जयपुर. पंचायत चुनाव में कांग्रेस का वंशवाद फल-फूल रहा है. विधायक जाहिदा खान ने अपने 3 परिजनों को कांग्रेस का टिकट दे दिया है. इसके अलावा मंत्री भजन लाल जाटव ने 2, विधायक बाबूलाल नागर ने 2, पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ ने अपने 2 परिजनों को कांग्रेस का टिकट दे दिया.
इसके अलावा विधायक दिव्या मदेरणा, रामकेश मीणा, अशोक बैरवा और जोगिंदर अवाना ने अपने 1-1 परिजन को टिकट से नवाज दिया. कांग्रेस के बड़े नेताओं की नजर जिला प्रमुख और अपनी विधानसभा के प्रधान पदों पर है.
कांग्रेस में वंशवाद
राजस्थान में 6 जिलों भरतपुर, सवाई माधोपुर, दौसा, जयपुर, जोधपुर और सिरोही में पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल हो चुके हैं. कांग्रेस पार्टी की ओर से 6 जिलों में दाखिल हुए नामांकन में यह साफ नजर आ रहा है कि पंचायत समिति और जिला परिषद चुनाव में वंशवाद की बेल जमकर लहलहा रही है. 6 जिलों के पंचायती राज चुनाव में छह विधायक और एक पूर्व सांसद ने अपने परिजनों को मैदान में उतार दिया है.
इन नेताओं के परिजन चुनावी मैदान में
इन 6 विधायकों में मंत्री भजन लाल जाटव ने अपनी पुत्रवधू और पुत्री को, कामां से कांग्रेस विधायक जाहिदा खान ने अपने बेटे साजिद खान, बेटी डॉ. शहनवाज और देवरानी ताहिरा को, विधायक दिव्या मदेरणा ने अपनी मां लीला मदेरणा को, बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक जोगिंदर अवाना ने अपने बेटे हिमांशु अवाना को, निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर ने अपने बेटे विकास नागर और बहू रूपाली नागर को, खंडार से कांग्रेस विधायक अशोक बैरवा ने अपने बेटे संजय बैरवा को पंचायती राज चुनाव में मैदान में उतार दिया है.
इसी तरीके से पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ ने अपनी बेटी मुन्नी देवी गोदारा और पोती सोनिया को पंचायती राज चुनाव में मैदान में उतार दिया है. हालात ये हैं कि कांग्रेस की कामां से विधायक जाहिदा तो वो विधायक हैं जिन्होंने परिवार के एक-दो नहीं बल्कि 3 सदस्यों को चुनावी मैदान में उतारा है.
इसलिये परिजनों को प्राथमिकता
विधायकों और कांग्रेस के बड़े नेताओं का अपने परिजनों को ही टिकट देने के पीछे कारण साफ है कि माननीयों के परिजन अगर चुनाव जीतकर आएंगे तो प्रधान और जिला प्रमुख के प्रमुख दावेदार वही बनेंगे, ऐसे में उनकी विधानसभा और जिले में उन विधायकों की पकड़ मजबूत रहेगी.
ऐसे में भले ही कोई यह क्यों न कहे कि जिस पेशे में माता-पिता होते हैं, उस पेशे में बच्चे भी अपना भविष्य तलाशते हैं. तो फिर राजनीति में भी अगर राजनीतिज्ञों के बच्चे आगे आते हैं तो इसमें बुरा क्या है ? लेकिन जो वर्तमान हालात बने हैं उसमें अगर विधायकों के परिजन ही छोटे-बड़े हर चुनाव में मैदान में होंगे तो फिर उस कार्यकर्ता का क्या होगा, जो लगातार झंडा उठाकर यह सोचता है कि बड़े चुनाव में न सही, पंचायत और जिला परिषद जैसे छोटे चुनाव में तो नेताजी उन्हें झंडा उठाने का इनाम देंगे. लेकिन नेताओं में अपने ही परिवार को आगे बढ़ाने की सोच ने कार्यकर्ताओं की उम्मीद पर पानी फेर दिया है.
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इन नेताओं के परिजन उतरे हैं चुनावी मैदान में
1. मंत्री भजन लाल जाटव- वैर विधानसभा से आने वाले मंत्री भजन लाल जाटव ने अपनी बेटी सुमन को वार्ड 12 से और पुत्रवधू साक्षी को वार्ड नंबर 5 से कांग्रेस के सिंबल पर पंचायत समिति चुनाव लड़वाया है.
2. जाहिदा कामां विधायक- कामां विधायक जाहिदा के 3 परिजन चुनावी मैदान में हैं. जहां विधायक जाहिदा खान की पुत्री डॉ शहनवाज ने लेवड़ा पंचायत समिति से नामांकन दाखिल किया है, तो वहीं जाहिदा के बेटे साजिद खान ने पहाड़ी पंचायत समिति से नामांकन दाखिल किया है. इसी तरीके से विधायक जाहिदा की देवरानी ताहिरा ने नंदेरा पंचायत समिति से नामांकन दाखिल किया है.
3. विधायक दिव्या मदेरणा और मदेरणा परिवार- जोधपुर के जिला परिषद चुनाव में मदेरणा परिवार की प्रतिनिधि के तौर पर विधायक दिव्या मदेरणा की मां लीला मदेरणा ने वार्ड 28 से जिला परिषद मेंबर का नामांकन दाखिल किया है.
4. जोगिंदर अवाना- बसपा से कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए नदबई विधायक जोगिंदर अवाना ने अपने बेटे हिमांशु अवाना को उच्चैन पंचायत समिति के वार्ड नंबर 13 से प्रत्याशी बनाया है.
5. विधायक बाबूलाल नागर- पूर्व मंत्री और वर्तमान में निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर कांग्रेस पार्टी के समर्थक विधायक हैं. बाबूलाल नागर ने इन चुनाव में अपने पुत्र और पुत्रवधू दोनों को ही चुनावी मैदान में उतार दिया है. जहां बाबूलाल नागर के बेटे विकास नागर जिला परिषद के वार्ड 12 से चुनावी मैदान में है, तो वहीं बाबूलाल नागर की पुत्रवधू रूपाली नागर मोजमाबाद पंचायत समिति के वार्ड 13 से प्रत्याशी हैं.
6. पूर्व सांसद बद्री राम जाखड़- पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ वैसे तो पाली जिले से आते हैं, लेकिन जोधपुर के जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव में उन्होंने अपनी बेटी मुन्नी देवी गोदारा और पोती सोनिया को चुनाव मैदान में उतारा है. बद्रीराम जाखड़ की बेटी मुन्नी देवी गोदारा जोधपुर के जिला परिषद वार्ड 18 से प्रत्याशी हैं. तो वहीं बद्रीराम जाखड़ की पोती सोनिया पीपाड़ सिटी के वार्ड नंबर 16 से प्रत्याशी हैं.
7. अशोक बैरवा- पूर्व मंत्री और सवाई माधोपुर के खंडार से विधायक अशोक बैरवा के बेटे संजय बेरवा खंडार पंचायत समिति के वार्ड नंबर 3 से पंचायत समिति सदस्य के प्रत्याशी हैं.
कांग्रेस विधायक अशोक बैरवा के भाई की पत्नी ने निर्दलीय ठोंकी ताल
एक तरफ तो कांग्रेस विधायकों और कांग्रेस के बड़े नेताओं की ओर से अपने परिजनों को पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्य के लिए चुनाव मैदान में उतारा गया है. तो सवाई माधोपुर में इससे उलट मामला नजर आया, जहां पूर्व मंत्री और खंडार से विधायक अशोक बैरवा के भाई की पत्नी ने कांग्रेस पार्टी का टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय ही ताल ठोक दी है. विधायक अशोक बैरवा के भाई की पत्नी भूमेश तिलकर ने चौथ का बरवाड़ा पंचायत समिति के वार्ड नंबर 14 से निर्दलीय ही ताल ठोंक दी है.
साल 2020 में 20 जिलों के चुनाव में भी हावी रहा था परिवारवाद
भाजपा में परिवारवाद
1. झुंझुनू जिला प्रमुख - भाजपा ने झुंझुनू से सांसद नरेंद्र कुमार की पुत्रवधू हर्षिनी कुलहरी को उम्मीदवार बनाया जिन्होंने चुनाव जीत लिया है.
2. सीकर जिला प्रमुख - नीमकाथाना के पूर्व विधायक प्रेम सिंह बाजोर की पुत्रवधू गायत्री कंवर सीकर की जिला प्रमुख बनी हैं.
3. उदयपुर जिला प्रमुख - उदयपुर जिला प्रमुख ममता कुंवर पवार भाजपा उदयपुर ग्रामीण के अध्यक्ष भंवर सिंह पवार बेटी हैं.
4. चूरू जिला प्रमुख - चूरू जिला प्रमुख बनी वंदना आर्य पूर्व विधायक रावत राम आर्य की पुत्रवधू हैं.
कांग्रेस में परिवारवाद
1. बांसवाड़ा जिला प्रमुख- बांसवाड़ा जिला प्रमुख रेशम मालवीय पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय की पत्नी है.
2. प्रतापगढ़ जिला प्रमुख- प्रतापगढ़ जिला प्रमुख इंदिरा मीणा प्रतापगढ़ से कांग्रेस विधायक रामलाल मीणा की पत्नी हैं.
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पंचायत समितियों में यह रहा था परिवारवाद : 2020 के पंचायती राज चुनाव में
कांग्रेस पार्टी में परिवारवाद से बने प्रधान
1.सराड़ा पंचायत समिति- उदयपुर जिले की सराड़ा पंचायत समिति से बसंती देवी प्रधान बनी हैं. बसंती देवी पहले कांग्रेस की सलूम्बर से विधायक भी रह चुकी हैं और कांग्रेस सीडब्ल्यूसी मेंबर और पूर्व सांसद रघुवीर मीणा की पत्नी हैं.
2. पूगल पंचायत समिति -बीकानेर की पूगल पंचायत समिति से कांग्रेस विधायक गोविंद मेघवाल के बेटे गौरव प्रधान बने हैं.
3. खंडेला पंचायत समिति- खंडेला पंचायत समिति से डॉक्टर गिर्राज कांग्रेस के प्रधान बने हैं, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान निर्दलीय विधायक महादेव सिंह खंडेला के पुत्र हैं.
4. जहाजपुर पंचायत समिति- भीलवाड़ा की जहाजपुर पंचायत समिति से सीता देवी गुर्जर प्रधान बनी हैं जो कांग्रेस सचिव और पूर्व विधायक धीरज गुर्जर की मां है.
5. डूंगरगढ़ पंचायत समिति- डूंगरगढ़ पंचायत समिति से सावित्री देवी को जीत मिली है. सावित्री देवी श्री डूंगरगढ़ के पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा की पुत्रवधू हैं.
6. गिरवा पंचायत समिति- उदयपुर की गिरवा पंचायत समिति से सज्जन देवी कटारा प्रधान बनी हैं जो पूर्व विधायक भी रह चुकी हैं.
7. मावली पंचायत समिति- उदयपुर की मावली पंचायत समिति से पुष्कर लाल डांगी प्रधान बने हैं, जो पूर्व में विधायक भी रह चुके हैं.
8.गडरा रोड पंचायत समिति- बाड़मेर की गडरा रोड पंचायत समिति से विधायक अमीन खान के पोते सलमान खान प्रधान बने हैं.
9.धनाऊ पंचायत समिति - बाड़मेर की धनाऊ पंचायत समिति से शमा बानो प्रधान बनी हैं जो पूर्व विधायक अब्दुल हाजी की पुत्रवधू है.
भाजपा में परिवारवाद वाले प्रधान
सुजानगढ़ पंचायत समिति- चूरू के सुजानगढ़ पंचायत समिति से पूर्व मंत्री खेमाराम मेघवाल की पत्नी मनभरी मेघवाल प्रधान बनी हैं.