कुचामनसिटी : पौष महीने में राजस्थान के विभिन्न शहरों में मनाया जाने वाला पौष बड़ा महोत्सव, सर्दियों का स्वागत करने के लिए बड़ी धूमधाम से आयोजित होता है. इस उत्सव में दाल के नमकीन बड़े, पकोड़े और अन्य स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर श्रद्धालु अपने आराध्य देव को प्रसाद अर्पित करते हैं. यह पर्व विशेष रूप से कुचामनसिटी में बहुत लोकप्रिय है, जहां इसे रियासतकाल से मनाया जा रहा है. इसी क्रम में आज कुचामन किले के नटवरलाल मन्दिर व ठाकुरजी के मन्दिर में पौष मास के शुक्ल पक्ष में पौष बड़ा महोत्सव का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मंदिर में विराजमान गणेशजी व ठाकुरजी की प्रतिमाओं का विशेष श्रृंगार किया व पाठ कर आरती की गई, पोषबड़ा कार्यक्रम के अवसर पर महिलाओं ने भजन-कीर्तन किए.
पंडित छोटू लाल शर्मा शास्त्री ने बताया कि इस महोत्सव का आयोजन कुचामनसिटी में 1970 में ठाकुर जी महाराज के महंत श्री उमाशंकर जोशी के सानिध्य में शुरू हुआ था. इस दिन को मनाने के लिए लोग पौष मास के किसी भी दिन का चुनाव करते हैं और पंगत में प्रसाद का सेवन करते हैं. इस दौरान दाल के बड़े, गर्म हलवे, दाल-बाटी-चूरमा और मल्टीग्रेन खिचड़ी जैसी विशेष सामग्री अर्पित की जाती है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार, पौष मास में दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है. पौष बड़ा महोत्सव में उपयोग होने वाली सामग्री का ग्रहों से संबंध है, जैसे तेल का शनि ग्रह से, मिर्च का मंगल ग्रह से, जीरा और धनिया का बुध ग्रह से, और शक्कर का शुक्र ग्रह से. इन सामग्रियों की ऊर्जा शीतकाल में शरीर में प्राण संचारित करती है, जिससे स्वास्थ्य लाभ होता है. ऋतुकाल के अनुसार भगवान का प्रसाद और परिधान बदल जाता है. इसलिए सर्दी में भगवान को ऊर्जा पैदा करने वाली सामग्री अर्पित की जाती है. शीतकाल में प्रभु को सौंठ, अजवाइन और तिल से बना प्रसाद चढ़ाया जाता है. जबकि वर्षा ऋतु में हल्के वस्त्र पहनाए जाते हैं और जल विहार का आयोजन किया जाता है.
कुचामनसिटी के मंदिरों में यह त्यौहार अब एक परंपरा बन चुका है, और यहां के लोगों के लिए यह सर्दी के मौसम में एक विशेष आयोजन होता है यहां के हर गली-मोहल्ले में कोई न कोई इस महोत्सव को बड़े उत्साह के साथ मनाता है, जिससे यह पर्व अब एक सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन बन चुका है.