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Rajasthan Budget Session 2022: सत्र से पहले कांग्रेस विधायक होटल में बिताएंगे 2 दिन, आवासीय शिविर के बहाने पार्टी साध रही कई निशाने

राजस्थान का विधानसभा सत्र (Rajasthan assembly session 2022) 9 फरवरी से शुरू होने जा रहा है. इस बजट सत्र के दौरान विभिन्न मुद्दों पर भाजपा गहलोत सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है. इस बीच कांग्रेस ने विधायकों को बजट सत्र को लेकर प्रशिक्षण देने की तैयारी कर ली है. इसके लिए बकायदा विधायकों को दो दिन होटल में रखा जाएगा.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा
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Published : Feb 4, 2022, 9:26 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा का सत्र 9 फरवरी (Rajasthan assembly session 2022) से शुरू होने जा रहा है. पहली बार कांग्रेस विधानसभा सत्र से पहले विधायक दल की बैठक के अलावा दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण भी देने जा रही है. कांग्रेस पार्टी इसे विधायकों का आवासीय प्रशिक्षण या चिंतन शिविर का नाम दे रही है. लेकिन इस बहाने सरकार 2 दिन तक कांग्रेस और समर्थक दलों के विधायकों की एक बार फिर बाडाबंदी करने जा रही है. जिससे विधानसभा सत्र के दौरान संख्या बल के लिहाज से विपक्ष के हमलों से खुद का बचाव कर सके.

विधानसभा सत्र में यह तय है कि रीट के मुद्दे पर चर्चा भी होगी और विपक्ष उसमें सरकार को घेरने का प्रयास भी करेगा. ऐसे में कांग्रेस पार्टी अघोषित बाड़ेबंदी (Pre fencing of Congress and supporting MLAs) के जरिए अपने विधायकों के साथ ही समर्थक दलों के विधायकों को भी विधानसभा में एकजुट रहने का फॉर्मूला देगी.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा

माकन, गहलोत, पायलट ओर डोटासरा लेंगे विधायको की क्लासः राजस्थान में कांग्रेस और समर्थक विधायकों के साथ 6 और 7 फरवरी को होने वाले कांग्रेस के आवासीय शिविर में विधायकों को विधानसभा सत्र को लेकर सीख दी जाएगी. इस दौरान सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अजय माकन, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा विधायकों को विधानसभा में कैसे फ्लोर मैनेजमेंट संभालना है, इसका गुर सिखाएंगे.

अजय माकन इस शिविर के लिए 5 फरवरी को रात 11 बजे जयपुर पहुंचेंगे. वे 6 फरवरी को अजमेर जाकर दरगाह शरीफ में सोनिया गांधी की चादर चढ़ाएंगे. इसके बाद शाम 5 बजे से जयपुर के होटल लीला में कांग्रेस ओर सहयोगी दलों और विधायकों के दो दिवसीय आवासीय चिंतन शिविर में भाग लेंगे. इस दौरान रात को भी यह सभी नेता होटल में ही रहेंगे.

विधानसभा में होगा गहलोत के पास पूरा मंत्रिमंडलः राजस्थान में कांग्रेस सरकार बने 3 साल से ज्यादा का समय हो चुका है. लेकिन गहलोत के इस कार्यकाल के तीसरे बजट में विधानसभा में पूरा मंत्रिमंडल दिखाई देगा. दरअसल राजस्थान में मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत 30 मंत्री हो सकते हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 29 मंत्री बना दिए हैं. ऐसे में सरकार के बचाव के लिए इस बार पूरा मंत्रिमंडल विधानसभा में रहेगा. लेकिन अगर विधायकों का सहयोग इन मंत्रियों को नहीं मिला तो सरकार के सामने विधानसभा के फ्लोर मैनेजमेंट में दिक्कत आ सकती है. यही कारण है कि सभी विधायकों को आवासीय प्रशिक्षण के जरिए मुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ एक जगह रखा जाएगा. जिससे अगर विधायकों की कोई शिकायत भी हो तो उसे पहले ही दूर किया जा सके और विधानसभा सत्र के दौरान कोई नाराजगी ना दिखाई दे.

यह भी पढ़ें - Rajasthan Assembly Session 2022 : भाजपा इन मुद्दों पर गहलोत सरकार को घेरेगी, सदन के भीतर रहेगी ये रणनीति...

मुख्य सचेतक उपाध्यक्ष पर भी बन सकती है सहमतिः राजस्थान विधानसभा सत्र से पहले 6 और 7 फरवरी को कांग्रेस के आवासीय प्रशिक्षण शिविर में विधायकों की मौजूदगी में नया मुख्य सचेतक भी बनाया जा सकता है. हालांकि कहा जा रहा है की उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी को ही यह पद दिया जाएगा. लेकिन इसकी औपचारिक घोषणा अभी होगी या नहीं इस पर संशय है. वहीं 3 साल से खाली चल चल रहे विधानसभा उपाध्यक्ष पद को लेकर भी इस आवासीय चिंतन शिविर में फैसला हो सकता है.

यह भी पढ़ें - Haryana Assembly Committee Member in Jaipur : हरियाणा विधानसभा सदस्यों ने देखी राजस्‍थान विधानसभा

राज्यसभा चुनावों से पहले की प्री बाड़ेबंदीः इस बार गहलोत सरकार को अपने शासनकाल के साथ ही यदि किसी दूसरी बात के लिए याद किया जाएगा तो वह है बाड़ेबंदी. चाहे दूसरे राज्यों महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात या असम के विधायकों की राजधानी जयपुर में हुई बाड़ेबंदी हो या फिर राजस्थान के विधायकों की. पहले राज्यसभा चुनाव और फिर कांग्रेस के ही विधायकों की बगावत के बाद सरकार समर्थक विधायकों की बाड़ेबंदी हुई.

यह भी पढ़ें - 15वीं राजस्थान विधानसभा का सातवां सत्र 9 फरवरी से, बजट सत्र को लेकर अधिसूचना प्रकाशित...

लेकिन राजस्थान इस बार एक के बाद एक कई बाड़ाबंदियों का गवाह बना है. हालांकि इस बार कांग्रेस विधायकों का आवासीय शिविर किसी राजनीतिक संकट को लेकर नहीं हो रहा. लेकिन इसे जुलाई में होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले की प्री बाड़ाबंदी के तौर पर देखा जा रहा है. कांग्रेस के साथ ही समर्थक विधायकों को आवासीय शिविर में बुलाने का एक कारण जुलाई में होने वाले राज्यसभा चुनाव भी है. ताकि समर्थित विधायकों को भी सरकार यह आश्वासन दे सके कि वह राज्यसभा चुनाव में अपना समर्थन इसी तरीके से जारी रखें. इसके बदले में विधायकों को सरकार की ओर से न केवल उनकी प्रतिष्ठा में कोई कमी आने देगी, बल्कि उनको आने वाले समय में इनाम के तौर पर पद भी दिए जाएंगे.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा का सत्र 9 फरवरी (Rajasthan assembly session 2022) से शुरू होने जा रहा है. पहली बार कांग्रेस विधानसभा सत्र से पहले विधायक दल की बैठक के अलावा दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण भी देने जा रही है. कांग्रेस पार्टी इसे विधायकों का आवासीय प्रशिक्षण या चिंतन शिविर का नाम दे रही है. लेकिन इस बहाने सरकार 2 दिन तक कांग्रेस और समर्थक दलों के विधायकों की एक बार फिर बाडाबंदी करने जा रही है. जिससे विधानसभा सत्र के दौरान संख्या बल के लिहाज से विपक्ष के हमलों से खुद का बचाव कर सके.

विधानसभा सत्र में यह तय है कि रीट के मुद्दे पर चर्चा भी होगी और विपक्ष उसमें सरकार को घेरने का प्रयास भी करेगा. ऐसे में कांग्रेस पार्टी अघोषित बाड़ेबंदी (Pre fencing of Congress and supporting MLAs) के जरिए अपने विधायकों के साथ ही समर्थक दलों के विधायकों को भी विधानसभा में एकजुट रहने का फॉर्मूला देगी.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा

माकन, गहलोत, पायलट ओर डोटासरा लेंगे विधायको की क्लासः राजस्थान में कांग्रेस और समर्थक विधायकों के साथ 6 और 7 फरवरी को होने वाले कांग्रेस के आवासीय शिविर में विधायकों को विधानसभा सत्र को लेकर सीख दी जाएगी. इस दौरान सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अजय माकन, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा विधायकों को विधानसभा में कैसे फ्लोर मैनेजमेंट संभालना है, इसका गुर सिखाएंगे.

अजय माकन इस शिविर के लिए 5 फरवरी को रात 11 बजे जयपुर पहुंचेंगे. वे 6 फरवरी को अजमेर जाकर दरगाह शरीफ में सोनिया गांधी की चादर चढ़ाएंगे. इसके बाद शाम 5 बजे से जयपुर के होटल लीला में कांग्रेस ओर सहयोगी दलों और विधायकों के दो दिवसीय आवासीय चिंतन शिविर में भाग लेंगे. इस दौरान रात को भी यह सभी नेता होटल में ही रहेंगे.

विधानसभा में होगा गहलोत के पास पूरा मंत्रिमंडलः राजस्थान में कांग्रेस सरकार बने 3 साल से ज्यादा का समय हो चुका है. लेकिन गहलोत के इस कार्यकाल के तीसरे बजट में विधानसभा में पूरा मंत्रिमंडल दिखाई देगा. दरअसल राजस्थान में मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत 30 मंत्री हो सकते हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 29 मंत्री बना दिए हैं. ऐसे में सरकार के बचाव के लिए इस बार पूरा मंत्रिमंडल विधानसभा में रहेगा. लेकिन अगर विधायकों का सहयोग इन मंत्रियों को नहीं मिला तो सरकार के सामने विधानसभा के फ्लोर मैनेजमेंट में दिक्कत आ सकती है. यही कारण है कि सभी विधायकों को आवासीय प्रशिक्षण के जरिए मुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ एक जगह रखा जाएगा. जिससे अगर विधायकों की कोई शिकायत भी हो तो उसे पहले ही दूर किया जा सके और विधानसभा सत्र के दौरान कोई नाराजगी ना दिखाई दे.

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मुख्य सचेतक उपाध्यक्ष पर भी बन सकती है सहमतिः राजस्थान विधानसभा सत्र से पहले 6 और 7 फरवरी को कांग्रेस के आवासीय प्रशिक्षण शिविर में विधायकों की मौजूदगी में नया मुख्य सचेतक भी बनाया जा सकता है. हालांकि कहा जा रहा है की उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी को ही यह पद दिया जाएगा. लेकिन इसकी औपचारिक घोषणा अभी होगी या नहीं इस पर संशय है. वहीं 3 साल से खाली चल चल रहे विधानसभा उपाध्यक्ष पद को लेकर भी इस आवासीय चिंतन शिविर में फैसला हो सकता है.

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राज्यसभा चुनावों से पहले की प्री बाड़ेबंदीः इस बार गहलोत सरकार को अपने शासनकाल के साथ ही यदि किसी दूसरी बात के लिए याद किया जाएगा तो वह है बाड़ेबंदी. चाहे दूसरे राज्यों महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात या असम के विधायकों की राजधानी जयपुर में हुई बाड़ेबंदी हो या फिर राजस्थान के विधायकों की. पहले राज्यसभा चुनाव और फिर कांग्रेस के ही विधायकों की बगावत के बाद सरकार समर्थक विधायकों की बाड़ेबंदी हुई.

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लेकिन राजस्थान इस बार एक के बाद एक कई बाड़ाबंदियों का गवाह बना है. हालांकि इस बार कांग्रेस विधायकों का आवासीय शिविर किसी राजनीतिक संकट को लेकर नहीं हो रहा. लेकिन इसे जुलाई में होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले की प्री बाड़ाबंदी के तौर पर देखा जा रहा है. कांग्रेस के साथ ही समर्थक विधायकों को आवासीय शिविर में बुलाने का एक कारण जुलाई में होने वाले राज्यसभा चुनाव भी है. ताकि समर्थित विधायकों को भी सरकार यह आश्वासन दे सके कि वह राज्यसभा चुनाव में अपना समर्थन इसी तरीके से जारी रखें. इसके बदले में विधायकों को सरकार की ओर से न केवल उनकी प्रतिष्ठा में कोई कमी आने देगी, बल्कि उनको आने वाले समय में इनाम के तौर पर पद भी दिए जाएंगे.

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