जयपुर. राजधानी के बनीपार्क स्थित करणी माता मंदिर से बीकानेर देशनोक करणी माता मंदिर के लिए पदयात्रा रवाना हो गई है. जिसका आयोजन करणी पदयात्रा सेवा संघ की ओर से किया गया. इस पदयात्रा को देशनोक करणी माता मंदिर पहुंचने में 11 दिन का समय लगेगा.
33वीं करणी माता देशनोक पदयात्रा के रवानगी के मौके पर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, महापौर विष्णु लाटा, भगवत सिंह देवल, सज्जन सिंह और पदयात्रा संरक्षक गुलाब सिंह ने करणी माता की आरती कर पदयात्रा को रवाना किया. पदयात्रा में चारण समाज के सैकड़ों श्रद्धालु देशनोक करणी माता मंदिर के लिए रवाना हुए. इस अवसर पर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि करणी माता पदयात्रा रवाना हुई है. इस पदयात्रा रवानगी के दिन में उपस्थित हुआ हूं. रघु शर्मा ने कहा सभी लोग सभी देवी देवताओं के सम्मान करते हैं और यही संस्कृति हमें अखंडता में मजबूती से बांधे रखती है. इस शुभ कार्य के लिए मैं समाज को बधाई देता हूं साथ में उन्होंने कहा कि करणी माता की कृपा चारण समाज और पूरे प्रदेश के ऊपर बनी रहे.
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आपको बता दें कि इस पदयात्रा के लिए विशेष रथ को भी तैयार किया गया है, जो पूरी पदयात्रा में साथ चलेगा. करणी माता के रथ के साथ रवाना हुई पदयात्रा हाथी और बैंड बाजे के साथ निकली. पदयात्रा का जगह-जगह फूलों से स्वागत किया गया. श्रद्धालु बीच बीच में करणी माता के जयकारे लगाते हुए चल रहे थे. यह पदयात्रा वैशाली नगर स्थित करणी पैलेस में रात्रि विश्राम करेगी. यहां एक विशाल भजन संध्या का भी आयोजन किया गया है.
24 सितंबर को यह पदयात्रा करणी पैलेस से रवाना होकर फुलेरा, हिंगलाज धाम मंडपी, परबतसर इंद्र बाईसा खुड़द नागौर होते हुए 400 किलोमीटर का सफर तय कर 3 अक्टूबर को देशनोक करणी माता मंदिर पहुंचेगी. इस पद यात्रा में कई जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे और बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु भी शामिल थी.
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कनक दंडवत करते जाएंगे डॉ. गुलाब सिंह
करणी माता की पदयात्रा के संरक्षक डॉ. गुलाब सिंह ने कहा कि वह कनक दंडवत करते हुए तनोट माता (जैसलमेर) के जाएंगे और उन्हें यह यात्रा पूरी करने में करीब डेढ़ साल का समय लगेगा. उन्होंने कहा इस कलयुग में करणी माता का अपना स्थान है. उन्होंने कहा कि करणी माता मंदिर में जब कोई चूहा मर जाता है तो बदबू नहीं आती. वहां कभी भी चूहे का बच्चा नहीं देखा गया. वहां प्रसाद पर कोई मक्खी भी नहीं बैठती. यह सब कलयुग में एक चमत्कार के जैसे हैं. उन्होंने कहा कि यह 33वी करणी माता पदयात्रा है. यह यात्रा 5 श्रद्धालु से शुरू हुई थी जो आज एक कारवां बन चुका है.