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Special: जिंदगी बचाने की जिद...घर-परिवार से दूर कुछ इस तरह फर्ज निभा रहे 'योद्धा'

कहते हैं जिम्मेदारी निभाने वाले मरते दम तक निभाते हैं. कुछ ऐसी ही कर्तव्यनिष्ठा प्रदेश के चिकित्सकों की है, जो कोरोना के इस जंग में महीनों से अपने घर नहीं गए. इनका कहना है कि ऐसी विकट परिस्थिति में उन्हें अपनी जिम्मेदारी और मानवता की सेवा करने का मौका मिला है. वे किसी भी स्थिति में इससे पीछे नहीं हटना चाहते. पढ़ें और समझें पूरी खबर...

जयपुर समाचार, jaipur news
फर्ज के आगे परिवार को भूले चिकित्सक
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Published : Aug 10, 2020, 6:02 PM IST

जयपुर. बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर पूरा देश परेशान है. राजस्थान में भी 53 हजार से अधिक कोरोना के मामले आ चुके हैं. इस बीमारी से लड़ने के लिए हेल्थ वॉरियर्स लगातार जंग लड़ रहे हैं. इनमें से कुछ चिकित्सक तो ऐसे हैं जो काफी लंबे समय से घर नहीं जा पाए हैं और ना हीं अपने परिजनों से मिले हैं. चाहे कोविड सेंटर पर कार्यरत चिकित्सक हो या क्षेत्रों में जाकर खुद की जान जोखिम में डालकर लोगों की सैंपलिंग करना हो, वे अपना काम बखूबी से निभा रहे हैं.

फर्ज के आगे परिवार से दूर चिकित्सक...

तनाव नहीं चैलेंज...

इन चिकित्सकों का कहना है कि ऐसी परिस्थिति में उन्हें अपनी जिम्मेदारी और मानवता की सेवा करने का मौका मिला है, जिससे वे किसी भी परिस्थिति में पीछे नहीं हटना चाहते हैं. जब उनसे पूछा गया कि वे काफी लंबे समय से घर नहीं गए, ऐसे में उन्हें तनाव का सामना करना पड़ रहा होगा. इस पर चिकित्सकों ने जवाब दिया कि भले ही वो बीते कुछ समय से अपने घर नहीं जाकर लगातार कार्य कर रहे हों, लेकिन उन्होंने इस दौरान इस कार्य को तनाव लेकर नहीं, बल्कि एक चैलेंज के रूप में स्वीकार किया है.

जयपुर समाचार, jaipur news
कोरोना की जंग लड़ रहे हेल्थ वॉरियर्स...

सीएमएचओ टीम के डॉ. नवीन शर्मा ने बताया कि बीते 5 महीने से वह शहर के अलग-अलग स्थानों पर लगातार सैंपलिंग लेने का काम कर रहे हैं. इस बीच वे अभी तक अपने घर नहीं गए, क्योंकि उनके परिवार में भी बच्चे और बूढ़े हैं. ऐसे में उनमें संक्रमण का खतरा पैदा हो सकता है.

जयपुर समाचार, jaipur news
महीनों से नहीं गए घर...

पढ़ें- Special Report: कोरोना काल में दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ते बूंदी के बैंककर्मी

डॉ. जयदीप सिंह राजावत का कहना है कि शहर में स्क्रीनिंग का काम का जिम्मा उन्हें सौंपा गया है. इसके चलते बीते 4 महीनों से वे लगातार इसी काम में जुटे हुए हैं. डॉ. योगराज इंदौरिया का कहना है कि वह तो लंबे समय से घर के बाहर ही रहे हैं, क्योंकि वह एक मिलिट्री परिवार से हैं और घर से बाहर एवं घरवालों से लंबे समय तक नहीं मिलना यह तो उन्हें विरासत में मिला है.

जयपुर समाचार, jaipur news
घर से दूर कर रहे काम...

RUHS अस्पताल को कोविड-19 सेंटर में बदला...

शुरुआत में जब राजधानी जयपुर में कोरोना के मामलों में वृद्धि हुई तो सीएमएचओ की टीम द्वारा सैंपलिंग कर पॉजिटिव मरीजों को सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां इन मरीजों का इलाज किया जाता था, लेकिन अब इस अस्पताल को कोविड मुक्त कर दिया गया है. अब प्रताप नगर स्थित आरयूएचएस अस्पताल को कोविड-19 सेंटर में बदला गया है और यहां पॉजिटिव मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

भाई की हुई मौत, लेकिन जिम्मेदारी से नहीं हटे पीछे...

डॉ. सतीश मिश्रा ने बताया कि कोरोना काल के दौरान उनके भाई की मौत हो गई, लेकिन भाई की मौत के बाद भी महज आधे घंटे के लिए ही वह अपने घर गए थे और फिर से अपनी जिम्मेदारी निभाने में जुट गए. डॉ. मिश्रा ने यह भी बताया कि उनकी पत्नी गर्भवती है और बीते 6 महीने से वे अपने घर नहीं जा पाए हैं. दरअसल, डॉ. मिश्रा को टेस्टिंग से जुड़ा जिम्मा सौंपा गया था.

पढ़ें- Special: अनलॉक में भी फूल व्यवसाय 'लॉक'...व्यापारियों का गुजर-बसर करना हुआ मुश्किल

उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में कोरोना टेस्ट के लिए लोगों को समझाना सबसे बड़ी समस्या होती थी और काफी समझाइश के बाद लोग सैंपलिंग के लिए राजी होते थे. ऐसे में उन्होंने शहर के अलग-अलग स्थानों पर सैंपल से जुड़ा काम भी देखा है और अभी भी एक योद्धा की तरह कोरोना से जंग लड़ रहे हैं.

जयपुर. बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर पूरा देश परेशान है. राजस्थान में भी 53 हजार से अधिक कोरोना के मामले आ चुके हैं. इस बीमारी से लड़ने के लिए हेल्थ वॉरियर्स लगातार जंग लड़ रहे हैं. इनमें से कुछ चिकित्सक तो ऐसे हैं जो काफी लंबे समय से घर नहीं जा पाए हैं और ना हीं अपने परिजनों से मिले हैं. चाहे कोविड सेंटर पर कार्यरत चिकित्सक हो या क्षेत्रों में जाकर खुद की जान जोखिम में डालकर लोगों की सैंपलिंग करना हो, वे अपना काम बखूबी से निभा रहे हैं.

फर्ज के आगे परिवार से दूर चिकित्सक...

तनाव नहीं चैलेंज...

इन चिकित्सकों का कहना है कि ऐसी परिस्थिति में उन्हें अपनी जिम्मेदारी और मानवता की सेवा करने का मौका मिला है, जिससे वे किसी भी परिस्थिति में पीछे नहीं हटना चाहते हैं. जब उनसे पूछा गया कि वे काफी लंबे समय से घर नहीं गए, ऐसे में उन्हें तनाव का सामना करना पड़ रहा होगा. इस पर चिकित्सकों ने जवाब दिया कि भले ही वो बीते कुछ समय से अपने घर नहीं जाकर लगातार कार्य कर रहे हों, लेकिन उन्होंने इस दौरान इस कार्य को तनाव लेकर नहीं, बल्कि एक चैलेंज के रूप में स्वीकार किया है.

जयपुर समाचार, jaipur news
कोरोना की जंग लड़ रहे हेल्थ वॉरियर्स...

सीएमएचओ टीम के डॉ. नवीन शर्मा ने बताया कि बीते 5 महीने से वह शहर के अलग-अलग स्थानों पर लगातार सैंपलिंग लेने का काम कर रहे हैं. इस बीच वे अभी तक अपने घर नहीं गए, क्योंकि उनके परिवार में भी बच्चे और बूढ़े हैं. ऐसे में उनमें संक्रमण का खतरा पैदा हो सकता है.

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महीनों से नहीं गए घर...

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डॉ. जयदीप सिंह राजावत का कहना है कि शहर में स्क्रीनिंग का काम का जिम्मा उन्हें सौंपा गया है. इसके चलते बीते 4 महीनों से वे लगातार इसी काम में जुटे हुए हैं. डॉ. योगराज इंदौरिया का कहना है कि वह तो लंबे समय से घर के बाहर ही रहे हैं, क्योंकि वह एक मिलिट्री परिवार से हैं और घर से बाहर एवं घरवालों से लंबे समय तक नहीं मिलना यह तो उन्हें विरासत में मिला है.

जयपुर समाचार, jaipur news
घर से दूर कर रहे काम...

RUHS अस्पताल को कोविड-19 सेंटर में बदला...

शुरुआत में जब राजधानी जयपुर में कोरोना के मामलों में वृद्धि हुई तो सीएमएचओ की टीम द्वारा सैंपलिंग कर पॉजिटिव मरीजों को सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां इन मरीजों का इलाज किया जाता था, लेकिन अब इस अस्पताल को कोविड मुक्त कर दिया गया है. अब प्रताप नगर स्थित आरयूएचएस अस्पताल को कोविड-19 सेंटर में बदला गया है और यहां पॉजिटिव मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

भाई की हुई मौत, लेकिन जिम्मेदारी से नहीं हटे पीछे...

डॉ. सतीश मिश्रा ने बताया कि कोरोना काल के दौरान उनके भाई की मौत हो गई, लेकिन भाई की मौत के बाद भी महज आधे घंटे के लिए ही वह अपने घर गए थे और फिर से अपनी जिम्मेदारी निभाने में जुट गए. डॉ. मिश्रा ने यह भी बताया कि उनकी पत्नी गर्भवती है और बीते 6 महीने से वे अपने घर नहीं जा पाए हैं. दरअसल, डॉ. मिश्रा को टेस्टिंग से जुड़ा जिम्मा सौंपा गया था.

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उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में कोरोना टेस्ट के लिए लोगों को समझाना सबसे बड़ी समस्या होती थी और काफी समझाइश के बाद लोग सैंपलिंग के लिए राजी होते थे. ऐसे में उन्होंने शहर के अलग-अलग स्थानों पर सैंपल से जुड़ा काम भी देखा है और अभी भी एक योद्धा की तरह कोरोना से जंग लड़ रहे हैं.

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