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डेढ़ साल से शुरू नहीं हो पाया ड्राइविंग लाइसेंस में पारदर्शिता के लिए बना ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक

राजस्थान के 13 आरटीओ ऑफिस में पिछले साल नई तकनीक से ड्राइविंग टेस्ट शुरू करने की कवायद की गई थी. इसके लिए ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक का निर्माण भी किया गया था, लेकिन ड्राइविंग ट्रैक में कई खामियां नजर आई और इन्हें बंद कर दिया गया. वहीं, अभी तक ये ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक शुरू नहीं हो पाए हैं.

ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक, Rajasthan News
राजस्थान में अब तक शुरू नहीं हो पाए ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक
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Published : Jun 19, 2020, 4:21 PM IST

जयपुर. राजधानी सहित प्रदेश के 13 आरटीओ ऑफिस में पिछले साल नई तकनीक से ड्राइविंग टेस्ट शुरू करने की कवायद की गई थी. लेकिन, अभी तक ये ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक शुरू नहीं हो पाए हैं. गौरतलब है कि परिवहन विभाग के द्वारा ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक का निर्माण कराया गया था. लेकिन, उन ड्राइविंग ट्रैक में कई खामियां भी नजर आई थी. इसके बाद उन सभी 13 ड्राइविंग ट्रैक को बंद कर दिया गया था.

राजस्थान में अब तक शुरू नहीं हो पाए ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक

पढ़ें: नवजात घड़ियालों से चहक उठा चंबल नदी का तट, पहली बार हजारों की संख्या में लिया जन्म

ड्राइविंग ट्रैक की सबसे पहले शुरुआत जगतपुरा के प्रादेशिक परिवहन कार्यालय से की गई थी. लेकिन, जब इस ड्राइविंग ट्रैक को पिछले साल चालू किया गया तो कई खामियां नजर आई. इस ड्राइविंग ट्रैक पर टेस्ट देने वाले सभी लोगों को फेल कर दिया गया था, जिसके चलते ये ड्राइविंग ट्रैक अभी तक चालू भी नहीं हो पाया है. इस ड्राइविंग ट्रैक के चालू नहीं होने के पीछे सबसे बड़ा कारण स्मार्ट चिप कंपनी को बताया गया है.

30 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए थे ड्राइविंग ट्रैक
परिवहन विभाग द्वारा राजस्थान के 13 जिलों में ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक का निर्माण किया गया था. विभाग के द्वारा कुल 30 करोड़ रुपये की लागत से ये ड्राइविंग ट्रैक बनाया गया था. इसके अंतर्गत 11 आरटीओ और 2 डीटीओ ऑफिस का निर्माण किया गया था. लेकिन, पिछले डेढ़ साल से ये ड्राइविंग ट्रैक बिना उपयोग के खराब हो रहे हैं. साथ ही इनकी मरम्मत भी नहीं हो पा रही है. ऐसे में विभाग को 30 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान भी हुआ है.

स्मार्ट चिप कंपनी को दिया गया था ड्राइविंग ट्रैक का टेंडर
परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जो 13 ड्राइविंग ट्रैक बनाए गए थे, उनका टेंडर स्मार्ट चिप कंपनी को दिया गया था. इसके अंतर्गत स्मार्ट चिप कंपनियों ने दोपहिया और चारपहिया वाहन को लेकर अपना रेट फिक्स कर दिया था. दोपहिया वाहन के लिए 100 रुपये और चारपहिया वाहन के लिए 150 रुपये रेट फिक्स किया गया था. लेकिन, बाद में परिवहन विभाग के द्वारा स्मार्ट चिप कंपनी के साथ हुए करार को तोड़ दिया गया था और विभाग को ही ये ड्राइविंग ट्रैक को चलाना था. लेकिन, पिछले डेढ़ साल से आमजन के लिए ये ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक चालू नहीं हो पाया है.

जयपुर. राजधानी सहित प्रदेश के 13 आरटीओ ऑफिस में पिछले साल नई तकनीक से ड्राइविंग टेस्ट शुरू करने की कवायद की गई थी. लेकिन, अभी तक ये ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक शुरू नहीं हो पाए हैं. गौरतलब है कि परिवहन विभाग के द्वारा ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक का निर्माण कराया गया था. लेकिन, उन ड्राइविंग ट्रैक में कई खामियां भी नजर आई थी. इसके बाद उन सभी 13 ड्राइविंग ट्रैक को बंद कर दिया गया था.

राजस्थान में अब तक शुरू नहीं हो पाए ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक

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ड्राइविंग ट्रैक की सबसे पहले शुरुआत जगतपुरा के प्रादेशिक परिवहन कार्यालय से की गई थी. लेकिन, जब इस ड्राइविंग ट्रैक को पिछले साल चालू किया गया तो कई खामियां नजर आई. इस ड्राइविंग ट्रैक पर टेस्ट देने वाले सभी लोगों को फेल कर दिया गया था, जिसके चलते ये ड्राइविंग ट्रैक अभी तक चालू भी नहीं हो पाया है. इस ड्राइविंग ट्रैक के चालू नहीं होने के पीछे सबसे बड़ा कारण स्मार्ट चिप कंपनी को बताया गया है.

30 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए थे ड्राइविंग ट्रैक
परिवहन विभाग द्वारा राजस्थान के 13 जिलों में ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक का निर्माण किया गया था. विभाग के द्वारा कुल 30 करोड़ रुपये की लागत से ये ड्राइविंग ट्रैक बनाया गया था. इसके अंतर्गत 11 आरटीओ और 2 डीटीओ ऑफिस का निर्माण किया गया था. लेकिन, पिछले डेढ़ साल से ये ड्राइविंग ट्रैक बिना उपयोग के खराब हो रहे हैं. साथ ही इनकी मरम्मत भी नहीं हो पा रही है. ऐसे में विभाग को 30 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान भी हुआ है.

स्मार्ट चिप कंपनी को दिया गया था ड्राइविंग ट्रैक का टेंडर
परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जो 13 ड्राइविंग ट्रैक बनाए गए थे, उनका टेंडर स्मार्ट चिप कंपनी को दिया गया था. इसके अंतर्गत स्मार्ट चिप कंपनियों ने दोपहिया और चारपहिया वाहन को लेकर अपना रेट फिक्स कर दिया था. दोपहिया वाहन के लिए 100 रुपये और चारपहिया वाहन के लिए 150 रुपये रेट फिक्स किया गया था. लेकिन, बाद में परिवहन विभाग के द्वारा स्मार्ट चिप कंपनी के साथ हुए करार को तोड़ दिया गया था और विभाग को ही ये ड्राइविंग ट्रैक को चलाना था. लेकिन, पिछले डेढ़ साल से आमजन के लिए ये ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक चालू नहीं हो पाया है.

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