जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने कहा है कि अखबारों में प्रकाशित समाचारों के आधार पर जनहित याचिका में सामान्य तौर पर लगाए गए आरोपों न तो प्रसंज्ञान लिया जा सकता है और न ही प्रसंज्ञान लिया जाना चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने बोरवेल ढकने के संबंध में पेश जनहित याचिका का निपटारा कर दिया है. सीजे अकील कुरैशी और जस्टिस सुदेश बंसल की खंडपीठ ने यह आदेश एयर ट्री फाउंडेशन की जनहित याचिका का निपटारा करते हुए दिए.
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहे तो रिसर्च कर तथ्यों सहित अदालत में फिर से याचिका दायर कर सकता है. अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता की सूचना का मुख्य स्त्रोत अखबारों में प्रकाशित रिपोर्ट है. यदि याचिकाकर्ता चाहता है कि इस मुद्दे पर जनहित में गंभीरता से विचार हो तो पहले उसे स्वयं रिसर्च कर तथ्य एकत्रित करने चाहिए.
जनहित याचिका में अखबारों में प्रकाशित समाचारों को आधार बनाकर कहा गया था कि प्रदेश में कई स्थानों पर बोरवेल खुले पड़े हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है. छोटे बच्चे और पशुओं की इन बोरवेल में गिरकर मौत हो जाती है. ऐसे में इंसानों और जानवरों को आए दिन की होने वाली दुर्घटनाओं से बचाने के लिए प्रदेशभर में खुले पड़े बोरवेल को तत्काल ढका जाना चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने सिर्फ खबरों के आधार पर पेश जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया है.