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पंचायत चुनाव: केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल का कद घटा तो कांग्रेस विधायक गोविंद मेघवाल का बढ़ा, देखिए नेताओं का रिपोर्ट कार्ड... - Rajasthan News

पंचायती राज चुनाव के तहत जिला परिषद और पंचायत समिति के परिणामों में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है. बीकानेर में सबसे बड़ा उलटफेर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल के पुत्र रवि शेखर की हार के रूप में सामने आया है. वहीं, कांग्रेसी विधायक गोविंद मेघवाल एक बार फिर अपनी पकड़ मजबूत बनाने में सफल हुए हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Rajasthan Panchayat Election 2020,  Panchayati Raj Election News
पंचायत चुनाव
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Published : Dec 9, 2020, 10:53 PM IST

बीकानेर. पंचायत जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव के परिणामों ने जहां कांग्रेस के खेमे में खुशी की लहर चला दी है, तो वहीं भाजपा के लिए एक बार फिर निराशा की खबर सामने आई है. बीकानेर जिला परिषद में अब तक कांग्रेस एक बार भी हारी नहीं है और इस बार भाजपा इस मिथक को तोड़ने के प्रयास में थी, लेकिन कांग्रेस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि बीकानेर जिला परिषद कांग्रेस का अजेय दुर्ग है.

इन चुनाव परिणामों में सबसे बड़ा उलटफेर केंद्रीय राज्यमंत्री और बीकानेर से सांसद अर्जुन मेघवाल के पुत्र रवि शेखर मेघवाल का जिला परिषद सदस्य के रूप में चुनाव हारना रहा. उद्योग विभाग से वीआरएस लेकर एक साल पहले राजनीति में आए रवि शेखर ने जिला परिषद चुनाव के बहाने सक्रिय राजनीति में एंट्री ली थी, लेकिन रवि के राजनीतिक रास्ते में खाजूवाला से कांग्रेस विधायक गोविंद मेघवाल आ गए.

पढ़ें- Special : पंचायत चुनावों में फिसड्डी साबित हुए सत्ताधारी कांग्रेस के विधायक, 21 में से 5 जिलों में मिला स्पष्ट बहुमत

इसके बाद रवि शेखर के सामने गोविंद मेघवाल ने अपनी पत्नी आशा देवी को कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा और चुनावी मुकाबले में आशा देवी ने रवि शेखर को ढाई हजार से ज्यादा मतों से हरा दिया. पंचायत चुनाव में गोविंद ने जहां सीधे मुकाबले में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल को चुनौती दी, तो वहीं खुद की पार्टी में भी चुनाव में गोविंद का अंदरखाने में विरोध रहा लेकिन चुनाव परिणामों के बाद गोविंद ने सब को चुप करा दिया.

दरअसल, अपनी पत्नी के साथ ही गोविंद ने अपनी पुत्री सरिता चौहान को भी जिला परिषद के सदस्य के तौर पर चुनाव लड़ाया और सरिता भी वार्ड संख्या 24 से चुनाव जीतने में सफल रही. अब जिला परिषद में कांग्रेस के बहुमत में होने के बाद सरिता को जिला प्रमुख का दावेदार माना जा रहा है. इतना ही नहीं अपनी पत्नी और पुत्री के अलावा गोविंद मेघवाल ने पूगल पंचायत समिति से अपने पुत्र गौरव चौहान को भी मैदान में उतारा और अपने पुत्र को भी चुनाव जिताने में सफल रहे.

इसके अलावा और नजदीकी पारिवारिक सदस्यों को गोविंद ने चुनाव में टिकट दिया. खाजूवाला विधानसभा से विधायक गोविंद मेघवाल ने विधानसभा क्षेत्र की पूगल पंचायत समिति में पार्टी को स्पष्ट बहुमत दिलाने में सफलता हासिल कर ली. हालांकि खाजूवाला पंचायत समिति में गोविंद पिछली बार की तरह कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं दिला पाए और भाजपा और कांग्रेस और निर्दलीय तीनों को ही पांच-पांच सीट मिली है. ऐसे में यहां निर्दलीय दोनों बराबरी पर है और यहां भी दोनों ही पार्टियों की तरह निर्दलीय ही निर्णायक है.

श्रीडूंगरगढ़...

जिले के दूसरे नेताओं की बात करें तो श्रीडूंगरगढ़ से कांग्रेस के पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा ने पंचायत समिति सदस्य के तौर पर अपनी पुत्रवधू को चुनाव लड़ाया और जिताने में सफल रहे. इतना ही नहीं 2 साल पहले विधानसभा चुनाव हारने वाले मंगलाराम ने वर्तमान विधायक माकपा के गिरधारी महिया और देहात भाजपा अध्यक्ष और विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार रहे ताराचंद सारस्वत के मुकाबले पंचायत समिति चुनाव में अपनी पार्टी का बेहतर प्रदर्शन रखा. हालांकि, पंचायत समिति श्रीडूंगरगढ़ में कांग्रेस बहुमत से एक के आंकड़े से दूर है, लेकिन माकपा और भाजपा के मुकाबले कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहने क्रेडिट मंगलाराम को जाता है.

कोलायत...

कोलायत से उच्च शिक्षामंत्री और कोलायत विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक भंवर सिंह भाटी का भी पंचायत चुनाव में प्रदर्शन शानदार रहा है. अपनी विधानसभा क्षेत्र के कोलायत और नवगठित बज्जू पंचायत समिति में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत दिलाकर भंवर सिंह भाटी ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक परिपक्वता को साबित कर दिया है. वहीं जिला परिषद की सीटों में भी पार्टी को कोलायत से सफलता मिली है.

नोखा...

पूर्व नेता प्रतिपक्ष और बीकानेर देहात की राजनीति में अपना बड़ा कद रखने वाले रामेश्वर डूडी पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा के बिहारीलाल से हार गए थे. लेकिन इन पंचायत और जिला परिषद के चुनावों में एक बार फिर डूडी ने नोखा में अपने राजनीतिक वजूद को साबित कर दिया है. नोखा से जिला परिषद की 7 सीटों पर 6 सीटों पर डूडी समर्थक कांग्रेस प्रत्याशी जीते हैं. वहीं नोखा और पांचू पंचायत समिति में कांग्रेस और भाजपा बराबरी पर है और दोनों ही जगह निर्दलीय के हाथ में बाजी है.

लूणकरणसर...

विधानसभा लूणकरणसर में भाजपा विधायक सुमित गोदारा ने क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ को कायम रखा है. लूणकरणसर में पंचायत समिति में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला है. पिछली बार लूणकरणसर में कांग्रेस का प्रधान चुना गया था. लूणकरणसर में पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल पार्टी के लिए कुछ खास नहीं कर पाए और उनके समर्थक निवर्तमान प्रधान गोविंदराम भी पंचायत समिति सदस्य का चुनाव हार गए. वहीं, बीकानेर पंचायत समिति में भी कांग्रेस और भाजपा को बराबर सीटें मिली है और यहां भी निर्दलीय ही सत्ता का केंद्र तय करेंगे.

कौन होगा जिला प्रमुख...

दरअसल, जिला परिषद ने कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद अब कांग्रेसी खेमे से जिला प्रमुख और उप जिला प्रमुख को लेकर दौड़ शुरू हो गई है. बीकानेर देहात कांग्रेस दो दलों में बंटी हुई है, जिसमें से एक गुट रामेश्वर डूडी का है तो वहीं दूसरा गुट डूडी विरोधी माना जाता है. जिसमें विधायक गोविंद मेघवाल पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल और मंगलाराम है.

हालांकि, इस बार भी कांग्रेस को बहुमत मिला है लेकिन गोविंद मेघवाल अपनी पुत्री सरिता मेघवाल को जिला प्रमुख बनाना चाहते हैं. तो वहीं डूडी गुट से मोटाराम मेघवाल और मदन मेघवाल दावेदार के रूप में सामने आ सकते हैं.

बीकानेर. पंचायत जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव के परिणामों ने जहां कांग्रेस के खेमे में खुशी की लहर चला दी है, तो वहीं भाजपा के लिए एक बार फिर निराशा की खबर सामने आई है. बीकानेर जिला परिषद में अब तक कांग्रेस एक बार भी हारी नहीं है और इस बार भाजपा इस मिथक को तोड़ने के प्रयास में थी, लेकिन कांग्रेस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि बीकानेर जिला परिषद कांग्रेस का अजेय दुर्ग है.

इन चुनाव परिणामों में सबसे बड़ा उलटफेर केंद्रीय राज्यमंत्री और बीकानेर से सांसद अर्जुन मेघवाल के पुत्र रवि शेखर मेघवाल का जिला परिषद सदस्य के रूप में चुनाव हारना रहा. उद्योग विभाग से वीआरएस लेकर एक साल पहले राजनीति में आए रवि शेखर ने जिला परिषद चुनाव के बहाने सक्रिय राजनीति में एंट्री ली थी, लेकिन रवि के राजनीतिक रास्ते में खाजूवाला से कांग्रेस विधायक गोविंद मेघवाल आ गए.

पढ़ें- Special : पंचायत चुनावों में फिसड्डी साबित हुए सत्ताधारी कांग्रेस के विधायक, 21 में से 5 जिलों में मिला स्पष्ट बहुमत

इसके बाद रवि शेखर के सामने गोविंद मेघवाल ने अपनी पत्नी आशा देवी को कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा और चुनावी मुकाबले में आशा देवी ने रवि शेखर को ढाई हजार से ज्यादा मतों से हरा दिया. पंचायत चुनाव में गोविंद ने जहां सीधे मुकाबले में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल को चुनौती दी, तो वहीं खुद की पार्टी में भी चुनाव में गोविंद का अंदरखाने में विरोध रहा लेकिन चुनाव परिणामों के बाद गोविंद ने सब को चुप करा दिया.

दरअसल, अपनी पत्नी के साथ ही गोविंद ने अपनी पुत्री सरिता चौहान को भी जिला परिषद के सदस्य के तौर पर चुनाव लड़ाया और सरिता भी वार्ड संख्या 24 से चुनाव जीतने में सफल रही. अब जिला परिषद में कांग्रेस के बहुमत में होने के बाद सरिता को जिला प्रमुख का दावेदार माना जा रहा है. इतना ही नहीं अपनी पत्नी और पुत्री के अलावा गोविंद मेघवाल ने पूगल पंचायत समिति से अपने पुत्र गौरव चौहान को भी मैदान में उतारा और अपने पुत्र को भी चुनाव जिताने में सफल रहे.

इसके अलावा और नजदीकी पारिवारिक सदस्यों को गोविंद ने चुनाव में टिकट दिया. खाजूवाला विधानसभा से विधायक गोविंद मेघवाल ने विधानसभा क्षेत्र की पूगल पंचायत समिति में पार्टी को स्पष्ट बहुमत दिलाने में सफलता हासिल कर ली. हालांकि खाजूवाला पंचायत समिति में गोविंद पिछली बार की तरह कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं दिला पाए और भाजपा और कांग्रेस और निर्दलीय तीनों को ही पांच-पांच सीट मिली है. ऐसे में यहां निर्दलीय दोनों बराबरी पर है और यहां भी दोनों ही पार्टियों की तरह निर्दलीय ही निर्णायक है.

श्रीडूंगरगढ़...

जिले के दूसरे नेताओं की बात करें तो श्रीडूंगरगढ़ से कांग्रेस के पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा ने पंचायत समिति सदस्य के तौर पर अपनी पुत्रवधू को चुनाव लड़ाया और जिताने में सफल रहे. इतना ही नहीं 2 साल पहले विधानसभा चुनाव हारने वाले मंगलाराम ने वर्तमान विधायक माकपा के गिरधारी महिया और देहात भाजपा अध्यक्ष और विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार रहे ताराचंद सारस्वत के मुकाबले पंचायत समिति चुनाव में अपनी पार्टी का बेहतर प्रदर्शन रखा. हालांकि, पंचायत समिति श्रीडूंगरगढ़ में कांग्रेस बहुमत से एक के आंकड़े से दूर है, लेकिन माकपा और भाजपा के मुकाबले कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहने क्रेडिट मंगलाराम को जाता है.

कोलायत...

कोलायत से उच्च शिक्षामंत्री और कोलायत विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक भंवर सिंह भाटी का भी पंचायत चुनाव में प्रदर्शन शानदार रहा है. अपनी विधानसभा क्षेत्र के कोलायत और नवगठित बज्जू पंचायत समिति में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत दिलाकर भंवर सिंह भाटी ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक परिपक्वता को साबित कर दिया है. वहीं जिला परिषद की सीटों में भी पार्टी को कोलायत से सफलता मिली है.

नोखा...

पूर्व नेता प्रतिपक्ष और बीकानेर देहात की राजनीति में अपना बड़ा कद रखने वाले रामेश्वर डूडी पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा के बिहारीलाल से हार गए थे. लेकिन इन पंचायत और जिला परिषद के चुनावों में एक बार फिर डूडी ने नोखा में अपने राजनीतिक वजूद को साबित कर दिया है. नोखा से जिला परिषद की 7 सीटों पर 6 सीटों पर डूडी समर्थक कांग्रेस प्रत्याशी जीते हैं. वहीं नोखा और पांचू पंचायत समिति में कांग्रेस और भाजपा बराबरी पर है और दोनों ही जगह निर्दलीय के हाथ में बाजी है.

लूणकरणसर...

विधानसभा लूणकरणसर में भाजपा विधायक सुमित गोदारा ने क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ को कायम रखा है. लूणकरणसर में पंचायत समिति में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला है. पिछली बार लूणकरणसर में कांग्रेस का प्रधान चुना गया था. लूणकरणसर में पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल पार्टी के लिए कुछ खास नहीं कर पाए और उनके समर्थक निवर्तमान प्रधान गोविंदराम भी पंचायत समिति सदस्य का चुनाव हार गए. वहीं, बीकानेर पंचायत समिति में भी कांग्रेस और भाजपा को बराबर सीटें मिली है और यहां भी निर्दलीय ही सत्ता का केंद्र तय करेंगे.

कौन होगा जिला प्रमुख...

दरअसल, जिला परिषद ने कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद अब कांग्रेसी खेमे से जिला प्रमुख और उप जिला प्रमुख को लेकर दौड़ शुरू हो गई है. बीकानेर देहात कांग्रेस दो दलों में बंटी हुई है, जिसमें से एक गुट रामेश्वर डूडी का है तो वहीं दूसरा गुट डूडी विरोधी माना जाता है. जिसमें विधायक गोविंद मेघवाल पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल और मंगलाराम है.

हालांकि, इस बार भी कांग्रेस को बहुमत मिला है लेकिन गोविंद मेघवाल अपनी पुत्री सरिता मेघवाल को जिला प्रमुख बनाना चाहते हैं. तो वहीं डूडी गुट से मोटाराम मेघवाल और मदन मेघवाल दावेदार के रूप में सामने आ सकते हैं.

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