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Special : पहले रानी के लिए बना जलमहल...अब 'जल की रानी' की कब्रगाह

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Published : Jan 25, 2020, 10:38 AM IST

जयपुर में आमेर रोड स्थित मानसागर झील है. जिसमें पानी के बीचों बीच ऐतिहासिक जलमहल बसा है. चारों तरफ अरावली की पहाड़ियों के बीच झील में महाराजा सवाई जयसिंह ने साल 1799 में अपनी रानी के साथ फुरसत के कुछ पल बिताने के लिए जलमहल का निर्माण करवाया था.

राजस्थान न्यूज, Mansagar lake, Sawai Jai Singh, Rajasthan news
हजारों मछलियों की मौत पर भी नहीं जागा प्रशासन

जयपुर. जयपुर का गौरवमयी इतिहास किसी से छिपा हुआ नहीं है. यहां के गढ़ और महलों की खूबसूरती इसके इतिहास में चार चांद लगाते हैं. इन्हीं में शामिल है, जयपुर का जलमहल.

हजारों मछलियों की मौत पर भी नहीं जागा प्रशासन

मानसागर झील के बीचों-बीच स्थित जलमहल की आभा 200 सालों के बाद आज भी बरकरार है. देसी हो या विदेशी ये सभी को आकर्षित करता है. लेकिन आज यही मानसागर झील 'जल की रानी' यानि मछलियों की कब्रगाह बनी हुई है.

जलमहल का निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह ने अश्वमेध यज्ञ के बाद वर्ष 1799 में करवाया था. वे राजसी उत्सव और अपनी रानी के साथ वक्त बिताने के लिए जलमहल का इस्तेमाल करते थे.

यह भी पढ़ेंः Exclusive: जयपुर के मानसागर झील में बड़ी जीव त्रासदी, हजारों मछलियों की मौत

इस महल के निर्माण से पहले सवाई जयसिंह ने जयपुर की जलापूर्ति के लिए गर्भवती नदी पर बांध बनाकर मानसागर झील का निर्माण करवाया था. इसके निर्माण के लिए राजपूत शैली से तैयार की गई नौकाओं की मदद ली गई थी.

हालांकि, मानसागर झील अब पक्षी अभयारण्य के रूप में विकसित हो रही है. एक समय तो मानसागर झील में पक्षियों की गणना में 70 फीसदी प्रवासी पक्षी होते थे. जो 60 से भी ज्यादा अलग-अलग प्रजाति के थे. लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते इनके जीवन पर खतरा मंडरा रहा है.

मानसागर झील में प्रदूषण के चलते पानी की गुणवत्ता दिनों-दिन खराब होती जा रही है. यही वजह है, कि आज मानसागर झील मछलियों की कब्रगाह बनता जा रहा है.

यह भी पढ़ेंः नेशनल गर्ल चाइल्ड डे विशेष: जन्म से दृष्टिहीन शालिनी चौधरी ने मेहनत के दम पर हासिल किया मुकाम

इस सच्चाई को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रशासन के सामने रखा है. इसके बाद जिला प्रशासन से लेकर निगम प्रशासन और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के कर्मचारी मौके का निरीक्षण करने पहुंचे. लेकिन ये निरीक्षण महज खानापूर्ति साबित हुआ. अधिकारी यहां कुछ देर रुके और लौट गये.

जानकारी के अनुसार ब्रह्मपुरी और नागतलाई नालों का गंदा पानी एक बार फिर मानसागर झील में छोड़ा जा रहा है. जिसके चलते पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है.

मानसागर झील में मछलियां काफी संख्या में हैं. यहां कुछ साल पहले भरतपुर से लाई गई विशेष घास भी भोजन के लिए उपलब्ध है. भले ही यहां का पानी काफी प्रदूषित है. लेकिन यहां पक्षियों को अच्छा भोजन मिल रहा है. ऐसे में पक्षियों की आवाजाही तो बनी हुई है, लेकिन दूषित पानी से मछलियों के प्राण लगातार संकट में हैं.

जयपुर. जयपुर का गौरवमयी इतिहास किसी से छिपा हुआ नहीं है. यहां के गढ़ और महलों की खूबसूरती इसके इतिहास में चार चांद लगाते हैं. इन्हीं में शामिल है, जयपुर का जलमहल.

हजारों मछलियों की मौत पर भी नहीं जागा प्रशासन

मानसागर झील के बीचों-बीच स्थित जलमहल की आभा 200 सालों के बाद आज भी बरकरार है. देसी हो या विदेशी ये सभी को आकर्षित करता है. लेकिन आज यही मानसागर झील 'जल की रानी' यानि मछलियों की कब्रगाह बनी हुई है.

जलमहल का निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह ने अश्वमेध यज्ञ के बाद वर्ष 1799 में करवाया था. वे राजसी उत्सव और अपनी रानी के साथ वक्त बिताने के लिए जलमहल का इस्तेमाल करते थे.

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इस महल के निर्माण से पहले सवाई जयसिंह ने जयपुर की जलापूर्ति के लिए गर्भवती नदी पर बांध बनाकर मानसागर झील का निर्माण करवाया था. इसके निर्माण के लिए राजपूत शैली से तैयार की गई नौकाओं की मदद ली गई थी.

हालांकि, मानसागर झील अब पक्षी अभयारण्य के रूप में विकसित हो रही है. एक समय तो मानसागर झील में पक्षियों की गणना में 70 फीसदी प्रवासी पक्षी होते थे. जो 60 से भी ज्यादा अलग-अलग प्रजाति के थे. लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते इनके जीवन पर खतरा मंडरा रहा है.

मानसागर झील में प्रदूषण के चलते पानी की गुणवत्ता दिनों-दिन खराब होती जा रही है. यही वजह है, कि आज मानसागर झील मछलियों की कब्रगाह बनता जा रहा है.

यह भी पढ़ेंः नेशनल गर्ल चाइल्ड डे विशेष: जन्म से दृष्टिहीन शालिनी चौधरी ने मेहनत के दम पर हासिल किया मुकाम

इस सच्चाई को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रशासन के सामने रखा है. इसके बाद जिला प्रशासन से लेकर निगम प्रशासन और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के कर्मचारी मौके का निरीक्षण करने पहुंचे. लेकिन ये निरीक्षण महज खानापूर्ति साबित हुआ. अधिकारी यहां कुछ देर रुके और लौट गये.

जानकारी के अनुसार ब्रह्मपुरी और नागतलाई नालों का गंदा पानी एक बार फिर मानसागर झील में छोड़ा जा रहा है. जिसके चलते पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है.

मानसागर झील में मछलियां काफी संख्या में हैं. यहां कुछ साल पहले भरतपुर से लाई गई विशेष घास भी भोजन के लिए उपलब्ध है. भले ही यहां का पानी काफी प्रदूषित है. लेकिन यहां पक्षियों को अच्छा भोजन मिल रहा है. ऐसे में पक्षियों की आवाजाही तो बनी हुई है, लेकिन दूषित पानी से मछलियों के प्राण लगातार संकट में हैं.

Intro:जयपुर में आमेर रोड स्थित मानसागर झील। जिसमें पानी के बीचों बीच ऐतिहासिक जल महल बसा है। चारों तरफ अरावली की पहाड़ियों के बीच झील में महाराजा सवाई जयसिंह ने 1799 में अपनी रानी के साथ वक्त बिताने के लिए जल महल बनवाया था। जो आज भी देशी-विदेशी पर्यटकों को रोमांचित कर देता है। लेकिन आज यही मानसागर झील जल की रानी यानी मछलियों की कब्रगाह बनी हुई है।


Body:जयपुर का गौरवमयी इतिहास किसी से छिपा हुआ नहीं है। यहां के गढ़ और महलों की खूबसूरती इसी इतिहास में चार चांद लगाने का काम करते है। इन्हीं में शामिल है जयपुर का जलमहल, जो मानव निर्मित मानसागर झील के बीच स्थित है। जिसका निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह ने अश्वमेध यज्ञ के बाद वर्ष 1799 में करवाया था। वे राजसी उत्सव और अपनी रानी के साथ वक्त बिताने के लिए जल महल का इस्तेमाल करते थे। इस महल के निर्माण से पहले सवाई जयसिंह ने जयपुर की जलापूर्ति के लिए गर्भवती नदी पर बांध बनाकर मानसागर झील का निर्माण करवाया था। इसके निर्माण के लिए राजपूत शैली से तैयार की गई नौकाओं की मदद ली गई थी।

हालांकि मानसागर झील अब पक्षी अभयारण्य के रूप में विकसित हो रही है। एक समय तो मानसागर झील में पक्षियों की गणना में 70 फीसदी प्रवासी पक्षी पाए गए थे। जो 60 अलग-अलग प्रजाति के थे। लेकिन प्रशासन की लापरवाही इसके आंचल में दाग लगा रही है। मानसागर झील में प्रदूषण से दिनोंदिन पानी की क्वालिटी खराब होती जा रही है। यही वजह है कि आज मानसागर झील मछलियों की कब्रगाह बना हुआ है। इस हकीकत को ईटीवी भारत ने प्रशासन के सामने रखा। तो जिला प्रशासन से लेकर निगम प्रशासन और पोलूशन कंट्रोल बोर्ड के कर्मचारी मौके का निरीक्षण करने पहुंचे। लेकिन ये निरीक्षण महज खानापूर्ति साबित हुआ। प्रशासनिक अधिकारी यहां पल भर रुके और लौट गये।
बाईट - अरुण गर्ग, एडिशनल कमिश्नर, नगर निगम


Conclusion:जानकारी के अनुसार, ब्रह्मपुरी और नागतलाई नालों का गंदा पानी एक बार फिर मानसागर झील में छोड़ा जा रहा है। जिसके चलते पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है। हालांकि मानसागर झील में मछली काफी तादाद में है, यहां कुछ वर्ष पहले भरतपुर से लाई गई विशेष घास भी भोजन के लिए मौजूद है भले ही यहां का पानी काफी प्रदूषित है लेकिन यहां पक्षियों को अच्छा भोजन मिल रहा है ऐसे में पक्षियों की आवाजाही तो बनी हुई है लेकिन मछलियां दूषित पानी से मर रही हैं।
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