निजी वाहन मालिकों को इससे राहत मिली थी क्योंकि प्रदेश के 142 टोल नाकों से निकलने पर उससे किसी तरह का टोल नही लिया जा रहा था।इसे लेकर अगर आपको आंकडों की जानकारी दे तो वसुन्धरा राजे की गत भाजपा सरकार ने चुनावी साल में 1 अप्रेल 2018 को टोल हटा दिया था ।प्रदेश में कुल 15543 किमी लम्बा स्टेट हाइवे है जिसमें से 30 से 35 प्रतिशत सडकों का रिपेयर नही पा रही है अब हर टोल पर ओसतन 40 से 65 रूपये लगेंगे ओर लगभग हर पचास किमी पर एक टोल होगा
बाइट अशोक गहलोत मुख्यमंत्री राजस्थान
वसुन्धरा राजे पूर्व मुख्यमंत्री
142 टोल नाकें है स्टेट हाईवे के राजस्थान में,सरकार को टोल फिर चालू करवाने से होगा हर साल 172 करोड का फायदा यानि पांच साल में 860 करोड का नुकसान

राजस्थान में फिल्हाल 142 टोल नाके ऐसे है जहां पर 1 नवम्बर से पहले टोल निजी वाहनो से नही लिया जा रहा था इससे जनता को भले ही फायदा हो रहा हों लेकिन सरकार की जेब पर इसका सालाना 172 करोड का नुकसान हो रहा था क्योकि सरकार ने जो भी प्रदेश में सडके बनी थी उनके रखरखाव का काम इस टोल की राशि से ही करना था ऐसे में सरकार को हर महीने के 172 करोड रूपये अनुदान के तौर पर देकर भरपायी की जा रही थी जिसमें भी देरी हो रही थी ऐसे में ठेकेदार भूगतान नही मिलने से सडकों की मरम्मत का काम नही कर रहे थे और इससे प्रदेश की सडकें लगातार खराब हो रही थी।इसे इस तरह समझा जाये कि सरकार को हर महीने 300 करोड रूपये टोल के जरिये स्टेट हाइवे से मिल रहे थे जिसे देकर वो उन सडकों को मेंटेेनेंस करवा रहे थे।लेकिन जैसे ही निजी वाहनो से टोल बंद हुआ 300 करोड में से राजस्व केवल 128 करोड ही रह गया जिसके चलते सरकार पर हर महीने का 172 करोड का भार पड गया ओर अगर पांच साल तक ये रहता तो सरकार पर 860 करोड रूपये का भार आता और पेमेंट देरी से होने पर ठेकेदार सडकों की मरम्मत भी नही करते और कोर्ट में भी चले जाते।
बाइट अशोक गहलोत मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार
वसुन्धरा राजे पूर्व मुख्यमंत्री
जनता का मिक्स रिएक्श्न कोई बोला पहले से महंगाई से त्रस्त अब टोल की भी मार पडने से होगा परेशान तो कोई बोला 10 लाख की गाडी चलाने वाले को इसका नही पडता टोल का फर्क जब पैट्रोल के बढे नाम का विरोध नही तो टोल का क्यो सडके भी तो हमे ही चाहिए बेहतर
इसे लेकर आम लोगों के भी मिक्स रिएक्शन है जहां कुछ लोग कह रहें है कि आम लोगों को पहले ही महंगाई से दो चार होना पड रहा था तो अब टोल टैक्स लग जाने से उसे और दिक्कत होगी एक बार टोल लग जाने के बाद उसे वापस लगाने का कोई तूक नही होता है सरकार को जनता को राहत देने के लिए फैसले करने चाहिए इस तरह से दी गयी सूविधा वापस लेने से उसे दिक्कत होगी वही कुछ लोग इस फैसले का स्वागत भी करते दिखाई दे रहें है कुछ लोगों ने कहा कि जब कार कोई 10 लाख या इससे ज्यादा की चला सकता है और पैट्रोल के बढे दाम भी वो दे सकता है तो सडकों की मरम्मत में काम आने वाले इस टोल को देने में उसे क्या परेशानी होगी वैसे भी इस निर्णय से बढे लोग ही प्रभावित होगे क्योकि बडी गाडियों में वही सफर करते है और आम जनता को तो इससे बेहतर सडकों की राहत मिलेगी।वैसे भी पिछली सरकार ने केवल चुनावी फायदे के लिए ये निर्णय लिया था जिसके चलते आज सडकें खराब हो चुकी है।
बाइट
आम लोग
दो लोग की बाइट है जो इसके पक्ष में बोल रहें है दो विपक्ष में
पीटीसी अजीत Conclusion:
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