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CM गहलोत का मोदी सरकार पर हमला, कहा- साबरमती आश्रम से धनार्जन के प्रयास करने की बजाय इसे चिंतन-मनन का केन्द्र रहने दें - Ashok Gehlot

सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने शुक्रवार को साबरमती आश्रम (Sabarmati Ashram) के मूल स्वरूप के साथ हो रही छेड़छाड़ को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि साबरमती आश्रम से धनार्जन के प्रयास करने की बजाय इसे चिंतन-मनन का केन्द्र रहने दें.

Sabarmati Ashram, Ashok Gehlot
सीएम अशोक गहलोत
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Published : Aug 27, 2021, 9:58 AM IST

जयपुर. गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती आश्रम के मूल स्वरूप के साथ हो रही छेड़छाड़ पर सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने केंद्र और गुजरात सरकार को आड़े हाथों लिया. सीएम गहलोत ने कहा कि साबरमती आश्रम (Sabarmati Ashram) को धनार्जन के प्रयास करने की बजाय इसे चिंतन-मनन का केन्द्र रहने दें.

पढ़ें- गुजरात सरकार के फैसले पर बरसे CM गहलोत, PM मोदी से हस्तक्षेप की मांग...जानें पूरा मामला

सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि केन्द्र सरकार और गुजरात सरकार की ओर से अहमदाबाद के साबरमती आश्रम के मूल स्वरूप को खत्म कर इसे आधुनिक बनाने का फैसला पूरी तरह गलत है. भारत ही नहीं दुनियाभर में इस फैसले की आलोचना हो रही है. इस फैसले से साबरमती आश्रम की सादगी एवं शुचिता खत्म हो जाएगी.

Sabarmati Ashram, Ashok Gehlot
सीएम अशोक गहलोत का ट्वीट

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने अपना पूरा जीवन सादगी के साथ आजादी की लड़ाई एवं मानवता की सेवा में लगा दिया. सादगी से जीवन जीने वाले महात्मा के आश्रम में अत्याधुनिक व लग्जरी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना उनके जीवन की मौलिकता के विपरीत है. साबरमती आश्रम में बापू के विचारों और सिद्धांतों की परछाई है.

गहलोत ने कहा कि इसके मूल ढांचे से छेड़छाड़ कर सरकार महात्मा गांधी की विरासत को मिटाने का प्रयास कर रही है. तमाम बुद्धिजीवियों ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर इसका विरोध जताया है. मैं केन्द्र सरकार से पुन: अपील करता हूं कि साबरमती आश्रम के मूल स्वरूप से कोई छेड़छाड़ न करें. इससे धनार्जन के प्रयास करने की बजाय इसे चिंतन-मनन का केन्द्र रहने दें.

यह है पूरा मामला

बता दें कि अहमदाबाद में महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम के पुनर्विकास की केंद्र और गुजरात सरकार की 1200 करोड़ रुपए की लागत वाली गांधी आश्रम स्मारक और सीमा विकास परियोजना का विरोध हो रहा है. इसके लिए कहा जा रहा है कि साबरमती नदी के तट पर स्थित गांधी आश्रम, जिसे साबरमती आश्रम भी कहा जाता है यहां महात्मा गांधी 1917 और 1930 के बीच भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करते हुए रहते थे.

अभी इसका प्रबंधन साबरमती आश्रम प्रिजर्वेशन एंड मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा किया जाता है. लेकिन, पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इस जगह को कभी भी विश्व स्तरीय बदलाव की जरूरत नहीं पड़ी. गांधी के करिश्मे के साथ-साथ इस जगह की प्रामाणिकता और सादगी काफी है. केंद्र और गुजरात सरकार इस तरह से गांधी और उनके सिद्धान्तों के मूल स्वरूप के साथ छेड़छाड़ नहीं करें.

जयपुर. गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती आश्रम के मूल स्वरूप के साथ हो रही छेड़छाड़ पर सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने केंद्र और गुजरात सरकार को आड़े हाथों लिया. सीएम गहलोत ने कहा कि साबरमती आश्रम (Sabarmati Ashram) को धनार्जन के प्रयास करने की बजाय इसे चिंतन-मनन का केन्द्र रहने दें.

पढ़ें- गुजरात सरकार के फैसले पर बरसे CM गहलोत, PM मोदी से हस्तक्षेप की मांग...जानें पूरा मामला

सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि केन्द्र सरकार और गुजरात सरकार की ओर से अहमदाबाद के साबरमती आश्रम के मूल स्वरूप को खत्म कर इसे आधुनिक बनाने का फैसला पूरी तरह गलत है. भारत ही नहीं दुनियाभर में इस फैसले की आलोचना हो रही है. इस फैसले से साबरमती आश्रम की सादगी एवं शुचिता खत्म हो जाएगी.

Sabarmati Ashram, Ashok Gehlot
सीएम अशोक गहलोत का ट्वीट

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने अपना पूरा जीवन सादगी के साथ आजादी की लड़ाई एवं मानवता की सेवा में लगा दिया. सादगी से जीवन जीने वाले महात्मा के आश्रम में अत्याधुनिक व लग्जरी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना उनके जीवन की मौलिकता के विपरीत है. साबरमती आश्रम में बापू के विचारों और सिद्धांतों की परछाई है.

गहलोत ने कहा कि इसके मूल ढांचे से छेड़छाड़ कर सरकार महात्मा गांधी की विरासत को मिटाने का प्रयास कर रही है. तमाम बुद्धिजीवियों ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर इसका विरोध जताया है. मैं केन्द्र सरकार से पुन: अपील करता हूं कि साबरमती आश्रम के मूल स्वरूप से कोई छेड़छाड़ न करें. इससे धनार्जन के प्रयास करने की बजाय इसे चिंतन-मनन का केन्द्र रहने दें.

यह है पूरा मामला

बता दें कि अहमदाबाद में महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम के पुनर्विकास की केंद्र और गुजरात सरकार की 1200 करोड़ रुपए की लागत वाली गांधी आश्रम स्मारक और सीमा विकास परियोजना का विरोध हो रहा है. इसके लिए कहा जा रहा है कि साबरमती नदी के तट पर स्थित गांधी आश्रम, जिसे साबरमती आश्रम भी कहा जाता है यहां महात्मा गांधी 1917 और 1930 के बीच भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करते हुए रहते थे.

अभी इसका प्रबंधन साबरमती आश्रम प्रिजर्वेशन एंड मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा किया जाता है. लेकिन, पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इस जगह को कभी भी विश्व स्तरीय बदलाव की जरूरत नहीं पड़ी. गांधी के करिश्मे के साथ-साथ इस जगह की प्रामाणिकता और सादगी काफी है. केंद्र और गुजरात सरकार इस तरह से गांधी और उनके सिद्धान्तों के मूल स्वरूप के साथ छेड़छाड़ नहीं करें.

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