जयपुर. देशभर में चल रहे भाजपा के संगठन महापर्व के बीच राजस्थान भाजपा में एक बार फिर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद का मामला उलझता नजर आ रहा है. मदन लाल सैनी के निधन को 40 दिन से अधिक हो गए हैं. लेकिन, पार्टी को राजस्थान भाजपा के लिए नया सेनापति नहीं मिल पाया है. ऐसे में राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा फिर उठने लगी है कि पार्टी एक बार फिर उसी दोराहे पर खड़ी हो गई है जो साल 2018 में तत्कालिक प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी के इस्तीफे के बाद उत्पन्न हुई थी.
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जातीय गुणा भाग के फेर में उलझी भाजपा
24 जून को हुए तत्कालिक प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी के निधन के बाद प्रदेश भाजपा के सेनापति की कुर्सी पिछले 40 दिन से अधिक समय से खाली है. लेकिन, इस पर अब तक किसी की ताजपोशी नहीं हो पाई है. माना जा रहा था संगठनात्मक चुनाव के दौरान पार्टी इस पद पर किसी कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी. जिसे बाद में निर्वाचित अध्यक्ष बना दिया जाएगा लेकिन ऐसा अब तक नहीं हो पाया है. मतलब एक बार फिर वही स्थिति प्रदेश भाजपा में बनती नजर आ रही है जो विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष पद के विवाद के दौरान बनी थी.
उस समय भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद 78 दिन तक खाली रहा था. लेकिन, अब उस तरह का विवाद पार्टी के भीतर नहीं है. पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद पर जातीय गुणा भाग में अटकी है ताकि ऐसा अध्यक्ष मिल सके जिससे ना केवल बीजेपी को मजबूती मिले बल्कि सभी जातियों को भी साधा जा सके.
जाट, राजपूत, दलित या ब्राह्मण लेकिन प्रदेशाध्यक्ष होगा संघनिष्ठ
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी पर किसी समाज का नेता बैठे. लेकिन, उसका संघ पृष्ठभूमि से होना बेहद जरूरी माना जाएगा. यही कारण है कि अब तक पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए जिन भी नेताओं के नाम सामने आए वे सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से ही आते हैं. फिर चाहे जाट समाज से सतीश पूनिया दलित समाज से मदन दिलावर और ब्राह्मण समाज से अरुण चतुर्वेदी सीपी जोशी का नाम ही क्यों ना हो. यह सभी नेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस पृष्ठभूमि के नेता माने जाते हैं. दर्शन जाट या दलित में से किसी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर पार्टी का परंपरागत और मजबूत वोट बैंक ब्राह्मण और राजपूत के नाराज होने की संभावना है. जिसके चलते आला नेता ऐसे नेता और चेहरे की तलाश में है जिससे सभी जातियों को साधा जा सके और संगठन को भी मजबूती मिल सके.
सितंबर से शुरू हो जाएगी पार्टी की संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया
प्रदेश भाजपा में 12 अगस्त से 31 अगस्त तक सक्रिय सदस्यता अभियान चलेगा और उसके बाद पार्टी में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी. इन चुनाव के जरिए मंडल से लेकर जिला और प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक के चुनाव होंगे. लेकिन, पार्टी में अब तक यह परंपरा रही है कि प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव केवल कहने को होते हैं. जबकि इन पर आपसी सहमति पर ही किसी भी नेता की ताजपोशी होती है. ऐसे में संगठन चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले यदि पार्टी को प्रदेश में कार्यकारी अध्यक्ष दिया गया तो वही नेता आगामी दिनों में निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया जाएगा.