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बसंत नवरात्र की शुरुआत, जानिए घट स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त - बसंत नवरात्र का शुभारंभ

बसंत नवरात्र का शुभारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को होगा. बुधवार को नवरात्र में घट स्थापना लिए देवी पुराण और तिथि तत्व में प्रातःकाल का समय ही श्रेष्ठ है.

बसंत नवरात्र की शुरुआत, Beginning of spring navaratri
बसंत नवरात्र की शुरुआत
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Published : Mar 25, 2020, 8:23 AM IST

जयपुर. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को बसंत नवरात्र का शुभारंभ होगा. नवरात्रि में 9 देवियों की आराधना से पूर्व देवी का आह्वान यानि घट स्थापना की जाती है. घट स्थापना 9 दिन तक व्रत रखने वाले लोग करते है. लेकिन कई स्थानों पर नवरात्रि में प्रतिपदा और अष्टमी के दिन व्रत करते हैं. बुधवार को नवरात्र में घट स्थापना लिए देवी पुराण और तिथि तत्व में प्रातःकाल का समय ही श्रेष्ठ है.

बसंत नवरात्र की शुरुआत

हालांकि इस बार कोरोना महामारी के चलते मंदिरों में घट स्थापना में इतने श्रद्धालु नजर नहीं आएंगे. लेकिन घरों में रहकर लोग देवी का आह्वान सुबह द्विस्वभाव लग्न में कर सकते हैं. वहीं ज्योतिषाचार्य गिरिराज व्यास ने बताया कि, बासंती नवरात्र घट स्थापना द्विस्वभाव मीन लग्न में सुबह सूर्योदय के साथ ही 9.42 बजे तक सर्वश्रेष्ठ रहेगा. वहीं उसके बाद 11.13 बजे से 12 बजे तक घट स्थापना के मुहूर्त रहेगा.

साथ ही चैत्र नवरात्र पर 176 साल बाद विशेष दुर्लभ योग बन रहा है. जहां नवरात्र के बीच में ही गुरु का गोचर 29 मार्च को होगा. गुरु अपनी राशि धनु से मकर में जाएगा. मकर गुरु की नीच राशि है. नवरात्र के मध्य गुरु का गोचर होने के कारण गुरु नीच का हो जाएगा. साथ ही प्रतिपदा को बुधवार होने से इस बार घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त त्याग्य रहेगा. ऐसे में अभिजीत समय दोपहर 12.09 बजे से 12.57 बजे तक का समय स्थापना के लिए टाला जाना चाहिए.

पढ़ें: जयपुर: लॉक डाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, 1 हजार 380 वाहन जब्त

वहीं नवरात्र की महाष्टमी 1 अप्रैल को मनाई जाएगी. जबकि रामनवमी और महानवमी 2 अप्रैल की रहेगी. बता दें कि, मकर में शनि और मंगल पहले से ही विराजमान होंगे. जो एक दुर्लभ संयोग का निर्माण कर रहे हैं. यही वजह है कि 176 साल पहले 1842 से शुरू हुए चैत्र के बीच गुरु ने मकर राशि में गोचर किया था. गुरु का गोचर संयोग इस वर्ष के बीच 29 मार्च 2020 को भी बन रहा है. जो कि अद्भुत संयोग होगा.

घट स्थापना की विधि:-

कलश स्थापना के लिए साफ कलश उपयोग करें जो काफी उत्तम होगा. घट स्थापना में स्वच्छ मिट्टी, थाली, कटोरी, जल, ताम्र, दुर्वा, इत्र, चंदन, चौकी, लाल वस्त्र, रुई, नारियल, चावल, सुपारी, रोली, मोली, धूप दीप, फूल, श्रृंगार सामग्री, पान, इलायची, शक्कर, शुद्ध घी, दूध, गंगाजल सहित अन्य की आवश्यकता होगी. इससे पहले चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सूर्योदय स्नान आदि से निव्रत होकर स्वछ वस्त्र धारण करें. फिर घट स्थापना के लिए सामग्री पूजा स्थल पर लाल वस्त्र बिछाए और मां दुर्गा की मूर्ति को स्थापित कर दें.

इसके पश्चात मां दुर्गा के बाएं और सफेद वस्त्र पर 9 कोष्ठक 9 ग्रह के लिए बनाएं और लाल वस्त्र पर 16 कोष्ठक षोडशामृत के लिए बना लें. फिर कलश पर मौली या रक्षा सूत्र बांधे और स्वस्तिक बनाएं. वहीं बाद में कलश स्थापन करें और पेंदी के पास गेहूं और चावल रख दें. फिर कलश में जल भरे और आम की पत्तियां डाल दें. इसके बाद एक मिट्टी के पात्र में चावल ले और उस पर नारियल के गोले में रक्षा सूत्र लपेट कर रखें. उस पात्र को कलश के मुख पर रख दें. वहीं साथ मे अखंड दीपक जलाकर वहां रखे. वहीं मिट्टी के पात्र में जो को भर लें और उसे जल से सिंचित करें. अंतिम में पात्र को माता रानी की चौकी के बाई और स्थापित कर दें.

जयपुर. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को बसंत नवरात्र का शुभारंभ होगा. नवरात्रि में 9 देवियों की आराधना से पूर्व देवी का आह्वान यानि घट स्थापना की जाती है. घट स्थापना 9 दिन तक व्रत रखने वाले लोग करते है. लेकिन कई स्थानों पर नवरात्रि में प्रतिपदा और अष्टमी के दिन व्रत करते हैं. बुधवार को नवरात्र में घट स्थापना लिए देवी पुराण और तिथि तत्व में प्रातःकाल का समय ही श्रेष्ठ है.

बसंत नवरात्र की शुरुआत

हालांकि इस बार कोरोना महामारी के चलते मंदिरों में घट स्थापना में इतने श्रद्धालु नजर नहीं आएंगे. लेकिन घरों में रहकर लोग देवी का आह्वान सुबह द्विस्वभाव लग्न में कर सकते हैं. वहीं ज्योतिषाचार्य गिरिराज व्यास ने बताया कि, बासंती नवरात्र घट स्थापना द्विस्वभाव मीन लग्न में सुबह सूर्योदय के साथ ही 9.42 बजे तक सर्वश्रेष्ठ रहेगा. वहीं उसके बाद 11.13 बजे से 12 बजे तक घट स्थापना के मुहूर्त रहेगा.

साथ ही चैत्र नवरात्र पर 176 साल बाद विशेष दुर्लभ योग बन रहा है. जहां नवरात्र के बीच में ही गुरु का गोचर 29 मार्च को होगा. गुरु अपनी राशि धनु से मकर में जाएगा. मकर गुरु की नीच राशि है. नवरात्र के मध्य गुरु का गोचर होने के कारण गुरु नीच का हो जाएगा. साथ ही प्रतिपदा को बुधवार होने से इस बार घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त त्याग्य रहेगा. ऐसे में अभिजीत समय दोपहर 12.09 बजे से 12.57 बजे तक का समय स्थापना के लिए टाला जाना चाहिए.

पढ़ें: जयपुर: लॉक डाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, 1 हजार 380 वाहन जब्त

वहीं नवरात्र की महाष्टमी 1 अप्रैल को मनाई जाएगी. जबकि रामनवमी और महानवमी 2 अप्रैल की रहेगी. बता दें कि, मकर में शनि और मंगल पहले से ही विराजमान होंगे. जो एक दुर्लभ संयोग का निर्माण कर रहे हैं. यही वजह है कि 176 साल पहले 1842 से शुरू हुए चैत्र के बीच गुरु ने मकर राशि में गोचर किया था. गुरु का गोचर संयोग इस वर्ष के बीच 29 मार्च 2020 को भी बन रहा है. जो कि अद्भुत संयोग होगा.

घट स्थापना की विधि:-

कलश स्थापना के लिए साफ कलश उपयोग करें जो काफी उत्तम होगा. घट स्थापना में स्वच्छ मिट्टी, थाली, कटोरी, जल, ताम्र, दुर्वा, इत्र, चंदन, चौकी, लाल वस्त्र, रुई, नारियल, चावल, सुपारी, रोली, मोली, धूप दीप, फूल, श्रृंगार सामग्री, पान, इलायची, शक्कर, शुद्ध घी, दूध, गंगाजल सहित अन्य की आवश्यकता होगी. इससे पहले चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सूर्योदय स्नान आदि से निव्रत होकर स्वछ वस्त्र धारण करें. फिर घट स्थापना के लिए सामग्री पूजा स्थल पर लाल वस्त्र बिछाए और मां दुर्गा की मूर्ति को स्थापित कर दें.

इसके पश्चात मां दुर्गा के बाएं और सफेद वस्त्र पर 9 कोष्ठक 9 ग्रह के लिए बनाएं और लाल वस्त्र पर 16 कोष्ठक षोडशामृत के लिए बना लें. फिर कलश पर मौली या रक्षा सूत्र बांधे और स्वस्तिक बनाएं. वहीं बाद में कलश स्थापन करें और पेंदी के पास गेहूं और चावल रख दें. फिर कलश में जल भरे और आम की पत्तियां डाल दें. इसके बाद एक मिट्टी के पात्र में चावल ले और उस पर नारियल के गोले में रक्षा सूत्र लपेट कर रखें. उस पात्र को कलश के मुख पर रख दें. वहीं साथ मे अखंड दीपक जलाकर वहां रखे. वहीं मिट्टी के पात्र में जो को भर लें और उसे जल से सिंचित करें. अंतिम में पात्र को माता रानी की चौकी के बाई और स्थापित कर दें.

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