जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने बीवीजी कंपनी (BVG) के बकाया 276 करोड़ रुपए के भुगतान के बदले 20 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में आरोपी ओमकार सप्रे (Om Prakash Sapre) को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश नरेंद्र सिंह ने यह आदेश आरोपी सप्रे की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.
बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे की ओर से जमानत याचिका में कहा गया कि एसीबी ने मामले में अनुसंधान पूरा कर आरोप पत्र पेश कर दिया है. अब प्रकरण में कोई जांच शेष नहीं है. इसके अलावा याचिकाकर्ता लोक सेवक भी नहीं है. याचिका में कहा गया कि एसीबी ने सिर्फ वायरल वीडियो के आधार पर मामला दर्ज किया है. प्रकरण में किसी राशि का लेनदेन भी नहीं हुआ है. वहीं वीडियो में जो 276 करोड़ रुपए की राशि का हवाला है, वह कंपनी की बकाया राशि है.
यह भी पढ़ें. नियुक्ति से पहले संतान होने पर भी मिलेगा मैटरनिटी लीव का लाभ
प्रार्थी की ओर से किसी तरह की अवैध राशि की मांग नहीं की जा रही है. ऐसे में एसीबी का प्रकरण ही नहीं बनता है. इसके अलावा याचिकाकर्ता लंबे समय से जेल में बंद है. इसलिए प्रार्थी को जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि प्रकरण 276 करोड़ रुपए के भुगतान के बदले बीस करोड़ रुपए की रिश्वत से जुड़ा है. मामले में एसीबी अन्य लोगों की भूमिका की जांच कर रही है. इसलिए आरोपी को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता.
बता दें कि बीवीजी कंपनी के 276 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान के बदले 20 करोड़ रुपए की सौदेबाजी का एक वीडियो वायरल (BVG Viral Video) हुआ था. इस बातचीत में निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर (Mayor Somya Gurjar) के पति राजाराम गुर्जर, बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे, संदीप चौधरी और आरएसएस प्रचारक निंबाराम (RSS Pracharak Nimbaram) नजर आ रहे थे.
वीडियो वायरल होने के बाद एसीबी ने मामले को भ्रष्टाचार माना और इसी आधार पर एसीबी ने 30 जून को राजा राम गुर्जर और ओमकार सप्रे को पूछताछ के लिए बुलाया और इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया था.