जयपुर. प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत यानी विधानसभा में जनप्रतिनिधियों को भेजा जाता है कि वे अपने क्षेत्र की जनता की आवाज बुलंद करें. साथ ही उनके विकास में आ रही रुकावटों को दूर करने का प्रयास करें, लेकिन मौजूदा बजट सत्र में 43 विधायक ऐसे रहे जो विधानसभा में इस बार 'मौनी बाबा' साबित हुए हैं.
विधानसभा में एक भी सवाल नहीं पूछने वाले ये विधायक गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल 25 मंत्रियों और सचेतक और पूर्व मुख्य सचेतक से अलग हैं. दरअसल, विधानसभा में 25 मंत्री और सचेतक और उप सचेतक को छोड़कर 173 विधायक जनता की आवाज उठाने के लिए तारांकित और अतारांकित सवाल पूछ सकते हैं. बता दें कि विधानसभा के सबसे बड़े बजट सत्र में अब तक 128 विधायकों ने ही करीब सवा 4 हजार सवाल पूछे हैं. इनमें भी करीब 20 विधायक ऐसे हैं. जिन्होंने 2 से 5 सवाल ही पूछे हैं.
सदन में जनता की आवाज उठाने में ये रहे जीरो
राजस्थान विधानसभा में जनता की आवाज नहीं उठाने वाले विधायकों में भाजपा कांग्रेस के साथ ही कुछ निर्दलीय भी शामिल हैं. इन विधायकों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व मंत्री नरपत सिंह राजवी, पुष्पेंद्र सिंह, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, महादेव सिंह खंडेला, राजेंद्र पारीक, डॉ. जितेंद्र सिंह, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत, अशोक बेरवा और हेमाराम चौधरी के नाम प्रमुख है. इनके अलावा अमीनुद्दीन कागजी, कल्पना देवी, कृष्णा पूनिया, अमर सिंह, गोपीचंद मीणा, नरेंद्र कुमार, रीटा चौधरी, नरेंद्र बुडानिया, परसराम मोरदिया, पूराराम चौधरी, पृथ्वीराज, प्रशांत बैरवा का नाम शामिल है.
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वहीं राजेंद्र बिधूड़ी, भंवर लाल शर्मा, रामकेश, महादेव सिंह खंडेला, मुकेश भाकर, रमिला खड़िया, रामस्वरूप लांबा, दीपचंद, रोहित बोहरा, विट्ठल शंकर अवस्थी, ललित कुमार, विनोद कुमार, वीरेंद्र सिंह, सिद्धि कुमारी, वेद प्रकाश सोलंकी, सुदर्शन सिंह रावत, सुरेश मोदी, सुरेंद्र सिंह राठौड़ और हरेंद्र निनामा का भी एक भी सवाल सदन में नहीं लगा.