जयपुर. केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर हर दिन कोई ना कोई नया मोड़ सामने आ रहा है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से 4 सदस्यीय कमेटी बनाने के बाद भी उस पर सवालिया निशान लगाए गए. उनमें से भी एक सदस्य ने अपना नाम वापस ले लिया. अब भारतीय किसान संघ इस मामले में आगे आया है और समिति में पक्षकार बनना चाहता है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र भी प्रस्तुत किया गया है. यह जानकारी भारतीय किसान संघ के महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने दी.
बद्रीनारायण चौधरी ने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच गतिरोध पैदा होने पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया. सरकार और किसानों के पक्ष में तटस्थ विषयों की कमेटी बनाने की भी पहल की गई ताकि कृषि कानूनों पर चर्चा कर इसे किसानों के पक्ष में लाभदायक बनाने की पहल की जाए. जिन शब्दावली के कारण अर्थ का अनर्थ हो रहा है, उसे भी दूर किया जा सके.
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हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की ओर से कमेटी भी बनाई गई लेकिन इस पर भी सवाल उठाए गए. कमेटी के अधिकांश सदस्य कॉरपोरेट सेवा प्रदाता हैं, जिसके कारण किसान भड़का हुआ है. सवाल उठने के बाद भूपेंद्र सिंह मान ने कमेटी से अपना नाम वापस ले लिया है. बद्रीनारायण चौधरी ने कहा कि दिल्ली में भारतीय किसान संघ की हुई बैठक में सुप्रीम कोर्ट की कमेटी में पक्षकार बनने का फैसला किया गया है. इस संबंध में प्रार्थना पत्र भी संघ की ओर से प्रस्तुत किया गया है.
भारतीय किसान संघ का मानना है एक कमेटी में तटस्थ एवं कृषि विशेषज्ञ (आईसीएआर) प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए ताकि किसानों की वास्तविक पीड़ा को शामिल किया जा सके. चौधरी ने कहा कि शीतकालीन अवकाश के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आनन-फानन में कमेटी घोषित की. इसमें सरकारी और किसान प्रतिनिधियों के साथ कृषि विशेषज्ञ लोगों को शामिल किया जाना चाहिए था.
बद्रीनारायण चौधरी ने कहा कि समिति बन चुकी है, उसके समक्ष सभी किसान संगठनों को जाकर अपना विषय तर्क के साथ रखना चाहिए. जब समिति के सदस्यों पर संदेह हो रहा है तो अपना पक्ष जरूर रखना चाहिए. यदि नहीं जाएंगे तो एक तरफा रिपोर्ट जाएगी. राजनेताओं की बयानबाजी सदा ही किसानों के मार्ग में बाधक बनी है. हमारी मांगों का विषय हम ही रखने वाले हैं और हर हाल में न्यूनतम समर्थन मूल्य लेने वाले हैं.
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चौधरी ने कहा कि किसान पहले भी घाटे में था और आगे भी रहेगा, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय और केंद्र सरकार के प्रति निष्ठा में जो घाटा दिखाई दे रहा है वह असहनीय है. उन्होंने कहा कि समिति में उपभोक्ता और व्यापारी प्रतिनिधियों के होने से समिति में संतुलन बढ़ेगा ताकि सभी के विचार विमर्श के माध्यम से सर्वमान्य समाधान की ओर बढ़ सके.
बद्रीनारायण चौधरी ने कहा कि कमेटी में किसान की वास्तविक पीड़ा जानने वाला कोई पैसा नहीं है, हो सकता है कि किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोग इसमें शामिल हो. आज राजनेता, अफसर, कर्मचारी, व्यापारी सब अपने आप को किसान कहते हैं, लेकिन वास्तविक पीड़ा कोई नहीं जानता. इसलिए कमेटी में किसानों की वार्षिक पीड़ा जानने वाले प्रतिनिधियों को शामिल करना चाहिए.