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पर्यटन और होटल्स से जुड़े सगंठनों ने पुरानी आबकारी नीति को लागू करने की रखी मांग

जयपुर के पर्यटन और होटल्स से जुड़े विभिन्न संगठनों ने सरकार से पिछली आबकारी नीति को लागू करने की मांग की है. गौरतलब है कि हेरिटेज होटल्स पर आबकारी लाइसेंस फीस में 500 से 800 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने पर होटल्स एसोसिएशन में आक्रोश है.

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होटल्स एसोसिएशन में आक्रोश
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Published : Feb 18, 2020, 11:29 PM IST

जयपुर. शहर में पर्यटन और होटल्स से जुड़े विभिन्न संगठनों ने एक मंच पर आकर राज्य सरकार से अपनी मांगे रखी है. हेरिटेज होटल्स पर आबकारी लाइसेंस फीस में 500 से 800 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने पर होटल्स एसोसिएशन में आक्रोश है और उन्होंने सरकार से मांग की है कि पिछली आबकारी नीति को ही लागू किया जाए.

पुरानी आबकारी नीति को लागू करने की रखी मांग

होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष कुलदीप सिंह चंदेला ने कहा कि नई आबकारी नीति से पर्यटन जगत को बहुत नुकसान होगा. इससे हेरिटेज देखने और इनमें ठहरने वाले पर्यटकों में कमी आएगी, जिससे ग्रामीण इलाकों में पर्यटन का विकास रुक जाएगा.

पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: बेरोजगारी भत्ते का सच, जब ईटीवी भारत ने पूछा सवाल, तो मंत्री डोटासरा ने जोड़े हाथ

साथ ही उन्होंने कहा कि आबकारी लाइसेंस फीस को वर्ष 2019-20 की नीति के तहत ही रखना चाहिए. इसी के साथ संगठनों ने मांग रखी है कि होटलों को नियमित करने और यथा स्थिति में चल रहे होटलों की भूमि का आरक्षित दर का 25 प्रतिशत राशि वसूल कर नियमित करने में राज्य सरकार मदद करे. अगर सरकार ऐसा करती है तो सरकार को लगभग दो हजार करोड़ तक का राजस्व मिलेगा.

इसी के साथ सभी संगठनों ने राज्य सरकार के आने वाले बजट 2020 को लेकर अपील की है, कि पर्यटन के चहुमुंखी विकास के लिए देश और विदेश में अच्छी मार्केटिंग की जरूरत है. इसलिए राज्य सरकार को पर्यटन का बजट दोगुना करना चाहिए. वहीं राज्य सरकार पर्यटन विभाग के बजट की भरपाई प्रदेश में चल रहे हजारों होटल और गेस्ट हाउस को नियमित कर हो सकती है.

जयपुर. शहर में पर्यटन और होटल्स से जुड़े विभिन्न संगठनों ने एक मंच पर आकर राज्य सरकार से अपनी मांगे रखी है. हेरिटेज होटल्स पर आबकारी लाइसेंस फीस में 500 से 800 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने पर होटल्स एसोसिएशन में आक्रोश है और उन्होंने सरकार से मांग की है कि पिछली आबकारी नीति को ही लागू किया जाए.

पुरानी आबकारी नीति को लागू करने की रखी मांग

होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष कुलदीप सिंह चंदेला ने कहा कि नई आबकारी नीति से पर्यटन जगत को बहुत नुकसान होगा. इससे हेरिटेज देखने और इनमें ठहरने वाले पर्यटकों में कमी आएगी, जिससे ग्रामीण इलाकों में पर्यटन का विकास रुक जाएगा.

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साथ ही उन्होंने कहा कि आबकारी लाइसेंस फीस को वर्ष 2019-20 की नीति के तहत ही रखना चाहिए. इसी के साथ संगठनों ने मांग रखी है कि होटलों को नियमित करने और यथा स्थिति में चल रहे होटलों की भूमि का आरक्षित दर का 25 प्रतिशत राशि वसूल कर नियमित करने में राज्य सरकार मदद करे. अगर सरकार ऐसा करती है तो सरकार को लगभग दो हजार करोड़ तक का राजस्व मिलेगा.

इसी के साथ सभी संगठनों ने राज्य सरकार के आने वाले बजट 2020 को लेकर अपील की है, कि पर्यटन के चहुमुंखी विकास के लिए देश और विदेश में अच्छी मार्केटिंग की जरूरत है. इसलिए राज्य सरकार को पर्यटन का बजट दोगुना करना चाहिए. वहीं राज्य सरकार पर्यटन विभाग के बजट की भरपाई प्रदेश में चल रहे हजारों होटल और गेस्ट हाउस को नियमित कर हो सकती है.

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