भीलवाड़ा. अपराध जगत में हाथ रखने के बाद जो लोग कानूनी शिकंजे में फंस जाते हैं वो लोग सलाखों के पीछे चले जाते हैं, लेकिन देश में कोरोना महामारी के चलते सलाखों के पीछे पहुंचे उन बंदियों का दिल भी अब पसीजने लगा है. जहां जिला कारागार में मास्क बना कर कोरोना की चैन को खत्म करने के लिए बंदी भी सामाजिक सरोकार निभा रहे हैं.
ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा जिला कारागार पहुंची. जहां जेल उपाधिक्षक भैरूसिंह राठौड़ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा जिला कारागार में कोरोना जैसी महामारी में सहयोग करने के लिए बंदी भाई भी आगे आए हैं. वर्तमान में 3 बंदियों द्वारा मास्क बनाने के लिए सिलाई का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है.
अजमेर सेंट्रल जेल से 500 मीटर कपड़ा मास्क बनाने के लिए प्राप्त हुआ. उस कपड़े से 4 हजार मास्क बनाने थे. जो अब तक 1500 मास्क तैयार किए जा चुके हैं और 2500 जल्द तैयार किए जाएंगे. इससे पहले 811 मास्क तैयार किए जो जिला कारागार के बंदी के अतिरिक्त जिले की पांच लॉकप जेल गंगापुर, शाहपुरा, जहाजपुर, मांडलगढ़ और गुलाबपुरा को उपलब्ध करवाए हैं. इन बंदियों को 100 मास्क बनाने पर 120 रुपए का मेहनताना मिलता है.
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यहां तीन बंदी मास्क बनाने का काम कर रहे हैं, इसमें एक पुरुष और दो महिला बंदी है. कोरोना से बचाव के उद्देश्य से ही इन बन्दियों ने अपनी भावना को अवगत करवाया. जिसपर यह मास्क बना रहे हैं. भीलवाड़ा जिले से कोरोना की चेन खत्म करने के लिए बंदी मास्क बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
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इसके साथ ही बंदियों के कोरोना जांच के सवाल पर जेल उपाधीक्षक भैरू सिंह राठौड़ ने कहा कि भीलवाड़ा जिला कारागार में सभी बंदियों की नियमित जांच डॉक्टर द्वारा की जाती है. अभी तक कोई कोरोना पॉजिटिव नहीं आया है. साथ ही हाल ही में 2 दिन पहले से यहा किसी बंदी को जेल में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. जो बंदी को जेल में लेकर आते हैं उनकी कोरोना नेगेटिव जांच रिर्पोट होने पर ही जेल के अंदर रखा जाता है.