जयपुर. राजस्थान खाद्य एवं आपूर्ति सेवा समिति के बैनर तले गुरुवार को जयपुर में एक महत्वपूर्ण बैठक की गई. जिसमें प्रदेश के जिला रसद अधिकारियों, प्रवर्तन अधिकारियों एवं प्रवर्तन निरीक्षकों ने भाग लिया. समिति की अध्यक्ष बबिता यादव ने बताया कि अधिकारियों के प्रति अनुचित व्यवहार और अन्य लंबित प्रकरणों एवं मांगों के संबंध में मुख्य सचिव को भी ज्ञापन दिया गया है.
यादव ने बताया कि कार्यकारिणी व सदस्यों द्वारा निर्णय लिया गया कि अगर अंकित पचार को पुनः बहाल नहीं किया गया और अन्य मांगों का भी निस्तारण नहीं किया गया तो 1 अक्टूबर से सम्पूर्ण राज्य में गेहूं का उठाव, वितरण, जनाधार, मीटिंग सहित अन्य समस्त कार्यों का सम्पूर्ण रूप से बहिष्कार किया जाएगा.
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समिति की अध्यक्ष बबिता यादव ने बताया कि अजमेर जिले के रसद अधिकारी अंकित पचार को बिना विधिक प्रक्रिया अपनाए व बिना सक्षम स्तर के अनुमोदन से बर्खास्त किया गया है. पचार को तुरन्त प्रभाव से बहाल किया जाए. साथ ही विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा सभी जिला रसद अधिकारियों, प्रवर्तन अधिकारियों व प्रवर्तन निरीक्षकों के खिलाफ नकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है. इससे जिला रसद अधिकारी, प्रवर्तन अधिकारी एवं प्रवर्तन निरीक्षकों में असन्तोष व्याप्त है. लगभग सभी जिला रसद अधिकारी, प्रवर्तन अधिकारी एवं प्रवर्तन निरीक्षकों के साथ विभाग नोटिस देने की कार्यवाही कर रहा है, जिसका कोई ठोस आधार नहीं है.
इससे सभी अधिकारी मानसिक रूप से प्रताड़ित हैं. पिछले 6 माह में विभाग के कई जिला रसद अधिकारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए मजबूर कर दिया गया. कई स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति भी ले चुके हैं. इसलिए प्रशासनिक नेतृत्व को तुरन्त प्रभाव से हटाया जाए. जिन अधिकारियों का परिवीक्षाकाल पूरा हो चुका है, यदि 1 अक्टूबर तक स्थायी नहीं किया जाता है तो समिति इसके खिलाफ कठोर निर्णय लेगी.
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यादव ने कहा कि विभाग के जिन अधिकारियों के खाद्य विभाग में प्रकरण लम्बित हैं उनके संबंध में कई बार ज्ञापन देने के बावजूद भी उनका निस्तारण नहीं किया जा रहा है. मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का कार्य किया जा रहा है, जो कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त के विरुद्ध है. ऐसे लम्बित प्रकरणों का तुरन्त निस्तारण किया जाए जिनसें उन अधिकारियों को मानसिक तनाव से मुक्ति मिल सके. यादव ने कहा कि राजस्थान खाद एवं आपूर्ति सेवा समिति की मांगों पर जल्दी कोई निर्णय नहीं किया गया तो 1 अक्टूबर से अधिकारी रसद कर्यालय नहीं जाएंगे इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी.