टोक्यो: उत्तर कोरिया ने एक बार फिर दक्षिण कोरिया की ओर एक बैलिस्टिक मिसाइल दागी. हालांकि यह मिसाइल समुंद्र में गिर गयी. जापान के रक्षा मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है. मिसाइल संभवतः जापान के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के बाहर गिरी.
दक्षिण कोरियाई सेना के हवाले से बताया कि उत्तर कोरिया ने जापान सागर की ओर एक बैलिस्टिक मिसाइल दागी. यह मिसाइल ऐसे समय में दागी गई जब करीब दो हफ्ते बाद अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 20 जनवरी को शपथग्रहण करेंगे. इससे पहले 5 नवंबर को उत्तर कोरिया ने छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइले दागी थी. यह प्रक्षेपण अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की 4-9 जनवरी तक दक्षिण कोरिया, जापान और फ्रांस की यात्रा के समय भी हुआ.
सप्ताह की शुरुआत में अमेरिकी विदेश विभाग ने एक आधिकारिक बयान में कहा, 'विदेश मंत्री इस बात पर चर्चा करेंगे कि कैसे अमेरिका और आरओके एक स्वतंत्र, खुले और समृद्ध हिंद-प्रशांत को बढ़ावा देने के प्रमुख प्रयासों को मजबूत कर सकते हैं. साथ ही जापान के साथ त्रिपक्षीय प्रयास भी कर सकते हैं.
बयान में कहा गया, 'जापान में ब्लिंकन वरिष्ठ जापानी सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका-जापान गठबंधन द्वारा की गई जबरदस्त प्रगति की समीक्षा करेंगे. विदेश मंत्री ब्लिंकन द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने में गठबंधन के महत्व की पुष्टि करेंगे. साथ ही अमेरिका-जापान-आरओके त्रिपक्षीय सहयोग की गति को जारी रखेंगे.'
वहीं, 31 अक्टूबर को जापान के रक्षा मंत्रालय ने बताया था कि उत्तर कोरिया ने कम से कम एक बैलिस्टिक मिसाइल का प्रक्षेपण किया. इसके अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) श्रेणी का हथियार होने का संदेह है. एक रिपोर्ट के अनुसार मिसाइल को स्थानीय समयानुसार सुबह 7:11 बजे प्रक्षेपित किया गया जो उत्तर कोरिया के आंतरिक भाग से पूर्व की ओर उड़ी और सुबह 8:37 बजे होक्काइडो के ओकुशिरी द्वीप से लगभग 200 किलोमीटर पश्चिम में जापान के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के बाहर जा गिरी.
जापान के रक्षा मंत्री नाकातानी जेन ने कहा था कि मिसाइल की उड़ान अवधि 1 घंटे और 26 मिनट थी जो उत्तर कोरियाई बैलिस्टिक मिसाइल का अब तक का सबसे लंबा समय था. उन्होंने आगे कहा कि मिसाइल ने लगभग 1,000 किलोमीटर की दूरी तय की और लगभग 7,000 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंची. घटना के जवाब में जापान के प्रधान मंत्री इशिबा शिगेरू ने प्रक्षेपण से उत्पन्न संभावित खतरे को संबोधित करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को बुलाने की योजना की घोषणा की थी.