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सदन में गूंजा क्रेडिट कोऑपरेटिव घोटाले का मामला: CM बोले- कानून बनाने के लिए मैं तैयार हूं - सदन में गूंजा क्रेडिट कोऑपरेटिव घोटाले

सदन में क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटियों का मामला उठा. मंत्री ने कहा सब जानते हैं कि एक केंद्रीय मंत्री की पत्नी और साले का भी नाम है. क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में नाम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि इस पर सरकार कार्रवाई कर रही है. विपक्ष चाहे तो सदन में इस पर चर्चा करवा सकता है.

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सदन में गूंजा क्रेडिट कोऑपरेटिव घोटाले का मामला...
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Published : Feb 25, 2021, 1:05 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को सहकारी बैंकों और क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटियों में लोगों की जमा रकम और इसमें हुए फर्जीवाड़े का मामला उठा. इस पर मुख्यमंत्री ने विपक्ष से कहा कि इस मामले में चाहे विपक्ष आधे घंटे की चर्चा करवा ले और चाहे तो राज्य सरकार से कानून पास करवाने की मांग कर ले, हम कानून भी बनाने को तैयार हैं.

सदन में क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटियों का मामला उठा...

सवाल पर जवाब देते हुए मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि प्रदेश में ऐसी सोसायटी में पैसा फंसने की कुल 1 लाख 2 हजार 96 शिकायतें सामने आई हैं, इसमें 16 अरब 51 करोड़ 89 लाख 61 हजार 170 की राशि लोगों की अटकी है. इनमें से नागरिक सहकारी बैंकों की कुल शिकायतें 22903 है, जिसमें 1 अरब 4 करोड़ 23 हजार 836 रुपए लोगों का अटक गया है. राजस्थान सहकारी सोसायटी 2001 में पंजीकृत सोसायटियों की शिकायतें 1402 हैं, जिसमें 1 अरब 44 करोड़ 24 लाख 58701 है, तो वहीं मल्टी स्टेट सोसाइटी एक्ट के जरिए पंजीकृत सोसाइटी की 77791 शिकायतें हैं. इनमें 15 अरब 32 करोड़ 85 लाख 91 हजार 455 की राशि लोगों की फंस गई हैं.

मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटियां, क्योंकि केंद्रीय रजिस्ट्रार के अधीन आती है. यह राज्य सरकार के अधीन नहीं है. मुख्यमंत्री ने खुद इन पर कार्रवाई करने के लिए बात कही है. भारत सरकार ने भी बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम एक्ट 2019 बनाया गया है, ताकि इन पर कार्रवाई हो सके. यह कानून बनने के बाद राज्य सरकारों को अधिकार मिलेंगे. इन पर कार्रवाई करने के उसके नियम बनाकर हमने भारत सरकार को भेज दिए हैं. इस तरीके से स्टेट के अंदर आने वाली सोसायटियों के खिलाफ कई मामले एसओजी में है, सेंट्रल एक्ट में 14 इस्तगासे भेजे हुए हैं. लेकिन, सोसाइटी के माध्यम से कितना भ्रष्टाचार हुआ है. किस तरीके से भ्रष्टाचार हुआ है. आप सब जानते हैं.

पढ़ें: Rajasthan Budget 2021: प्रदेश में नहीं होने जा रहे मध्यावधि चुनाव, जादूगरी से करूंगा घोषणाएं पूरी: अशोक गहलोत

केंद्रीय मंत्री की पत्नी और साले का नाम इन सोसायटियों में आया था, इसकी भी बड़ी जांच चल रही है. विदेशों में भी जमीन खरीदी गई. उन पर लगाम लगाने के लिए यह कानून बना है और हम आने वाले समय में ऑनलाइन पोर्टल के जरिए शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. इन शिकायतों पर एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी. इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ऐसी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के लाखों लोगों का पैसा जिस प्रकार से जमा किया, उनके जेल जाने से उन लोगों को कोई लाभ नहीं होगा. हम चाहते हैं कि उनकी प्रॉपर्टी जितनी जितनी भी है, उनको ऑक्शन करके उनके पैसे का डिस्ट्रीब्यूशन का काम शुरू हो, तब जाकर उन लोगों को राहत मिलेगी. अगर वह 10 साल भी जेल रहे, तो किसी को कोई फायदा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि कुछ तो उन लोगों में लालच था कि ज्यादा उसमें ब्याज मिलता है और अधिकांश इसमें पेंशनर है, जो पेंशन की राशि डालकर अपने बुढ़ापे को बचाने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन, अब वह बर्बाद हो गए हैं.

इस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सदन में कहा कि यह मामला गंभीर है. वास्तव में इससे लाखों लोग डूबे हैं. इसमें पेंशनर के पेंशन का पैसा है, तो वहीं गांव के लोगों के भी पैसे इसमें लगे हैं. अच्छे ब्याज के लालच में आकर इसमें पैसा जमा करवा दिया और कंपनियां भाग जाती है. यह लंबे समय से होता जा रहा है. इसलिए हमने एसओजी को केस दिया और पूरी कोशिश कर रहे हैं कि लोगों पर सही से कार्रवाई हो. लेकिन, आपने ठीक कहा कि लोग जेल चले जाते हैं तो पैसा कहां से मिलेगा. इस मामले पर आप चाहे तो आधे घंटे की चर्चा भी रखी जा सकती है. सदन में इस पर चर्चा हो और वास्तव में स्टेट गवर्नमेंट क्या कर सकती है, यह भी साफ हो जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसा सदन चाहेगा कानून बनवाना हो या फिर और कोई कार्रवाई हो, तो इसके लिए तैयार है. केंद्र से क्या करना है, वह तो हम केंद्र सरकार को लिख सकते हैं. कोर्ट के फैसले के बाद ही रिकवरी होती है, जो कभी हो नहीं पाती है. वर्तमान में उनकी संपत्ति पर केंद्रीय एजेंसी की ओर से कार्रवाई की जाती है.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को सहकारी बैंकों और क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटियों में लोगों की जमा रकम और इसमें हुए फर्जीवाड़े का मामला उठा. इस पर मुख्यमंत्री ने विपक्ष से कहा कि इस मामले में चाहे विपक्ष आधे घंटे की चर्चा करवा ले और चाहे तो राज्य सरकार से कानून पास करवाने की मांग कर ले, हम कानून भी बनाने को तैयार हैं.

सदन में क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटियों का मामला उठा...

सवाल पर जवाब देते हुए मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि प्रदेश में ऐसी सोसायटी में पैसा फंसने की कुल 1 लाख 2 हजार 96 शिकायतें सामने आई हैं, इसमें 16 अरब 51 करोड़ 89 लाख 61 हजार 170 की राशि लोगों की अटकी है. इनमें से नागरिक सहकारी बैंकों की कुल शिकायतें 22903 है, जिसमें 1 अरब 4 करोड़ 23 हजार 836 रुपए लोगों का अटक गया है. राजस्थान सहकारी सोसायटी 2001 में पंजीकृत सोसायटियों की शिकायतें 1402 हैं, जिसमें 1 अरब 44 करोड़ 24 लाख 58701 है, तो वहीं मल्टी स्टेट सोसाइटी एक्ट के जरिए पंजीकृत सोसाइटी की 77791 शिकायतें हैं. इनमें 15 अरब 32 करोड़ 85 लाख 91 हजार 455 की राशि लोगों की फंस गई हैं.

मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटियां, क्योंकि केंद्रीय रजिस्ट्रार के अधीन आती है. यह राज्य सरकार के अधीन नहीं है. मुख्यमंत्री ने खुद इन पर कार्रवाई करने के लिए बात कही है. भारत सरकार ने भी बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम एक्ट 2019 बनाया गया है, ताकि इन पर कार्रवाई हो सके. यह कानून बनने के बाद राज्य सरकारों को अधिकार मिलेंगे. इन पर कार्रवाई करने के उसके नियम बनाकर हमने भारत सरकार को भेज दिए हैं. इस तरीके से स्टेट के अंदर आने वाली सोसायटियों के खिलाफ कई मामले एसओजी में है, सेंट्रल एक्ट में 14 इस्तगासे भेजे हुए हैं. लेकिन, सोसाइटी के माध्यम से कितना भ्रष्टाचार हुआ है. किस तरीके से भ्रष्टाचार हुआ है. आप सब जानते हैं.

पढ़ें: Rajasthan Budget 2021: प्रदेश में नहीं होने जा रहे मध्यावधि चुनाव, जादूगरी से करूंगा घोषणाएं पूरी: अशोक गहलोत

केंद्रीय मंत्री की पत्नी और साले का नाम इन सोसायटियों में आया था, इसकी भी बड़ी जांच चल रही है. विदेशों में भी जमीन खरीदी गई. उन पर लगाम लगाने के लिए यह कानून बना है और हम आने वाले समय में ऑनलाइन पोर्टल के जरिए शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. इन शिकायतों पर एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी. इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ऐसी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के लाखों लोगों का पैसा जिस प्रकार से जमा किया, उनके जेल जाने से उन लोगों को कोई लाभ नहीं होगा. हम चाहते हैं कि उनकी प्रॉपर्टी जितनी जितनी भी है, उनको ऑक्शन करके उनके पैसे का डिस्ट्रीब्यूशन का काम शुरू हो, तब जाकर उन लोगों को राहत मिलेगी. अगर वह 10 साल भी जेल रहे, तो किसी को कोई फायदा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि कुछ तो उन लोगों में लालच था कि ज्यादा उसमें ब्याज मिलता है और अधिकांश इसमें पेंशनर है, जो पेंशन की राशि डालकर अपने बुढ़ापे को बचाने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन, अब वह बर्बाद हो गए हैं.

इस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सदन में कहा कि यह मामला गंभीर है. वास्तव में इससे लाखों लोग डूबे हैं. इसमें पेंशनर के पेंशन का पैसा है, तो वहीं गांव के लोगों के भी पैसे इसमें लगे हैं. अच्छे ब्याज के लालच में आकर इसमें पैसा जमा करवा दिया और कंपनियां भाग जाती है. यह लंबे समय से होता जा रहा है. इसलिए हमने एसओजी को केस दिया और पूरी कोशिश कर रहे हैं कि लोगों पर सही से कार्रवाई हो. लेकिन, आपने ठीक कहा कि लोग जेल चले जाते हैं तो पैसा कहां से मिलेगा. इस मामले पर आप चाहे तो आधे घंटे की चर्चा भी रखी जा सकती है. सदन में इस पर चर्चा हो और वास्तव में स्टेट गवर्नमेंट क्या कर सकती है, यह भी साफ हो जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसा सदन चाहेगा कानून बनवाना हो या फिर और कोई कार्रवाई हो, तो इसके लिए तैयार है. केंद्र से क्या करना है, वह तो हम केंद्र सरकार को लिख सकते हैं. कोर्ट के फैसले के बाद ही रिकवरी होती है, जो कभी हो नहीं पाती है. वर्तमान में उनकी संपत्ति पर केंद्रीय एजेंसी की ओर से कार्रवाई की जाती है.

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