जयपुर. एक ओर कोरोना संक्रमण काल में जिंदगी की रफ्तार रुकी हुई है. दूसरी ओर नेशनल टेस्ट एजेंसी की ओर से जेईई और नीट की तारीखों का एलान कर दिया है. जेईई मेंस 1 से 6 सितंबर तक और नीट की परीक्षा 13 सितंबर को होगी. लेकिन कोरोना को देखते हुए यह सवाल उठ रहे हैं कि पहले परीक्षा जरूरी है या जिंदगी का इम्तिहान.
एक ओर जहां इस मामले में छात्र विरोध कर रहे हैं, तो दूसरी ओर राजनीतिक पार्टियों ने भी इस मामले को मुद्दा बना लिया है. खास तौर पर कांग्रेस पार्टी ने इस मामले में जमकर विरोध किया है. वहीं, इन परीक्षाओं को लेकर शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि कोरोना काल में परीक्षा करवाने और स्कूल कॉलेज खोलने का निर्णय अब तक केंद्र सरकार के लॉकडाउन के आदेश के तहत हो रहा है.
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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को सबसे पहले इस बात की पुख्ता व्यवस्था करनी चाहिए कि यह संक्रमण हमारे बच्चों में नहीं फैले. अगर यह व्यवस्था होती है तो केंद्र और राज्य सरकारों को इस बारे में सोचना चाहिए. लेकिन इस बात की व्यवस्था जरूर करनी चाहिए कि हमारे बच्चे संक्रमण की चपेट में न आ जाए.
इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस सब विद्यार्थियों के साथ हैं जो नीट और जेईई की परीक्षा कोरोना संक्रमण के चलते इसे टालना चाहते हैं. बता दें कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान वह तीसरा राज्य है जहां सबसे ज्यादा नीट की परीक्षा देने वाले छात्र हैं. जहां महाराष्ट्र में 2 लाख 28 हजार, उत्तर प्रदेश में 1लाख 54 तो वहीं राजस्थान में 1 लाख 38 हजार छात्र ऐसे हैं, जो नीट की परीक्षा में बैठेंगे. नीट परीक्षा में देशभर के कुल 15 लाख 97 हजार और जेईई की परीक्षा में 8 लाख 58 हजार छात्र परीक्षा देंगे.