जयपुर. अमित शाह ने प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हो या फिर जनप्रतिनिधि महासम्मेलन दोनों में ही अपने संबोधन के जरिए भाजपा संगठन की मजबूती पर जोर दिया. यह तक कह दिया कि जो संगठन के साथ रहता है उसका सूरज कभी अस्त नहीं होता. मतलब साफ था कि संगठन के साथ चलें और संगठन को मजबूत करें ताकि पार्टी और नेता दोनों मजबूत हो सके. यह नसीहत भी थी उन नेताओं को जो संगठन के विपरीत गतिविधियां करते हैं.
पिछली सरकार की सराहना कर राजे को भी साधा
अपने संबोधन में अमित शाह ने केवल संगठन की मजबूती पर ही फोकस नहीं किया बल्कि पिछली वसुंधरा राज्य सरकार के कामकाज की भी सराहना की. जन प्रतिनिधि सम्मेलन में शाह ने पिछली वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल की जन कल्याणकारी योजनाओं का नाम लेकर मौजूदा सरकार पर निशाना साधा. वहीं सम्मेलन में नेता प्रतिपक्ष गुलाब कटारिया और राष्ट्रीय मंत्री अलका सिंह गुर्जर को संबोधन का अवसर नहीं दिया गया. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को संबोधन का मौका दिया गया, वो भी अमित शाह के संबोधन के ठीक पहले. मतलब वसुंधरा राजे और उनके समर्थकों को साधने का काम भी शाह ने बखूबी किया.
अगले सीएम के चेहरे की लड़ाई पर लगाया पूर्णविराम
शाह ने दौरे के दौरान इस बात को भी साफ कर गए कि अगला चुनाव मोदी के नेतृत्व में लड़कर मिशन 2023 में फतह हासिल की जाएगी. मतलब राजस्थान भाजपा नेताओं के बीच चल रही अगले मुख्यमंत्री के चेहरे की लड़ाई पर भी अमित शाह ने लगा दिया.
इस नेता का बड़ा सियासी कद इसका हुआ कम
अमित शाह 2 दिन राजस्थान में रहे. एक दिन जैसलमेर और दूसरे दिन जयपुर में. दोनों ही दिन केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत उनके साथ रहे. यह सब पार्टी की टॉप लीडरशिप ने तय किया था. इससे राजस्थान में यदि किसी नेता का सियासी कद बढ़ा है तो वह हैं गजेंद्र सिंह शेखावत. वहीं दूसरी तरफ इन 2 दिन के दौरान राजस्थान से यदि किसी नेता का सियासी कद कम हुआ तो वो थे केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी. चौधरी का संसदीय क्षेत्र जैसलमेर बाड़मेर था लेकिन अमित शाह जो वहां दौरे पर गए तो चौधरी नहीं बल्कि गजेंद्र सिंह शेखावत उनके साथ थे. इसी तरह जयपुर में जनप्रतिनिधि महासम्मेलन के मुख्य मंच पर तो केंद्रीय मंत्री के नाते कैलाश चौधरी को स्थान मिला लेकिन इसी मुख्य मंच पर लगाए गए मुख्य हार्डिंग में चौधरी का चित्र गायब था. जबकि राजस्थान से आने वाले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल का चित्र इस होर्डिंग में लगाया गया था जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना रहा.
अब सबकी नजरें बदलाव पर
अमित शाह को जो सियासी मैसेज राजस्थान भाजपा नेताओं को देना था वह उन्होंने प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तरीके से दे दिया. अब सबकी नजरें इससे बदलने वाले राजनीतिक समीकरणों पर टिकी हैं. मतलब अमित शाह के दौरे के बाद क्या राजस्थान भाजपा के नेता पूरी तरह एकजुट होकर एक जाजम पर दिखाई देंगे ? क्या भाजपा नेताओं के बीच चल रही अंदरुनी बयानों की तल्खी थम पाएगी. सबसे बड़ी खास बात कि क्या राजस्थान भाजपा के नेताओं में अगले मुख्यमंत्री पद के चेहरे की लड़ाई थम पाएगी. मतलब अमित शाह की पाठशाला में राजस्थान भाजपा नेताओं को पिलाई गई घुट्टी का कितना असर होता है यह आने वाला समय बताएगा.