जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आगामी महीनों में सर्दी बढ़ने और त्यौहारी सीजन के कारण कोविड-19 महामारी का प्रकोप बढ़ने की आशंका है. इसे देखते हुए चिकित्सा और अन्य संबंधित विभाग माइक्रो मैनेजमेन्ट करते हुए प्रदेशभर में पुख्ता व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें. उन्होंने निर्देश दिए कि आगामी आवश्यकताओं को देखते हुए ऑक्सीजन और आईसीयू बैड की संख्या बढ़ाने के साथ ही पर्याप्त संख्या में वेंटीलेटर की उपलब्धता के लिए अभी से तैयारी की जाए.
सीएम अशोक गहलोत शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास पर कोविड-19 की समीक्षा बैठक की. उन्होंने कहा कि राजस्थान में अब तक कोविड-19 का बेहतरीन प्रबंधन किया गया है. इसी का परिणाम है कि अब तक यह जंग हम सफलतापूर्वक लड़ पाए हैं. आगे भी हमारा प्रदेश कोरोना की लड़ाई में मॉडल स्टेट बना रहे, इसके लिए कोविड से संबंधित सभी व्यवस्थाओं एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर की माइक्रो मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी महीनों में पॉजिटिव केस बढ़ने पर अतिरिक्त मानव संसाधनों की भी आवश्यकता होगी. इसको ध्यान में रखते हुए तकनीकी दक्षता रखने वाले अभ्यर्थियों का पहले से ही चयन कर लें ताकि आवश्यकता होने पर संविदा आधार पर उनकी सेवाएं ली जा सकें. उन्होंने कहा कि जीवन रक्षा राज्य सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है. इसलिए कोविड-19 से निपटने में संसाधनों को लेकर कोई कमी नहीं रखी जाए.
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गहलोत ने प्रदेशभर में कोरोना के उपचार के लिए की जा रही व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि किसी भी अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी नहीं रहे. इसकी सतत मॉनिटरिंग की जाए. ऑक्सीजन के नए प्लांट जल्द स्थापित करने के साथ ही भावी जरूरतों को देखते हुए सिलेण्डरों की अतिरिक्त व्यवस्था की जाए. उन्होंने लोगों से अपील की है कि बुखार, खांसी, सर्दी और जुकाम के लक्षण होने पर वे तुरन्त प्रभाव से अस्पताल जाकर चिकित्सक से परामर्श लें. कई बार देखा गया है कि उपचार में देरी के कारण रोगियों में कोरोना का संक्रमण काफी बढ़ गया और उन्हें जान गंवानी पड़ी.
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि 2000 चिकित्सकों की नियुक्ति की प्रक्रिया तेजी से चल रही है. इस माह के अंत तक ये चिकित्सक अस्पतालों में सेवाएं देना प्रारंभ कर देंगे. शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा वैभल गालरिया ने बताया कि राज्य में वर्तमान में कोविड रोगियों के लिए पर्याप्त संख्या में ऑक्सीजन और आईसीयू बैड उपलब्ध है. प्रदेशभर में उपलब्ध आईसीयू बैड में से करीब 40 प्रतिशत बेड पर ही रोगी हैं.