नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने जान गंवा चुके बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष की पत्नी को सोमवार को निर्देश दिया कि वह अपने नाबालिग बेटे को कोर्ट के सामने पेश करे.
इस संबंध में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सुभाष की अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता से कहा कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बच्चे को प्रस्तुत करें. साथ ही पीठ ने कहा, ‘‘यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका है. हम बच्चे को देखना चाहते हैं, इसलिए बच्चे को पेश करें.’’ वहीं निकिता सिंघानिया की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह 30 मिनट के अंदर बच्चे को पेश कर देंगे.
कोर्ट मामले की सुनवाई जारी रखेगी. कोर्ट को बताया गया कि बच्चे ने हरियाणा में स्कूल छोड़ दिया है और इस समय वह अपनी मां के साथ रह रहा है. पीठ अतुल सुभाष की मां अंजू देवी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उन्होंने अपने चार-वर्षीय पोते की अभिरक्षा का अनुरोध करते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है.
हालांकि कोर्ट ने सात जनवरी को उन्हें नाबालिग बच्चे का संरक्षण देने से यह कहते हुए मना कर दिया था कि वह बच्चे के लिए अजनबी हैं. बता दें कि अतुल सुभाष (34) का शव पिछले साल नौ दिसंबर को बेंगलुरु के मुन्नेकोलालु में अपने घर में फंदे से लटका मिला था. उन्होंने कथित तौर पर लंबे संदेश छोड़े थे, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों को सुसाइड के लिए मजबूर करने का दोषी ठहराया गया था.
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