जयपुर. कोरोना संक्रमण केस में कमी के साथ ही प्रदेश भाजपा ने अपने संगठन विस्तार पर फोकस कर दिया हैं. पिछले दिनों इसी कड़ी में पार्टी के सभी सातों मोर्चों ने जिला स्तर तक अपनी टीम की घोषणा कर दी. वहीं मोर्चों की दृष्टि से कई जिले ऐसे हैं, जहां पार्टी को उपयुक्त जिला अध्यक्ष नहीं मिल पाया. फिर कहें कि स्थानीय BJP नेताओं के बीच किसी भी एक नाम पर आम सहमति नहीं होने के कारण ये नियुक्तियां अटकी हुई है.
सभी मोर्चों ने जिला स्तर पर की घोषणा लेकिन कुछ जिलों में अध्यक्षों के नाम अटके
पिछले डेढ़ महीने के भीतर भाजपा के 7 अग्रिम मोर्चों ने अपने जिला अध्यक्षों के नाम का ऐलान कर दिया. वहीं 6 मोर्चे ऐसे हैं, जिनमें कुछ जिलों में अपने जिला अध्यक्ष के नाम का ऐलान नहीं किया गया है. इसका बड़ा कारण रहा कि इन जिलों में मोर्चा अध्यक्ष के नाम को लेकर प्रमुख नेताओं और पदाधिकारी एकमत नहीं हुए. यही कारण है कि प्रदेश स्तर पर ऐसे जिलों में मोर्चा अध्यक्षों की घोषणा स्थगित कर रखी है, जो आम सहमति के बाद ही घोषित किए जाएंगे.
मोर्चा में इन जिलों में नहीं मिले उपयुक्त नाम, क्योंकि नहीं बन पा रही सर्वसम्मति
संगठनात्मक रूप से राजस्थान में भाजपा के 44 जिले हैं लेकिन अल्पसंख्यक मोर्चे को छोड़कर लगभग हर मोर्चे में कुछ जिलों में अपने जिला अध्यक्षों के नाम का ऐलान शेष रखा है. जयपुर में ही कुछ मोर्चा के अध्यक्ष की घोषणा होना बाकी है. बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा ने 44 में से 34 मोर्चा जिला अध्यक्षों के नाम का ऐलान किया है. मतलब 10 जिलों में मोर्चों के अपने अध्यक्ष बनाए जाना शेष है. वहीं ओबीसी मोर्चा ने 44 में से 40 संगठनात्मक जिलों में मोर्चा जिला अध्यक्ष बना दिए. 4 जिलों में मोर्चा जिला अध्यक्ष बनाए जाने और शेष है. इसी तरह बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने भी 44 संगठनात्मक जिलों में से 28 जिलों में अध्यक्षों की घोषणा कर दी थी लेकिन 16 जिलों में मोर्चा अध्यक्ष बनाए जाना बाकी है.
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इसी तरह महिला मोर्चा ने 44 में से 35 संगठनात्मक जिलों में ही अपने मोर्चा की अध्यक्ष नियुक्त की है. 9 जिलों में यह नियुक्ति होना बाकी है. इसी तरह किसान मोर्चा ने भी 44 में से 38 मोर्चा जिला अध्यक्षों की घोषणा की है. मतलब 6 जिलों में किसान मोर्चा की घोषणा भी बाकी है. इसी तरह बीजेपी युवा मोर्चा ने भी जयपुर सहित 10 संगठनात्मक जिलों में मोर्चा जिला अध्यक्षों की घोषणा अब तक नहीं की. बताया जा रहा है जिन जिलों में मोर्चा के जिला अध्यक्षों की घोषणा नहीं हो पाई, वहां नाम को लेकर आपसी विवाद और मतभेद है. या फिर कहे मोर्चा अध्यक्ष के नाम को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई.