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मेडिकल में ठेका कर्मचारियों को नियमित संविदा पर नियुक्ति की उठी मांग, मुख्यमंत्री के नाम दिया ज्ञापन

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत ने शनिवार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया. जिसमें ठेकेदार के मार्फत काम करने वाले प्रदेश के मेडिकल विभाग के कर्मचारियों को नियमित संविदा पर लगाने की मांग की है.

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Published : May 16, 2020, 5:03 PM IST

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ठेका कर्मचारियों की नियमित संविदा पर नियुक्ति की मांग

जयपुर. मेडिकल विभाग में ठेकेदार के मार्फत काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित संविदा पर लगाने की मांग तेजी से उठने लगी है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया है. जिसमें ठेकेदार के मार्फत काम करने वाले प्रदेश के मेडिकल विभाग के कर्मचारियों को नियमित संविदा पर लगाने की मांग की है.

ठेका कर्मचारियों की नियमित संविदा पर नियुक्ति की मांग

एकीकृत महासंघ का कहना है कि सरकार अगर इन कर्मचारियों को नियमित संविदा पर लगाती है तो इससे सरकार को आर्थिक लाभ भी होगा, क्योंकि ठेके के जरिए सरकार को ज्यादा पैसा वहन करना पड़ता है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि राज्य की मेडिकल कॉलेज और लगन चिकित्सालय में पिछले कई वर्षों से ठेका निविदा प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से कार्य ठेका कर्मचारियों को ठेकेदार के मार्फत काम पर लगाया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि इससे उन कर्मचारियों का तो शोषण हो ही रहा है. साथ ही सरकार को भी इससे आर्थिक नुकसान हो रहा है, क्योंकि यह ठेकेदार सरकार से हर कर्मचारी के 17 से 18 हजार रुपये हर महीने के लेते हैं. जबकि वह कर्मचारियों को 5 से 8 हजार हर महीना ही देते हैं, बाकी पैसा अपनी जेब में रखते हैं. ऐसे में अगर सरकार इन कर्मचारियों को सीधा संविदा के जरिए काम पर रखे तो सरकार को इसमें आर्थिक लाभ हो सकता है. इन कर्मचारियों को 10 से 13 हजार तक के मंथली भुगतान पर काम पर लिया जा सकता है.

पढ़ें- राज्य में एक जिले से दूसरे जिले में जाने पर क्वॉरेंटाइन अनिवार्य नहीं: मुख्यमंत्री

उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से मेडिकल कॉलेज से संबंधित सरकारी चिकित्सालयों में प्लेसमेंट एजेंसी में निविदा के माध्यम से विभिन्न संवर्गों के कंप्यूटर ऑपरेटर, वार्ड बॉय, टैलीमैन, इलेक्ट्रीशियन, टेलीफोन ऑपरेटर, फार्मासिस्ट, हेल्पर, सफाई कर्मचारी, प्रयोगशाला, सहायक ड्राइवर रखा गया है. यह सभी ठेका कर्मचारी बड़ी ईमानदारी निष्ठा के साथ कोरोना वायरस जैसी महामारी में भी बहुत अल्प वेतन में निरंतर कार्य कर रहे हैं. जबकि प्लेसमेंट एजेंसी बदली जाती है लेकिन ठेका कर्मचारी को यथा स्थान पर ज्यों का त्यों ही रखा जाता है.

ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह इन सभी कर्मचारियों को नियमित संविदा के आधार पर नियुक्ति दें. आपको बता दें कि प्रदेश में कुल 15 से 20 हजार मेडिकल कर्मचारी हैं जो ठेके के मार्फत काम कर रहे हैं.

जयपुर. मेडिकल विभाग में ठेकेदार के मार्फत काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित संविदा पर लगाने की मांग तेजी से उठने लगी है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया है. जिसमें ठेकेदार के मार्फत काम करने वाले प्रदेश के मेडिकल विभाग के कर्मचारियों को नियमित संविदा पर लगाने की मांग की है.

ठेका कर्मचारियों की नियमित संविदा पर नियुक्ति की मांग

एकीकृत महासंघ का कहना है कि सरकार अगर इन कर्मचारियों को नियमित संविदा पर लगाती है तो इससे सरकार को आर्थिक लाभ भी होगा, क्योंकि ठेके के जरिए सरकार को ज्यादा पैसा वहन करना पड़ता है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि राज्य की मेडिकल कॉलेज और लगन चिकित्सालय में पिछले कई वर्षों से ठेका निविदा प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से कार्य ठेका कर्मचारियों को ठेकेदार के मार्फत काम पर लगाया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि इससे उन कर्मचारियों का तो शोषण हो ही रहा है. साथ ही सरकार को भी इससे आर्थिक नुकसान हो रहा है, क्योंकि यह ठेकेदार सरकार से हर कर्मचारी के 17 से 18 हजार रुपये हर महीने के लेते हैं. जबकि वह कर्मचारियों को 5 से 8 हजार हर महीना ही देते हैं, बाकी पैसा अपनी जेब में रखते हैं. ऐसे में अगर सरकार इन कर्मचारियों को सीधा संविदा के जरिए काम पर रखे तो सरकार को इसमें आर्थिक लाभ हो सकता है. इन कर्मचारियों को 10 से 13 हजार तक के मंथली भुगतान पर काम पर लिया जा सकता है.

पढ़ें- राज्य में एक जिले से दूसरे जिले में जाने पर क्वॉरेंटाइन अनिवार्य नहीं: मुख्यमंत्री

उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से मेडिकल कॉलेज से संबंधित सरकारी चिकित्सालयों में प्लेसमेंट एजेंसी में निविदा के माध्यम से विभिन्न संवर्गों के कंप्यूटर ऑपरेटर, वार्ड बॉय, टैलीमैन, इलेक्ट्रीशियन, टेलीफोन ऑपरेटर, फार्मासिस्ट, हेल्पर, सफाई कर्मचारी, प्रयोगशाला, सहायक ड्राइवर रखा गया है. यह सभी ठेका कर्मचारी बड़ी ईमानदारी निष्ठा के साथ कोरोना वायरस जैसी महामारी में भी बहुत अल्प वेतन में निरंतर कार्य कर रहे हैं. जबकि प्लेसमेंट एजेंसी बदली जाती है लेकिन ठेका कर्मचारी को यथा स्थान पर ज्यों का त्यों ही रखा जाता है.

ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह इन सभी कर्मचारियों को नियमित संविदा के आधार पर नियुक्ति दें. आपको बता दें कि प्रदेश में कुल 15 से 20 हजार मेडिकल कर्मचारी हैं जो ठेके के मार्फत काम कर रहे हैं.

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