जयपुर. तबादलों को लेकर शिक्षा विभाग हमेशा से चर्चा में रहा है. शिक्षा विभाग ऐसा विभाग है, जहां अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या भी अधिक है और यहां पर हर साल बड़ी संख्या में तबादले भी होते हैं. शिक्षा विभाग में होने वाले तबादले बिना किसी तबादला नीति के होते आए हैं, जिसके चलते हर बार शिक्षक से लेकर कर्मचारियों ने सरकार के तबादलों पर सवाल खड़े किए हैं.
बीजेपी सरकार ने भी पांच साल तक तबादला नीति पर काम किया. लेकिन उसका क्रियान्वन नहीं हुआ. वहीं अब कांग्रेस की सरकार ने भी शिक्षा विभाग में एक बार फिर तबादला नीति बनाने की कवायद शुरू कर दी है. तबादला नीति को लेकर शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि पूर्व आईएएस ओंकार सिंह की अध्यक्षता में तीन लोगों की कमेटी बनाई गई है, जो एक महीने में तबादला नीति का ड्राफ्ट सरकार को सौपेंगी.
साथ ही कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने भी तबादला नीति बनाई थी, लेकिन आज तक लागू नहीं हो पाई है. तबादला नीति को लेकर बनाई गई कमिटी दिल्ली, पंजाब, आंध्रप्रदेश, महारष्ट्र की तबादला नीति का अध्ययन करेगी और उसके बाद ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा.
वहीं, शिक्षक संगठनों ने मांग उठाई है कि तबादला नीति में बनाई गई कमेटी यहीं रहकर अन्य राज्यों की तबादला नीति का अध्ययन करे. अगर कमेटी राज्यों में जाती है तो समय लग जाएगा और तबादला नीति फिर से खानापूर्ति ही रह जायेगी. शिक्षकों ने कहा कि कमेटी अन्य राज्यों की तबादला नीति को मेल पर मंगवा कर ही अध्ययन करे. उन्होंने कहा कि तबादला नीति में शिक्षकों को भी शामिल किया जाए.
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पांच साल पहले भाजपा ने बनाई थी तबादला नीति
5 साल पहले भाजपा सरकार ने भी माध्यमिक शिक्षा की तबादला नीति बनाई थी. इसके लिए कमेटी का भी गठन किया गया. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तक सौंप दी थी, लेकिन बीजेपी सरकार इसको लागू नहीं कर पाई.
ये होंगे बदलाव
- प्रोबेशन के दौरान शिक्षकों के नहीं हो सकेंगे तबादले
- एक निश्चित अवधि के बाद ही तबादले के हकदार होंगे शिक्षक
- एक बार तबादला होने के बाद भी रखा जाएगी निश्चित अवधि
- नीति के तहत लागू प्रक्रिया से ही शिक्षकों के तबादले
मंत्री डोटासरा ने पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछली सरकार की इच्छा शक्ति कम थी. इसलिए उन्होंने खाका तैयार कर दिया, लेकिन लागू नहीं किया. भाजपा ने पांच साल तक सिर्फ कमेटी कमेटी खेला है, काम कुछ नहीं किया. लेकिन हमने कमेटी को सिर्फ 1 महीने का समय दिया है और रिपोर्ट पेश होने के तुरंत बाद इसको कैबिनेट में पेश किया जाएगा.