जयपुर. राजस्थान छात्रसंघ चुनावों में कांग्रेस औंधे मुंह गिरी. करारी शिकस्त से पार्टी उबर नहीं पाई है. इसका आफ्टर इफेक्ट बय सोशल प्लेटफॉर्म्स पर दिखने लगा है. छात्रनेता से लेकर वरिष्ठ नेता तक अपनी राय बेबाकी से जाहिर कर रहे हैं (RUSU election 2022 effect). एक भी विश्वविद्यालय में जीत दर्ज नहीं कर पाने पर सचिन पायलट ने चिंता जताई. उन्होंने कहा कि हुए संगठन और सरकार को सोचने की आवश्यकता बताई.
सचिन पायलट का कहना था कि प्रदेश NSUI प्रेसिडेंट अभिषेक चौधरी ने भीतरघात और जयचन्दों का जिक्र छेड़ दिया (State NSUI President Reacts on Pilot Comment). उन्होंने ट्वीट किया. लिखा छात्रसंघ चुनाव के परिणामों की पूर्ण जिम्मेदारी मैं लेता हूं, लेकिन एक बात कहना चाहूंगा कि भीतरघात का कोई समाधान नहीं है. 'विभीषण व जयचंदों' का कोई समाधान नहीं है.
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मदेरणा का ट्वीट: उनके इस पोस्ट का जवाब दिव्या मदेरणा ने दिया. मदेरणा ने तंज भरा ट्वीट किया. लिखा- शून्य पर आउट होने को शानदार प्रदर्शन कहने वाले ये पहले और अंतिम व्यक्ति होंगे. साथ ही सवाल उठाया कि- बताएं कि 2014 में एनएसयूआई के विभीषण और जयचंद कौन थे ? एनएसयूआई के शून्य होने पर चर्चाओं का बाजार उफान पर है और हो भी क्यों नहीं, लेकिन इस मामले में संगठन को दोष नहीं दिया जा सकता क्योंकि यह जब अध्यक्ष बने थे तो जबरदस्त आपदा भी चल रही थी. खुद सरकार संकट में थी एनएसयूआई का अध्यक्ष कौन बने कौन नहीं बने उस समय इसमें किसी को लेश मात्र रुचि नहीं थी.
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CM गहलोत को भी लपेटा: मदेरणा ने एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी पर तो निशाना साधा ही, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी नहीं छोड़ा. इतिहास याद दिला दिया. 1998 में बीजेपी की 33 सीटें आने और उसके बाद के हालात पर एक ट्वीट पर रिट्वीट करते हुए कहा कि, हम 1998 के बाद फिर कभी 100 का आंकड़ा पार नहीं कर पाए. आपको बता दें कि 1998 के चुनाव कांग्रेस ने दिव्या मदेरणा के दादा और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष परसराम मदेरणा के नाम पर लड़ाई थे लेकिन मुख्यमंत्री उस समय अशोक गहलोत को बना दिया गया था.