जयपुर. आरएएस भर्ती 2018 की मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी करने पर लगी रोक को हटाने के लिए आरपीएससी ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया है. प्रार्थना पत्र पर राजस्थान हाईकोर्ट आगामी दिनों में सुनवाई करेगा.
आयोग की ओर से अधिवक्ता एमएफ बैग ने प्रार्थना पत्र में कहा है कि अदालती आदेश की पालना में आयोग ने याचिकाकर्ता ओबीसी अभ्यर्थियों को ओपन कैटेगरी के तहत मुख्य परीक्षा में शामिल कर लिया था. आयोग की ओर से मुख्य परीक्षा की सभी उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जा चुका है. वहीं, भर्ती को लेकर लंबा समय बीत चुका है. ऐसे में यदि अदालत अनुमति दें तो मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी कर आगे की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए.
पढ़ें- जयपुर: वकीलों ने की परिंडा अभियान की शुरुआत
गौरतलब है कि सुरज्ञान अन्य की ओर से याचिका दायर कर कहा गया था कि आरएएस और अधीनस्थ सेवा के 1080 पदों की प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम में सामान्य वर्ग की कट ऑफ 76.06 और ओबीसी वर्ग की कट ऑफ 99.33 रही थी. ओबीसी वर्ग के याचिकाकर्ताओं के अंक सामान्य वर्ग से अधिक हैं, लेकिन ओबीसी की कट ऑफ कम है. आरपीएससी ने उन्हें ओबीसी में मानते हुए मुख्य परीक्षा में शामिल नहीं किया है, जिस पर सुनवाई करते हुए 1 दिसंबर, 2018 को अदालत ने सामान्य वर्ग से अधिक अंक वाले ओबीसी अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने के आदेश देते हुए मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी थी.
RH ने जेल प्रहरी भर्ती-2018 में विज्ञापित पदों से कम का परिणाम जारी करने को लेकर मांगा जवाब
जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जेल प्रहरी भर्ती-2018 में टीएसपी एरिया के लिए विज्ञापित पदों से कम का परिणाम जारी करने और एक पद पर महिला अभ्यर्थी के चयन को लेकर डीजी जेल और भर्ती सेल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने के आदेश दिए हैं. इस आदेश न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने महेंद्र कुमार राठौड़ की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा और अधिवक्ता कोमल गिरी ने अदालत को बताया कि जेल विभाग ने साल 2018 में जेल प्रहरियों के लिए भर्ती निकाली थी, जिसमें टीएसपी इलाके के सामान्य वर्ग के 4 पदों पर भर्ती होनी थी. लेकिन विभाग की ओर से परीक्षा के बाद 4 के बजाय 3 पदों का ही परिणाम जारी किया गया. इसके अलावा 3 पदों में से 1 पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित बताते हुए महिला अभ्यर्थी का चयन कर लिया.
याचिका में कहा गया कि विभाग से आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार भर्ती में सामान्य महिला वर्ग के लिए कोई पद आरक्षित ही नहीं था. वहीं, याचिकाकर्ता का प्रतीक्षा सूची में पहला स्थान है. यदि विभाग की ओर से सभी चारों पदों का परिणाम जारी किया जाता और महिला अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं दी जाती तो याचिकाकर्ता का चयन हो जाता, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए एक याचिकाकर्ता के लिए आरक्षित रखा है.