जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसान आंदोलन को लेकर फिर ट्वीट के जरिये केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है. सीएम गहलोत ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार असंवेदनशील हो चुकी है. देशभर में लोग घरों में लोहड़ी का पर्व मना रहा हैं, लेकिन हमारे किसान भाई इस कड़ाके की ठंड में खुले में बैठे हैं.
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केंद्र सरकार को तुरंत तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर अन्नदाता को राहत देनी चाहिए।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 13, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
12 जनवरी को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित वैदिक सम्मेलन में मोहनलाल सुखाड़िया विवि,उदयपुर के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज शर्मा ने यह ऋचा, इसका अर्थ बताया था।यह ऋग्वेद मंडल 4 सूक्त 57 की ऋचा है।
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">केंद्र सरकार को तुरंत तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर अन्नदाता को राहत देनी चाहिए।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 13, 2021
12 जनवरी को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित वैदिक सम्मेलन में मोहनलाल सुखाड़िया विवि,उदयपुर के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज शर्मा ने यह ऋचा, इसका अर्थ बताया था।यह ऋग्वेद मंडल 4 सूक्त 57 की ऋचा है।
2/2केंद्र सरकार को तुरंत तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर अन्नदाता को राहत देनी चाहिए।
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12 जनवरी को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित वैदिक सम्मेलन में मोहनलाल सुखाड़िया विवि,उदयपुर के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज शर्मा ने यह ऋचा, इसका अर्थ बताया था।यह ऋग्वेद मंडल 4 सूक्त 57 की ऋचा है।
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सीएम अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया के जरिये कहा कि जो लोहड़ी खुशाली और किसान समुदाय के महत्व का प्रतीक है और देशभर के लोग इस पर्व को घरों में मना रहे हैं, लेकिन हमारे किसान खुले में बैठे हैं. उन्होंने कहा कि किसान खुले में बैठे हैं, जिसकी वजह से देशवासी आंदोलनरत किसानों के लिए चिंतित हैं. किसान अपने घरों से दूर हैं, खुले में बैठे हैं, इस देश ने ऐसी असंवेदनशील सरकार कभी नहीं देखी. गहलोत ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी किसानों के संघर्ष में उनके साथ खड़ी है, लेकिन किसान बिलों का समर्थन कर चुके सदस्यों की कमेटी से उन्हें उम्मीद नहीं है. मोदी सरकार को किसानों के धैर्य का इम्तिहान लेने के बजाय तीनों काले कृषि कानून वापस लेने चाहिए.
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''क्षेत्रस्य पतिना वयं हितेनेव जयामसि।''
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 13, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
ऋगवेद की इस ऋचा का अर्थ है कि किसान के हित से ही हमारा कल्याण होता है। राजनीति के लिए धर्म का सहारा लेने वाली भाजपा को हमारे धार्मिक ग्रंथों में लिखी बातों का भी अनुकरण करना चाहिए।
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">''क्षेत्रस्य पतिना वयं हितेनेव जयामसि।''
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ऋगवेद की इस ऋचा का अर्थ है कि किसान के हित से ही हमारा कल्याण होता है। राजनीति के लिए धर्म का सहारा लेने वाली भाजपा को हमारे धार्मिक ग्रंथों में लिखी बातों का भी अनुकरण करना चाहिए।
1/2''क्षेत्रस्य पतिना वयं हितेनेव जयामसि।''
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ऋगवेद की इस ऋचा का अर्थ है कि किसान के हित से ही हमारा कल्याण होता है। राजनीति के लिए धर्म का सहारा लेने वाली भाजपा को हमारे धार्मिक ग्रंथों में लिखी बातों का भी अनुकरण करना चाहिए।
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'क्षेत्रस्य पतिना वयं हितेनेव जयामसि'...
सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि ऋगवेद की इस ऋचा का अर्थ है कि किसान के हित से ही हमारा कल्याण होता है. राजनीति के लिए धर्म का सहारा लेने वाली भाजपा को हमारे धार्मिक ग्रंथों में लिखी बातों का भी अनुकरण करना चाहिए. गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार को तुरंत तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर अन्नदाता को राहत देनी चाहिए. उन्होंने बताया कि 12 जनवरी को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित वैदिक सम्मेलन में मोहनलाल सुखाड़िया विवि, उदयपुर के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज शर्मा ने यह ऋचा और इसका अर्थ बताया था. यह ऋग्वेद मंडल 4 सूक्त 57 की ऋचा है.
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कांग्रेस पार्टी किसानों के संघर्ष में उनके साथ खड़ी है लेकिन किसान बिलों का समर्थन कर चुके सदस्यों की कमेटी से उन्हें उम्मीद नहीं है। मोदी सरकार को किसानों के धैर्य का इम्तिहान लेने के बजाय तीनों काले कृषि कानून वापस लेने चाहिए।
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">कांग्रेस पार्टी किसानों के संघर्ष में उनके साथ खड़ी है लेकिन किसान बिलों का समर्थन कर चुके सदस्यों की कमेटी से उन्हें उम्मीद नहीं है। मोदी सरकार को किसानों के धैर्य का इम्तिहान लेने के बजाय तीनों काले कृषि कानून वापस लेने चाहिए।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 13, 2021कांग्रेस पार्टी किसानों के संघर्ष में उनके साथ खड़ी है लेकिन किसान बिलों का समर्थन कर चुके सदस्यों की कमेटी से उन्हें उम्मीद नहीं है। मोदी सरकार को किसानों के धैर्य का इम्तिहान लेने के बजाय तीनों काले कृषि कानून वापस लेने चाहिए।
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मकर संक्रांति की बधाई...
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेशवासियों को लोहड़ी और मकर सक्रांति की शुभकामनाएं दीं. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश वासियों से अपील की है कि वह सुबह 6:00 से 8:00 और शाम को 5:00 से 7:00 पतंग नहीं उड़ाएं. इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोगों से यह भी अपील करी है कि कोरोना का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है. संक्रमण से बचने के लिए इस पर्व को मनाते वक्त सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, मास्क आवश्यक रूप से लगाए रखें.
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देश #लोहड़ी का पर्व मना रहा है जो खेती और किसान समुदाय के महत्व का प्रतीक है। ऐसे में देशवासी आंदोलनरत किसानों के लिए चिंतित हैं, किसान अपने घरों से दूर हैं, खुले में बैठे हैं। इस देश ने ऐसी असंवेदनशील सरकार कभी नहीं देखी।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 13, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">देश #लोहड़ी का पर्व मना रहा है जो खेती और किसान समुदाय के महत्व का प्रतीक है। ऐसे में देशवासी आंदोलनरत किसानों के लिए चिंतित हैं, किसान अपने घरों से दूर हैं, खुले में बैठे हैं। इस देश ने ऐसी असंवेदनशील सरकार कभी नहीं देखी।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 13, 2021देश #लोहड़ी का पर्व मना रहा है जो खेती और किसान समुदाय के महत्व का प्रतीक है। ऐसे में देशवासी आंदोलनरत किसानों के लिए चिंतित हैं, किसान अपने घरों से दूर हैं, खुले में बैठे हैं। इस देश ने ऐसी असंवेदनशील सरकार कभी नहीं देखी।
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टीकाकरण का एक मॉडल दिखाएंगे...
सीएम गहलोत ने कहा कि कोरोना मामलों में कमी आई है, जबकि आज यानी बुधवार को Covid Vaccine भी पहुंच गई है. केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार हम टीकाकरण की सुचारू प्रक्रिया सुनिश्चित करेंगे और कोविड प्रबंधन जैसे टीकाकरण का एक मॉडल दिखाएंगे. हमारे पास कम संक्रमण और सबसे कम मृत्यु दर के साथ राजस्थान में आशावादी होने के कारण हैं. लेकिन सभी से मेरी अपील है कि कृपया स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन करें और सावधानी बरतें, क्योंकि कोरोना का खतरा अभी भी है. COVID-19 के साथ इस लड़ाई को जीतने के लिए अपने सहयोग करें.