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सरकार ने निकाला एसपी द्वारा एफआईआर दर्ज करने का आदेश, जबकि सीआरपीसी में पहले से ही है प्रावधान

अलवर के थानागाजी प्रकरण में चौतरफा घिरने के बाद राज्य सरकार एक्शन मोड में नजर आ रही है. इसी के चलते एक आदेश गृह विभाग की ओर से राज्य पुलिस को दिया गया है, जिसमें इस तरह के मामलो को गंभीरता से लेने के लिए कई तरह के निर्देश दिए गए हैं.

सीआरपीसी की धाराओं में पहले से है कई प्रावधान
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Published : May 21, 2019, 7:26 PM IST

जयपुर. अलवर के थानागाजी में दलित महिला के साथ हुए गैंगरेप के प्रकरण के बाद राजस्थान सरकार ने एक आदेश निकाला है, जिसमें यह लिखा गया है कि अगर किसी थाने में थाना अधिकारी पीड़ित की एफआईआर दर्ज नहीं करता है तो उस जिले का एसपी पीड़ित की एफआईआर दर्ज करेगा.

वीडियोः सीआरपीसी की धाराओं में पहले से है कई प्रावधान

इस आदेश को पुलिस विभाग ने भी गंभीरता से लिया और जल्द ही आगामी दिनों में एसपी भी एफआईआर दर्ज करेंगे. विपक्ष के दबाव को देखते हुए सरकार ने यह आदेश जारी किया लेकिन जो आदेश सरकार द्वारा जारी किए गए हैं उसका प्रावधान पहले से ही सीआरपीसी में दिया गया है.

सीआरपीसी की धारा 154 (3) में यह बात एकदम स्पष्ट लिखी गई है कि यदि किसी पीड़ित की एफआईआर थाना अधिकारी द्वारा दर्ज नहीं की जाती है तो संबंधित जिले का एसपी पीड़ित की एफआईआर दर्ज करेगा. उस प्रकरण में एसपी या तो खुद जांच करेगा या फिर किसी अधिकारी को उस प्रकरण की जांच के लिए नियुक्त करेगा. साथ ही उस प्रकरण की जांच करने वाले अधिकारी को थाना अधिकारी की तमाम शक्तियां दी जाएंगी.

जिसे सरकार एक नया आदेश मानकर निकाल रही है वह पहले से ही सीआरपीसी में दिया गया एक प्रावधान है. ताज्जुब की बात तो यह है कि जब अनेक आईपीएस अधिकारियों से सीआरपीसी की धारा के बारे में पूछा गया तो वह भी इससे अनजान दिखे और साथ ही इस संबंध में कुछ भी टिप्पणी करने से साफ मना कर दिया.

क्या दिए हैं सरकार ने आदेश...
उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार ने राज्य पुलिस को पुलिस अधीक्षक और उपायुक्त कार्यालय में भी प्राथमिकी दर्ज कराने की सुविधा का प्रबंध करने के लिए बीते शनिवार को निर्देश जारी किए हैं. यह निर्देश अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग को एक पत्र लिखकर दिए हैं. जिसमें कहा गया है कि यदि किसी मामले में स्थानीय पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करने से मना कर दिया जाता है तो ऐसी स्थिति में एसपी और उपायुक्त कार्यालय में प्राथमिकी दर्ज करने की सुविधा का प्रबंध किया जाए.

जयपुर. अलवर के थानागाजी में दलित महिला के साथ हुए गैंगरेप के प्रकरण के बाद राजस्थान सरकार ने एक आदेश निकाला है, जिसमें यह लिखा गया है कि अगर किसी थाने में थाना अधिकारी पीड़ित की एफआईआर दर्ज नहीं करता है तो उस जिले का एसपी पीड़ित की एफआईआर दर्ज करेगा.

वीडियोः सीआरपीसी की धाराओं में पहले से है कई प्रावधान

इस आदेश को पुलिस विभाग ने भी गंभीरता से लिया और जल्द ही आगामी दिनों में एसपी भी एफआईआर दर्ज करेंगे. विपक्ष के दबाव को देखते हुए सरकार ने यह आदेश जारी किया लेकिन जो आदेश सरकार द्वारा जारी किए गए हैं उसका प्रावधान पहले से ही सीआरपीसी में दिया गया है.

सीआरपीसी की धारा 154 (3) में यह बात एकदम स्पष्ट लिखी गई है कि यदि किसी पीड़ित की एफआईआर थाना अधिकारी द्वारा दर्ज नहीं की जाती है तो संबंधित जिले का एसपी पीड़ित की एफआईआर दर्ज करेगा. उस प्रकरण में एसपी या तो खुद जांच करेगा या फिर किसी अधिकारी को उस प्रकरण की जांच के लिए नियुक्त करेगा. साथ ही उस प्रकरण की जांच करने वाले अधिकारी को थाना अधिकारी की तमाम शक्तियां दी जाएंगी.

जिसे सरकार एक नया आदेश मानकर निकाल रही है वह पहले से ही सीआरपीसी में दिया गया एक प्रावधान है. ताज्जुब की बात तो यह है कि जब अनेक आईपीएस अधिकारियों से सीआरपीसी की धारा के बारे में पूछा गया तो वह भी इससे अनजान दिखे और साथ ही इस संबंध में कुछ भी टिप्पणी करने से साफ मना कर दिया.

क्या दिए हैं सरकार ने आदेश...
उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार ने राज्य पुलिस को पुलिस अधीक्षक और उपायुक्त कार्यालय में भी प्राथमिकी दर्ज कराने की सुविधा का प्रबंध करने के लिए बीते शनिवार को निर्देश जारी किए हैं. यह निर्देश अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग को एक पत्र लिखकर दिए हैं. जिसमें कहा गया है कि यदि किसी मामले में स्थानीय पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करने से मना कर दिया जाता है तो ऐसी स्थिति में एसपी और उपायुक्त कार्यालय में प्राथमिकी दर्ज करने की सुविधा का प्रबंध किया जाए.

Intro:जयपुर
एंकर- अलवर के थानागाजी में दलित महिला के साथ हुए गैंगरेप के प्रकरण के बाद राजस्थान सरकार ने एक आदेश निकाला जिसमें य लिखा गया कि यदि किसी थाने में थाना अधिकारी पीड़ित की एफआईआर दर्ज नहीं करता है तो उस जिले का एसपी पीड़ित की एफआईआर आर दर्ज करेगा। इस आदेश को पुलिस विभाग ने भी गंभीरता से लिया और जल्द ही आगामी दिनों में एसपी भी एफआईआर दर्ज करेंगे। विपक्ष के दबाव को देखते हुए सरकार ने यह आदेश जारी किया लेकिन जो आदेश सरकार द्वारा जारी किए गए हैं वह आदेश पहले से ही सीआरपीसी में अंकित हैं।


Body:वीओ- सरकार द्वारा जो आदेश जारी किए गए हैं वह पहले से ही सीआरपीसी की धारा 154 (3) में अंकित है। सीआरपीसी की धारा 154 (3) में यह बाद एकदम स्पष्ट लिखी गई है यदि किसी पीड़ित की एफआईआर थाना अधिकारी द्वारा दर्ज नहीं की जाती है तो उस जिले का एसपी पीड़ित की एफआईआर दर्ज करेगा। उस प्रकरण में एसपी या तो खुद जांच करेगा या फिर किसी अधिकारी को उस प्रकरण की जांच के लिए नियुक्त करेगा। साथ ही उस प्रकरण की जांच करने वाले अधिकारी को थाना अधिकारी की तमाम शक्तियां दी जाएंगी।
जिसे सरकार एक नया आदेश मानकर निकाल रही है वह पहले से ही सीआरपीसी में दिया गया एक प्रावधान है। ताज्जुब की बात तो यह है कि जब अनेक आईपीएस अधिकारियों से सीआरपीसी की धारा के बारे में पूछा गया तो वह भी इससे अनजान दिखे और साथ ही इस संबंध में कुछ भी टिप्पणी करने से साफ मना कर दिया।


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