जयपुर. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सरलीकरण राजस्थान संशोधन विधेयक 2020 पर चर्चा शुरू हुई. जिसमें शुरुआत करते हुए कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि जयपुर में 7000 आढ़तिये, पल्लेदार काम कर रहे हैं. पूरे प्रदेश में लाखों की संख्या में लोग काम कर रहे हैं जो बेरोजगार होंगे.
इन बिलों से बड़ी-बड़ी कंपनियां आएगी, ऐसी-ऐसी मंडियां है जिनमें किसान और आढ़तियों में ऐसा संबंध है की चाहे किसान विवाह करे या बीमारी में उसे जरूरत हो वह फसल से पहले पैसे कर्ज लेता है और फसल आने के बाद चुका भी देता है.
किसान की आय दोगुनी करने की बात प्रधानमंत्री ने की थी, लेकिन इन बिलों से किसान सड़क पर आ जाएगा. इस बिल में कहीं यह नहीं लिखा गया कि उस पशुधन का क्या होगा जो इस खेती के साथ सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है. ऐसे में पशुधन के लिए चारा भी बड़ी-बड़ी कंपनियों से किसान को खरीदने पर मजबूर होना पड़ेगा. सरकार जिस तरीके का बिल थोपने का काम कर रही है इससे किसान कमजोर होगा उनकी आय पर प्रभाव होगा. जिसकी दो चार बोरी उपज होती है वह किसान जब बड़ी कंपनी आएगी तो अपना माल कहां बेचने जाएगा. अगर जाएगा भी तो मजबूरन कम कीमतों पर माल बेचना पड़ेगा. मजदूरों के बारे में इस बिल में बिल्कुल भी नहीं सोचा गया है.
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जितनी भी बड़ी-बड़ी मंडियां है उसमें हर मंडी में बैंकों की शाखा है. ऐसे में वहां के बैंक कर्मचारी और बैंक शाखाएं भी बंद हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि जो बिल सरकार लेकर आई है, इसका मैं विरोध करता हूं. इस कानून को वापस लिया जाए. कोरोना से वैसे ही आम आदमी का जीना दूभर है और इस बिल का विरोध भाजपा के समर्थक पार्टियों ने भी किया है. मेरा भारत सरकार से निवेदन है कि वह इस बिल को वापस ले. यह राजनीतिक बात नहीं है. हम सब किसान परिवारों के लोग हैं और जो प्रस्ताव राजस्थान सरकार लेकर आ रही है उसका विरोध करें.