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इंदिरा गांधी फीडर और मुख्य नहर में रीलाइनिंग के काम लक्ष्य के अनुरूपः मुख्य सचिव

मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने इंदिरा गांधी फीडर और मुख्य नहर में चल रहे रीलाइनिंग के कार्य की समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश में इंदिरा गांधी नहर की मरम्मत के कार्यों के लिए 60 दिन का क्लोजर किया गया है, वह एतिहासिक है, जो क्रमबद्ध तरीके से की गई प्लानिंग के कारण ही संभव हो सका है. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि किसानों को माइक्रो इरिगेशन प्रणाली अपनाने के लिए प्रेरित करें, इससे सिंचाई के पानी की बचत होगी और नहर से पेयजल आपूर्ति को और भी विस्तार दिया जा सकेगा.

मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने ली मीटिंग, Rajasthan News
मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने ली मीटिंग
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Published : May 21, 2021, 8:48 PM IST

जयपुर. मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने शुक्रवार को शासन सचिवालय में रेगिस्तानी क्षेत्र के लिए राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्गठन परियोजना की स्टेंडिंग लेवल कमेटी की पहली बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से नहर में चल रहे रीलाइनिंग के कार्यों की प्रगति और नहर में कम्पोजिट क्लोजर और सम्पूर्ण क्लोजर के समय पेयजल की आपूर्ति की व्यवस्थाओं के बारे में भी जानकारी ली. मुख्य सचिव ने अधिकारियों को कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये.

उन्होंने बताया कि जो क्लोजर पहले 70 दिन का था, उसे राज्य सरकार की ओर से आग्रह करने पर पंजाब सरकार ने सहयोग कर 60 दिन का कर दिया. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी नहर 60 साल पुरानी है. लगातार पानी के बहाव के कारण इसकी क्षतिग्रस्त लाइनिंग को फिर से बनाना एक चुनौती भरा काम था, जिसका बेहतरीन क्रियान्वयन राज्य सरकार की ओर से किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इससे ना केवल नहर की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि सीपेज के कारण पानी की हानि और वाटर लॉगिंग की समस्याओं से भी निजात मिलेगी.

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आर्य ने बताया कि इंदिरा गांधी नहर से 16.17 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए सिंचाई का पानी और 7 हजार 500 गांवों और 49 शहरों के लगभग 1.7 करोड़ लोगों को पीने का पानी सुलभ होता है. आर्य ने इंदिरा गांधी कैनाल फीडर, मुख्य नहर और डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के कार्यों की भौतिक और वित्तीय प्रगति के बारे में जानकारी ली. उन्होंने अभी तक योजना पर खर्च और आगे बजट की अनुमानित आवश्यकओं के बारे में भी जानकारी ली. उन्होंने प्रोजेक्ट में अनुमानित बचत की राशि से 444 .21 करोड़ रुपयें के नए कार्यों का अनुमोदन किया. इसके अतिरिक्त मुख्य सचिव ने किसानों को बूंद बूंद सिंचाई प्रणाली अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट एरिया में प्रोजेक्ट फंड से माइक्रो इरिगेशन पर सब्सीडी को 5 से 25 प्रतिशत तक बढ़ाने का अनुमोदन किया.

मुख्य सचिव ने कोविड महामारी के कारण प्रोजेक्ट में देरी होने की वजह से पूरे प्रोजेक्ट की अवधि को 2 साल बढ़ाकर 12 फरवरी 2025 तक करने का भी अनुमोदन किया. बैठक में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने भी प्रोजेक्ट के कार्यों की सराहना की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से नहर बंदी कर मरम्मत के कार्यों को सफलतापूर्वक करना और इस दौरान पेयजल की व्यवस्था सुचारू बनाए रखना एक ऐतिहासिक काम है.

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जल संसाधन विभाग के प्रमुख शासन सचिव नवीन महाजन ने बताया कि प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन की सबसे बड़ी चुनौती क्लोजर के दौरान पीने के पानी की आपूर्ति थी. इसके लिए 30 दिन के कंपोजिट क्लोजर के दौरान पेयजल की व्यवस्था सरहिंद फीडर से की गई. इसके बाद 30 दिन का पूर्ण क्लोजर किया गया है. उन्होंने बताया कि क्लोजर 28 मई तक चलेगा. महाजन ने बताया कि राजस्थान की ओर से 48.62 किलोमीटर नहर की रीलाइनिंग के कार्य के लक्ष्य के विरुद्ध 19 मई तक नहर की बैड रीलाइनिंग का काम 42.60 प्रतिशत और साइड स्लोप की रीलाइनिंग का कार्य 54.29 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है.

प्रमुख शासन सचिव ने बताया कि मात्र 30 दिन में इस लक्ष्य को पूरा करना चुनौतीपूर्ण है. प्रोजेक्ट का काम दिन-रात 24 घण्टे लगातार चलता रहता है. इस कार्य के लिए साढ़े तीन हजार मजदूर लगाए गए हैं, जो हर दिन तीन पारियों में काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि कार्य के लिए लगभग तीन लाख घन मीटर कंकरीट लगेगा, जिसमें 19.5 लाख सीमेन्ट के कट्टे और 1.37 लाख घन मीटर बजरी और 2.73 लाख घन मीटर गिट्टी का इस्तेमाल होगा. उन्होंने बताया कि इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल का भी पूरी तरह ध्यान रखा गया है. बैठक में वित्त विभाग के शासन सचिव पृथ्वी राज, कृषि विभाग के आयुक्त ओम प्रकाश, बीकानेर और जोधपुर के संभागीय आयुक्त और संबंधित विभागों के अधिकारियों ने वीसी के जरिये भाग लिया.

जयपुर. मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने शुक्रवार को शासन सचिवालय में रेगिस्तानी क्षेत्र के लिए राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्गठन परियोजना की स्टेंडिंग लेवल कमेटी की पहली बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से नहर में चल रहे रीलाइनिंग के कार्यों की प्रगति और नहर में कम्पोजिट क्लोजर और सम्पूर्ण क्लोजर के समय पेयजल की आपूर्ति की व्यवस्थाओं के बारे में भी जानकारी ली. मुख्य सचिव ने अधिकारियों को कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये.

उन्होंने बताया कि जो क्लोजर पहले 70 दिन का था, उसे राज्य सरकार की ओर से आग्रह करने पर पंजाब सरकार ने सहयोग कर 60 दिन का कर दिया. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी नहर 60 साल पुरानी है. लगातार पानी के बहाव के कारण इसकी क्षतिग्रस्त लाइनिंग को फिर से बनाना एक चुनौती भरा काम था, जिसका बेहतरीन क्रियान्वयन राज्य सरकार की ओर से किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इससे ना केवल नहर की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि सीपेज के कारण पानी की हानि और वाटर लॉगिंग की समस्याओं से भी निजात मिलेगी.

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आर्य ने बताया कि इंदिरा गांधी नहर से 16.17 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए सिंचाई का पानी और 7 हजार 500 गांवों और 49 शहरों के लगभग 1.7 करोड़ लोगों को पीने का पानी सुलभ होता है. आर्य ने इंदिरा गांधी कैनाल फीडर, मुख्य नहर और डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के कार्यों की भौतिक और वित्तीय प्रगति के बारे में जानकारी ली. उन्होंने अभी तक योजना पर खर्च और आगे बजट की अनुमानित आवश्यकओं के बारे में भी जानकारी ली. उन्होंने प्रोजेक्ट में अनुमानित बचत की राशि से 444 .21 करोड़ रुपयें के नए कार्यों का अनुमोदन किया. इसके अतिरिक्त मुख्य सचिव ने किसानों को बूंद बूंद सिंचाई प्रणाली अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट एरिया में प्रोजेक्ट फंड से माइक्रो इरिगेशन पर सब्सीडी को 5 से 25 प्रतिशत तक बढ़ाने का अनुमोदन किया.

मुख्य सचिव ने कोविड महामारी के कारण प्रोजेक्ट में देरी होने की वजह से पूरे प्रोजेक्ट की अवधि को 2 साल बढ़ाकर 12 फरवरी 2025 तक करने का भी अनुमोदन किया. बैठक में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने भी प्रोजेक्ट के कार्यों की सराहना की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से नहर बंदी कर मरम्मत के कार्यों को सफलतापूर्वक करना और इस दौरान पेयजल की व्यवस्था सुचारू बनाए रखना एक ऐतिहासिक काम है.

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प्रमुख शासन सचिव ने बताया कि मात्र 30 दिन में इस लक्ष्य को पूरा करना चुनौतीपूर्ण है. प्रोजेक्ट का काम दिन-रात 24 घण्टे लगातार चलता रहता है. इस कार्य के लिए साढ़े तीन हजार मजदूर लगाए गए हैं, जो हर दिन तीन पारियों में काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि कार्य के लिए लगभग तीन लाख घन मीटर कंकरीट लगेगा, जिसमें 19.5 लाख सीमेन्ट के कट्टे और 1.37 लाख घन मीटर बजरी और 2.73 लाख घन मीटर गिट्टी का इस्तेमाल होगा. उन्होंने बताया कि इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल का भी पूरी तरह ध्यान रखा गया है. बैठक में वित्त विभाग के शासन सचिव पृथ्वी राज, कृषि विभाग के आयुक्त ओम प्रकाश, बीकानेर और जोधपुर के संभागीय आयुक्त और संबंधित विभागों के अधिकारियों ने वीसी के जरिये भाग लिया.

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