नई दिल्ली: सीपीआई (माओवादी) संगठन, पूर्व नक्सलियों को संगठन में फिर से शामिल होने के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. एनआईए ने पकड़े गए माओवादी नेताओं के खिलाफ दायर आरोपपत्रों में ये आरोप लगाये हैं. एनआईए ने कहा है कि नक्सली संगठन विशेष रूप से छत्तीसगढ़ और बिहार में आत्मसमर्पण करने वाले अधिकांश नक्सलियों को फिर से संगठन में शामिल होने के लिए दबाव बना रहा है.
प्रमोद मिश्रा के खिलाफ आरोप पत्रः एनआईए ने माओवादी नेता प्रमोद मिश्रा उर्फ सोहन दा उर्फ मदन दा उर्फ बीबी जे उर्फ बाबा के खिलाफ दायर आरोपपत्र में ऐसे ही आरोप लगाये. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि प्रमोद मिश्रा पूर्व नक्सलियों को प्रतिबंधित नकस्ली संगठन सीपीआई (माओवादी) में फिर से शामिल होने के लिए प्रेरित करने में भी शामिल था. बिहार के बगहा जिले के लौकरिया पुलिस स्टेशन के बैरियाकला गांव में सीपीआई (माओवादी) के सदस्यों से एके-47 की बरामदगी से संबंधित मामले में मिश्रा के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया है.
क्या लिखा है आरोप पत्र मेंः "मिश्रा का इरादा उन वरिष्ठ आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को विभिन्न भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल करना था. वह आम जनता में आतंक पैदा करना चाहता है और भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डालना चाहता है." प्रमोद मिश्रा पर आईपीसी की धारा 120 बी और 121 ए और यूए (पी) अधिनियम, 1967 की धारा 16, 17, 18, 20, 38 39 और 40 के तहत आरोप लगाए गए हैं.
नक्सल विचारधार का कर रहा था प्रचारः जांच के दौरान, पाया गया कि मिश्रा सीपीआई (माओवादी) की विचारधारा का प्रचार कर रहा था. संगठन के लिए हथियार और गोला-बारूद का इंतजाम कर रहा था. वास्तव में, मिश्रा संगठन के प्रमुख नेताओं में से एक था जो संगठन के लिए धन जुटाने का काम देख रहा था. आरोप पत्र में कहा गया है कि इन निधियों का इस्तेमाल नक्सल गतिविधियों को अंजाम देने के लिए हथियार और गोला-बारूद खरीदने में किया गया.
नक्सल संगठन को मजबूत करने की कवायदः एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि संगठन फिलहाल बिहार और छत्तीसगढ़ में फिर से संगठित होने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए सुरक्षा विशेषज्ञ और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह ने भी माना कि माओवादी निश्चित रूप से अपने कैडरों को फिर से संगठित करने और संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं.
नक्सली संगठन को झटकाः प्रकाश सिंह ने कहा, "सुरक्षा एजेंसियों द्वारा लगातार चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियानों ने निश्चित रूप से उन्हें झटका दिया है. इसलिए, अपने संगठन को मजबूत करने के उद्देश्य से वे फिर से संगठित होने का प्रयास शुरू कर सकते हैं." हालांकि, सिंह के अनुसार, नक्सलियों के खिलाफ सभी एजेंसियों का समन्वित दृष्टिकोण होना चाहिए. सिंह ने कहा, नक्सल विरोधी अभियानों को चलाने के साथ-साथ विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच उचित और वास्तविक समय की खुफिया जानकारी साझा की जानी चाहिए.
छत्तीसगढ़ ज्यादा प्रभावितः सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2013 की तुलना में 2023 में हिंसक घटनाओं में कुल 48 प्रतिशत की कमी आई है. 2013 में 1136 थो जो 3023 में 594 रहा. वामपंथी उग्रवाद से होने वाली मौतों (नागरिकों और सुरक्षा बलों) में 65 प्रतिशत की कमी आई है. 2013 में जहां यह आंकड़ा 397 था वह 2023 में 138 रहा. छत्तीसगढ़ बुरी तरह से नक्सल प्रभावित राज्य रहा है. वामपंथी उग्रवाद से संबंधित कुल हिंसा की घटनाओं में 63 प्रतिशत और इसके परिणामस्वरूप होने वाली मौतों में 66 प्रतिशत की हिस्सेदारी यहीं की है.
वामपंथी उग्रवाद की समस्या को प्रभावी तरीके से समग्र रूप से संबोधित करने के लिए, केंद्र सरकार ने सुरक्षा, विकास, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और पात्रता को सुनिश्चित करने आदि के क्षेत्रों में बहुआयामी रणनीति अपनाते हुए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना तैयार की है.
सड़क आवश्यकता योजना-I (आरआरपी-I): यह योजना आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश सहित 8 राज्यों के वामपंथी उग्रवाद प्रभावित 34 जिलों में सड़क संपर्क में सुधार के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही है. इस योजना में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में 5,361 किलोमीटर लंबी सड़कों के निर्माण की परिकल्पना की गई है, जिनमें से 5178 किलोमीटर सड़कें पूरी हो चुकी हैं.
सड़क संपर्क परियोजना (आरसीपीएलडब्ल्यूई): सरकार ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सड़क संपर्क में और सुधार के लिए 28 दिसंबर, 2016 को इस योजना को मंजूरी दी. जिस पर 11 हजार 725 करोड़ रुपये का अनुमानित व्यय होगा. इस योजना के तहत 12,228 किलोमीटर सड़कें और 705 पुल स्वीकृत किए गए हैं. ग्रामीण विकास मंत्रालय इस परियोजना के लिए नोडल मंत्रालय है. इस योजना के तहत शामिल सड़कों की पहचान गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों और सुरक्षा एजेंसियों के परामर्श से की है. 9334 किलोमीटर सड़कें और 455 पुल निर्माण कार्य पूरे हो चुके हैं.
दूरसंचार संपर्क: दूरसंचार संपर्क में सुधार के लिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में तीन दूरसंचार परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं. जिनका नाम है मोबाइल संपर्क परियोजना चरण-I और चरण-II, आकांक्षी जिलों के गांवों में 4जी मोबाइल सेवाओं का प्रावधान और 4जी मोबाइल सेवाओं की संतृप्ति. इन परियोजनाओं के तहत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में कुल 10,547 मोबाइल टावर लगाने की योजना है.
इसे भी पढ़ेंः