जयपुर. कोरोना वायरस के बीच लागू लॉकडाउन में प्रवासी श्रमिकों को उनके घर पहुंचाने को लेकर लगातार मांग उठा रही है. प्रदेश की गहलोत सरकार बस और ट्रेन के जरिए श्रमिकों को उनके गृह राज्यों में भेज रही है. लेकिन इन सबके बीच सवाल यह उठ रहा है कि अगर प्रवासी श्रमिक चले जाएंगे तो प्रदेश के उद्योग को कैसे गति मिलेगी.
इसको लेकर श्रम सचिव नीरज के पवन ने Etv भारत से खास बातचीत की. इंटरव्यू में के पवन ने साफ कर दिया कि प्रवासी श्रमिकों के चले जाने से प्रदेश के उद्योग-धंधों को कोई असर नहीं पड़ेगा. के पवन के कहा कि सरकार ने अन्य राज्यों से वापस लौटने वाले हमारे श्रमिकों की लिस्ट तैयार कर ली है. जिला प्रशासन के जरिए हर जिले के उद्यमी को इनकी सूची उपलब्ध कराई जाएगी ताकि वो अपनी जरूरत के हिसाब से इन श्रमिकों से काम ले सकें.
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3 लाख श्रमिक लौट चुके हैं घर
नीरज के पवन ने कहा कि लॉकडाउन शुरू होने के साथ प्रदेश की गहलोत सरकार ने श्रमिकों के हितों में सोचना शुरू कर दिया था. इसको लेकर एक पोर्टल बनाई गई थी. इस पोर्टल पर अब तक 19 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं. जिसमें 8 लाख श्रमिक जो दूसरे राज्यों के है वो जाना चाहते हैं. जबकि 11 लाख श्रमिक दूसरे राज्यों से वापस अपने राज्य में आना चाहते हैं. इनमें से 3 लाख श्रमिक अभी भी आ चुके है और 1 लाख श्रमिकों को भेजा जा चुका है.
300 ट्रेनों की सीएम ने की है मांग
नीरज के पवन ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को भेजने के लिए लगातार केंद्र सरकार से वार्ता चल रही है. सीएम गहलोत के बार-बार आग्रह पर ट्रेन भी चलाई गई है. जिसका किराया राज्य सरकार देगी. अब केंद्र सरकार से ट्रेन बढ़ाने को लेकर बात हुई है. पहले 100 विशेष श्रमिक ट्रेन शुरू की गई थी. लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ा कर 300 की जा रही है.
कैंप में रहें श्रमिक
श्रम सचिव ने कहा कि जो श्रमिक पैदल निकल पड़े हैं, उनसे आग्रह है कि वो उसी जगह रुक जाएं. ट्रेन की व्यवस्था करवाकर जल्द सभी को भेज दिया जाएगा. नीरज के पवन ने कहा कि सरकार ने लॉकडाउन 3.0 कैम्प शुरू कर दिया गया है. जो श्रमिक जिस जिले में हैं, वहां का प्रशासन उनके खाने और रहने की व्यवस्था करेगा. उन्हें उन कैम्पों में रुकना चाहिए जब तक उनकी घर जाने की व्यवस्था नहीं हो जाती.
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450 उद्यमियों की तैयार हुई है लिस्ट
उद्योग पर श्रमिकों की वजह से पड़ने वाले प्रभाव पर नीरज के पवन ने कहा कि इसको लेकर दो विरोधाभास सामने आ रहे हैं. एक तरफ सरकार उद्योग शुरू करने की बात करती है जबकि दूसरी ओर श्रमिक पलायन कर रहे हैं. राजस्थान से 1 लाख श्रमिक गए हैं, जो दूसरे राज्य के थे. लेकिन 3 लाख श्रमिक जो अन्य राज्यों से वापस भी आए हैं, उनके लिए उद्यमियों से लगातार संवाद किया जा रहा है, बल्कि 450 से अधिक उद्योगपतियों की लिस्ट तैयार कर ली गई है. जिन्हें श्रमिकों की आवश्यकता है. उन्हें लौटकर आए श्रमिकों से कांटेक्ट करने को कहा जा रहा है.
नीरज के पवन ने कहा कि इन सब के बीच ये अच्छी बात निकल कर सामने आई है कि हमारे श्रमिकों को उनके गृह जिले या पास के जिले में काम मिल सकेगा. रोजगार के लिए उन्हें अन्य राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा. राजस्थान पहला ऐसा राज्य है जिसने काम करने की समय अवधि को 8 घंटे से बढ़ा कर 12 घंटे किया है. जिसकी तारीफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की है. इससे श्रमिक को काम का दुगना भुगतान भी मिलेगा. इसके साथ उद्योग को गति भी मिलेगी.