जयपुर. सीएम गहलोत ने कहा कि पंडित नेहरू आजादी की लड़ाई के दौरान 9 बार जेल गए. उन्होंने अपने जीवन के 3259 दिन (करीब 9 साल) जेल में गुजारे. अंग्रेजों का विरोध करते हुए कई बार उन्होंने अंग्रेजों की ओर से किए गए बल प्रयोग का सीना तान कर सामना किया. जहां, विनायक दामोदर सावरकर ने जेल जाने के एक साल बाद में ही अंग्रेजों से माफी मांगना शुरू कर दिया था और कुल छह बार माफी मांगी और जेल से रिहा होने के बाद ब्रिटिश एजेंट बनकर काम किया, वहीं पंडित नेहरू फौलाद की तरह अंग्रेजों के सामने खड़े रहे और भारत को आजादी दिलाकर अपना संकल्प पूरा किया.
गहलोत ने कहा कि पंडित नेहरू ने भारत ही नहीं विश्व पटल पर भी भारत की आजादी की बात मजबूती से रखी. भारत के सबसे अमीर परिवारों में से एक नेहरू परिवार के सदस्य जवाहर लाल नेहरू ने अपने देश की खातिर सारी सुख-सुविधाओं का त्याग कर अपना जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया. सीएम गहलोत ने कहा कि नेहरू परिवार के सभी सदस्यों मोतीलाल नेहरू, स्वरूप रानी नेहरू, जवाहर लाल नेहरू, कमला नेहरू, विजयलक्ष्मी पंडित, कृष्णा नेहरू और इन्दिरा प्रियदर्शनी नेहरू का भारत की आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान रहा. उनके पिता मोतीलाल नेहरू ने अपना घर आनंद भवन भी क्रांतिकारियों के लिए दे दिया था. मोतीलाल नेहरू ने स्वराज पार्टी बनाकर आजादी की लड़ाई को आगे बढ़ाया. आजादी की खातिर अपना घर तक छोड़ देने वाले पंडित नेहरू के योगदान को कमतर दिखाने की कोशिश करना मोदी सरकार की बेवकूफी मात्र है.
सीएम ने कहा कि जब सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज आईएनए के तीन प्रमुख कमांडरों सहगल, ढिल्लन और शाहनवाज पर अंग्रेजों ने मुकदमा चलाया तो नेहरू ने पूरे देश में इनके समर्थन के लिए कैंपेन चलाया और आईएनए डिफेंस कमिटी बनाई. नेहरू ने अन्य वकीलों के साथ मिलकर लाल किले में वकालत करते हुए इनका मुकदमा लड़ा और आजाद हिन्द फौज के सैनिकों के मृत्युदंड को माफ करवाया, जबकि विनायक दामोदर सावरकर ने आजाद हिन्द फौज के खिलाफ ब्रिटिश सरकार की तरफ से लड़ने के लिए युवाओं को ब्रिटिश फौज में भर्ती करवाया. देश के साथ गद्दारी करने वाले ऐसे लोगों को स्वतंत्रता सेनानी बताना सभी स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है.
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सीएम गहलोत ने कहा कि अपना तन, मन, धन और जीवन देश की आजादी की लड़ाई लड़ने और आधुनिक भारत की नींव रखने के लिए लगा देने वाले पंडित नेहरू के योगदान को कमतर दिखाने के कुप्रयास का खामियाजा भाजपा सरकार को भुगतना पड़ेगा और समय आने पर देश मोदी सरकार को सबक सिखाएगा.
बता दें, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद यानी आईसीएचआर की तरफ से आजादी के अमृत महोत्सव समारोह को लेकर जारी किए गए पोस्टर में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर नहीं लगाई है. इस मामले में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद ने अपना रुख साफ किया है. आईसीएचआर की तरफ से कहा गया है कि ये कोई गलती नहीं बल्कि आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लोगों के योगदान को याद दिलाने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई है उसका हिस्सा है.
नेहरू की तस्वीर नहीं होना आजादी में उनके योगदान को किसी भी तरीके से कम नहीं करता. ऐसे तो पोस्टर में कई और महापुरुषों की भी तस्वीर नहीं है, लेकिन इससे उनका मान या योगदान कम नहीं हो जाता. भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव प्रो. कुमार रत्नम के मुताबिक आईसीएचआर की तरफ से जारी किए गए पोस्टर में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की तस्वीर ना होना कोई चूक का नहीं बल्कि ये एक प्रक्रिया का हिस्सा है.