जयपुर. राजस्थान में महिला अपराधों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. महिलाओं को एफआईआर दर्ज करवाने के लिए कोर्ट का सहारा लेना पड़ रहा है. करीब 15 फीसदी पीड़ित महिलाओं को कोर्ट के माध्यम से थानों में एफआईआर दर्ज करवानी पड़ती है. राजस्थान में 796 पीड़ित महिलाएं थाने और एसपी ऑफिस गई, लेकिन सुनवाई नहीं होने की वजह से कोर्ट के माध्यम से एफआईआर दर्ज करवानी पड़ी.
राजस्थान में करीब 30 हजार पीड़ितों को 15 करोड़ रुपये खर्च करके कोर्ट से मामले दर्ज करवाने पड़े हैं. इसमें दुष्कर्म पीड़ितों के करीब 5300 से अधिक मामले कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज करवाए गए हैं. जानकारी के मुताबिक, दुष्कर्म मामलों में प्रति केस अगर 5 हजार रुपये का अनुमान लगाया जाए, तो करीब 39 खर्च करके कोर्ट से एफआईआर दर्ज करवानी पड़ी है. कई बार पुलिस कर्मियों के खिलाफ कोई शिकायत आती है, तो थाने में एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है. ऐसे में पीड़ितों को कोर्ट का सहारा लेना पड़ता है. सीकर की युवती ने कोटा में तैनात कांस्टेबल के खिलाफ मालवीय नगर थाने में शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने की रिपोर्ट दी थी, जिसके बाद थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई तो डाक की ओर से डीसीपी कार्यालय में भेजी गई. कहीं पर भी सुनवाई नहीं हुई तो कोर्ट के माध्यम से कांस्टेबल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया था. 30000 मुकदमों में से करीब 6000 मुकदमों को सही माना गया और 11000 मामलों को झूठा मानकर एफआर लगा दी गई, जिनमें से करीब 6700 मामले पेंडिंग है. वहीं, दुष्कर्म के 813 मामले पेंडिंग चल रहे हैं.
गुम हुए मोबाइल की प्राथमिकी अवश्य दर्ज करवाएं...
गुम हुए मोबाइल की प्राथमिकी अवश्य दर्ज करवानी चाहिए. एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजय पाल लांबा के मुताबिक, लोग अपने गुम हुए मोबाइल की रिपोर्ट थाने में दर्ज नहीं करवाते हैं. आमजन से अनुरोध है कि पहले भी मोबाइल खो गए हो या छीन लिए गए हो और किसी कारणवश रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई, तो वह संबंधित थाने में रिपोर्ट अवश्य दर्ज कराएं, जिससे पुलिस गुम हुए मोबाइल की तलाश कर सके.
15 साल से फरार टॉप टेन स्थाई वारंटी गिरफ्तार...
राजधानी जयपुर की नाहरगढ़ थाना पुलिस और जिला स्पेशल नॉर्थ टीम ने 15 साल से फरार टॉप 10 स्थाई वारंटी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. पुलिस ने आरोपी कालू उर्फ कालू राम को गिरफ्तार किया है. आरोपी कोतवाली, गलता गेट, ब्रह्मपुरी और आमेर के विभिन्न प्रकरणों में वांछित चल रहा था. डीसीपी नॉर्थ परिस देशमुख के निर्देशन में कार्रवाई को अंजाम दिया गया है. कार्रवाई में जिला स्पेशल टीम के सहायक उपनिरीक्षक हरिओम सिंह, हेड कांस्टेबल सुरेंद्र, जय सिंह, कांस्टेबल हनुमान सिंह और कानाराम की सराहनीय भूमिका रही है.