जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर में दो नगर निगम बनाने और इसके चुनाव टालने के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत माहंति और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की खंडपीठ ने सतीश कुमार शर्मा की याचिका पर याचिकाकर्ता, राज्य सरकार और चुनाव आयोग की बहस सुनने के बाद फैसला बाद में देना तय किया है.
सुनवाई के दौरान राज्य चुनाव आयोग की ओर से शपथ पत्र पेश कर बताया कि आयोग को वार्ड सीमांकन व परिसीमन पूरा होने के बाद चुनावी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कम से कम 96 दिन लगेंगे. इनमें क्षेत्रवार वोटर लिस्ट और फार्म ए तैयार करने में 10 दिन, फार्म ए को अपलोड करने में दो दिन, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को डाउनलोड करने में 1 दिन, फील्ड वैरिफिकेशन में 10 दिन, ईआरओ द्वारा चैकिंग और वैरिफिकेशन के बाद सर्टिफिकेट अपलोड करने में एक दिन, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को डाउनलोड करके 12 सैट फोटोस्टेट तैयार करने में तीन दिन, आपत्तियां मांगने में 10 दिन, आपत्तियों के निपटारे में आठ दिन, सप्लीमेंट्री लिस्ट तैयार करने में 10 दिन, फाइनल वोटर लिस्ट डाउनलोड करने में तीन दिन का समय लगेगा.
जबकि फाइनल वोटर लिस्ट तैयार होने से वोटों की गिनती तक पूरी चुनावी प्रक्रिया को निपटाने में कम से कम 30 दिन का समय और लगेगा. इसके बाद मेयर और चेयरमैन के चुनाव में कम से कम सात दिन का समय लगेगा. वहीं अदालत के पूछने पर महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि यदि चुनाव आयेाग को पूरी चुनावी प्रक्रिया के लिए कम से कम 96 दिन चाहिए तो सरकार जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगमों के परिसीमन के काम को 5 जनवरी तक पूरा कर लेगी.
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याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुसार स्थानीय निकाय का कार्यकाल पांच साल का होता है और इसे किसी भी हाल में बढ़ाया नहीं जा सकता. यह फैसला जनहित में नहीं बल्कि राजनीतिक कारणों से लिया गया है. सरकार ऐसा कोई काम नहीं कर सकती जिससे चुनावी प्रक्रिया में बाधा पहुंचे. यदि सरकार को जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो नगर निगम बनाने ही थे तो छह महीने पहले यह काम करना चाहिए था, ताकि 25 नवंबर तक चुनावी प्रक्रिया पूरी हो जाती.
हाईकोर्ट ने दिए योग्य छात्रा को इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार देने के आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट ने पात्र होने के बावजूद 12वीं कक्षा की छात्रा को इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार नहीं देने पर कार्मिक सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश अंतिमा गुर्जर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को राज्य सरकार हर साल मेधावी छात्राओं को इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार देती है. इसके लिए हर जिले से एक-एक छात्रा का चयन किया जाता है. याचिकाकर्ता एसबीसी वर्ग से सवाईमाधोपुर की है और उसने 12वीं कक्षा में 91 फीसदी से अधिक अंक प्राप्त किए हैं. इसके बावजूद पुरस्कार के लिए उसका नाम भेजने के बजाए एसबीसी वर्ग की ही दूसरी छात्रा का नाम भेजा गया है, जबकि उस छात्रा के अंक 82 फीसदी ही हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता को यह पुरस्कार दिलाया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.