जयपुर. प्रदेश के शिक्षकों से प्रशासनिक अधिकारी हर दिन अनोखे काम संभलवा रहे हैं. पहले शिक्षकों की ड्यूटी टिड्डी बचाव और बाढ़ नियंत्रण दल में लगाई गई. वहीं, अब शिक्षकों की ड्यूटी मृत्युभोज और शादी में सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने में लगाई गई है. जिससे शिक्षकों में भारी असंतोष व्याप्त है.
प्रदेश में शिक्षक की छवि धुमिल होती जा रही है. बतौर कोरोना वॉरियर तक तो ठीक था. लेकिन अब तो शिक्षकों की ड्यूटी मृत्युभोज और शादी समारोह में सोशल डिस्टेंस मेंटेन करने में भी लगाई जा रही है. दरअसल, बारां जिला के किशनपुरा कार्यालय प्रधानाचार्य पीईईओ ने आदेश जारी करते हुए चार शिक्षकों को शादी में सोशल डिस्टेंस बनाने के लिए पाबंद किया है.
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वहीं, पाली जिले के दूदौड़ ग्राम पंचायत में चार शिक्षकों को मृत्युभोज में भीड़ पर निगरानी रखने के लिए निर्देश दिए गए हैं. इसी तरह धौलपुर जिले के राजखेड़ा पंचायत समिति के बीडीओ ने शिक्षकों की ड्यूटी मनरेगा में मॉनिटरिंग कार्य में लगा दी. इसके अलावा करौली मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने 12 शिक्षकों को क्वॉरेंटाइन सेंटर पर रह रहे प्रवासियों के स्वास्थ्य और मनोरंजन के लिए तैनात किया है.
ऐसे आदेशों को लेकर अब शिक्षकों में रोष व्याप्त है. शिक्षक संगठनों की माने तो कुछ उपखंड अधिकारी शिक्षकों के लिए नित नए आदेश निकाल रहे हैं. कोई मृत्युभोज में तो कोई शादी में, नरेगा और आवार पशुओं की गणना में भी शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा रही है. इससे शिक्षकों में काफी असंतोष है, जो चिंता का विषय है.
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ऐसे में अब सीएम और शिक्षा मंत्री को पत्र लिख कर ये मांग की गई है कि प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से इस तरह के आदेश ना निकाले जाए, जिससे शिक्षकों की गरीमा ना गिरे. बता दें कि इससे पहले शिक्षकों की ड्यूटी टिड्डियों को उड़ाने और बाढ़ नियंत्रण दल में भी लगाई गई थी.
हालांकि, करौली जिला कलेक्टर ने शिक्षकों को आवारा पशुओं की गणना में लगाने का जो आदेश निकाला था उसे वापस ले लिया. लेकिन अभी भी कई आदेश ऐसे हैं जो सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और आरटीई के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. जबकि बोर्ड परीक्षा के मद्देनजर शिक्षकों को अब कोरोना ड्यूटी से मुक्त कर 14 दिन के लिए होम आईसोलेशन के निर्देश जारी करने की मांग उठ रही है.