बीकानेर. कोरोना काल में लगातार हो रही मौत से लोगों को दाह संस्कार के लिए कई-कई घंटों तक इंतजार करना पड़ रहा है. लकड़ी की खपत भी बढ़ गई है. ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों की कमी भी हो रही है और दाम भी बढ़ गए हैं.
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चिता के लिए लकड़ी के दाम बढ़े
परदेशियों की बगीची मोक्ष धाम ट्रस्ट के पदाधिकारी राजीव शर्मा कहते हैं कि पहले 600 रुपए क्विंटल मिलने वाली लकड़ी अब हजार रुपए क्विंटल भी नहीं मिल पा रही है. लॉकडाउन की वजह से और ज्यादा दिक्कत हो गई है.
![funeral become costlier, scarcity of wood for the pyre](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11783048_bika.png)
खत्म हो रहा लकड़ी का स्टॉक
पहले मोक्ष धाम में 300 से 400 क्विंटल लकड़ी का स्टॉक रहता था. अब 50 से 100 क्विंटल लकड़ी ही स्टॉक में है. हर दिन इसकी व्यवस्था करना मुश्किल होता जा रहा है. पहले आरा मशीन और अन्य जगह से लकड़ी की व्यवस्था हो जाती थी.
अंतिम संस्कार में परिजनों के नहीं आने से बढ़ी मुश्किलें
पहले मुक्तिधाम में लकड़ी की कमी को दूर करने में मृतक के परिजन भी मदद करते थे लेकिन अब कोरोना के चलते परिजन अंतिम संस्कार के लिए नहीं आते हैं. ऐसे में हर दिन लकड़ी की व्यवस्था करना मुश्किल होता जा रहा है. हमारे स्तर पर ही सनातन धर्म के हिसाब से अंतिम संस्कार करवाना पड़ता है. कोरोना पॉजिटिव के अंतिम संस्कार में लकड़ी की खपत भी ज्यादा होती है.
![funeral become costlier, scarcity of wood for the pyre](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11783048_bi.jpg)
लकड़ी की कमी से परेशानी
मोक्षधाम के अधिकारी दिनेश कहते हैं कि लकड़ी की कमी हो रही है. वन विभाग के कार्यालय से सीधी लकड़ी लाना बहुत लंबी प्रक्रिया है. वहां बहुत इंतजार करना पड़ता है. हम लोग समाजसेवा के लिए इस काम में जुटे हुए हैं. हमारे लिए यह आर्थिक लाभ का काम नहीं है. हर रोज लकड़ी की व्यवस्था को लेकर लंबा समय देना संभव नहीं है. ऐसे में आने वाले दिनों में लकड़ी की किल्लत होने वाली है. प्रशासन से भी इस बारे में कई बार निवेदन किया गया है.
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अस्थियां लेने भी नहीं पहुंच रहे परिजन
मोक्षधाम के रखरखाव का जिम्मा देखने वाले मुकेश कहते हैं कि पिछले साल की तरह इस साल भी परिजन अस्थियों को तीर्थस्थल में विसर्जन के लिए लेकर नहीं जा रहे हैं. मोक्षधाम में ही अस्थियां इकट्ठी होती जा रही हैं.
हालांकि, पिछले साल कोरोना का असर कम होने के बाद कुछ परिजन अपनों की अस्थियों को खुद ही हरिद्वार विसर्जन के लिए लेकर गए थे लेकिन कई लोग अस्थियां लेने नहीं गए. मोक्षधाम समिति ने अपने स्तर पर अस्थियों का हरिद्वार में विसर्जन करवाया.
कोरोना काल में अंतिम सफर भी महंगा
कोरोना महामारी न सिर्फ जीते जी अपनों से दूर कर रही है बल्कि मौत के बाद भी अपनों से दूर कर ही है. लोग अंतिम संस्कार में भी नहीं पहुंच पा रहे हैं. सबसे दुखद पहलू तो यह है कि इंसान की जान सस्ती और अंतिम संस्कार महंगा हो गया है.