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स्पेशल रिपोर्ट: बजरी बंद होने के बाद निर्माण कार्य ठप, छलका कमठाणा मजदूरों का दर्द, कहा- परिवार पालना हो रहा मुश्किल - bhilwara news

भीलवाड़ा में बजरी बंद होने से निर्माण कार्यों की गति धीमी हो गई है. जिससे दो सालों से मजदूरों को रोजगार मिलने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. वहीं रोजगार नहीं मिलने से मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है.

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Published : Oct 25, 2019, 11:09 PM IST

भीलवाड़ा. शहर में 2 साल से बजरी बंद होने के कारण निर्माण कार्यों की गति धीमी है. ऐसे में कमठाणा मजदूरों को काम मिलने में मुश्किल हो रहा है. जिसके चलते इन मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने लगा है.

भीलवाड़ा में बजरी बंद होने से मजदूरों को नहीं मिल पा रहा रोजगार

बता दें कि वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में पूरे साल पक्के निर्माण कार्य जारी रहते हैं. लेकिन पिछले 2 साल से बजरी बंद होने के कारण निर्माण कार्यों की गति धीमी हो गई है. जिसका असर निर्माण कार्य में काम करने वाले मजदूरों पर भी पड़ा है. इन मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा होने लगा है. दिहाड़ी पर काम करने वाले ये मजदूर हर दिन रोजगार की आस में सुबह 8 बजे चौखटी पर एकत्रित हो जाते हैं. लेकिन, इनमें से कइयों को दोपहर तक इंतजार करने के बाद भी रोजगार नहीं मिलने पर निराश होकर लौटवना पड़ता है.

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ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान इन मजदूरों का दर्द छलक उठा. मजदूरों ने बातचीत के दौरान बताया कि शहर के बडला चौराहा, श्री गेस्ट हाउस चौराहा, शास्त्री नगर चौराहा, आरसी व्यास चौराहा, सांगानेरी गेट सहित आधा दर्जन जगह मजदूरों की चौखठी लगती है, जहां मजदूर अपने और परिवार के पेट को पालने के लिए रोजगार की तलाश में एकत्रित होते हैं. लेकिन रोजगार नहीं मिलने के कारण कई मजदूरों को खाली हाथ घर लौटना पड़ता है.

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शास्त्री नगर स्थित बडला चौराहे पर दोपहर तक इंतजार के बाद भी रोजगार नहीं मिलने पर सीता देवी ने कहा कि हम रोजगार की तलाश में रोज इस चौखट पर एकत्रित होते हैं. लेकिन, दोपहर तक रोजगार नहीं मिलने पर कई बार यहां से निराश होकर घर जाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि कई बार तो दो जून की रोटी भी उपलब्ध नहीं हो पाती है. उन्होंने सरकार से मांग है कि बजरी की शुरुआत की जाए या फिर रोजगार उपलब्ध कराया जाए, जिससे 2 जून की रोटी मिल सके.

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वहीं मजदूर भंवरलाल ने कहा कि बजरी बंद होने से के बाद रोजगार नहीं मिल रहा है. पहले प्रति दिन 300 रुपये मजदूरी मिलती थी. लेकिन वर्तमान दौर में 250 रुपये में भी मजदूरी नहीं मिल रही है. सरकार रोजगार के लिए कुछ कार्य करे तो रोजगार मिल सकता है. उन्होंने कहा कि रोजगार के संकट के चलते अब परिवार के पालन-पोषण का ही संकट खड़ा होने लगा है. इसी प्रकार अन्य मजदूर रामलाल कुमावत ने बताया कि हम प्रतिदिन मजदूरी के लिए आते हैं. कहीं बाहर मजदूरी नहीं मिलने से वापस घर लौटना पड़ता है.

भीलवाड़ा. शहर में 2 साल से बजरी बंद होने के कारण निर्माण कार्यों की गति धीमी है. ऐसे में कमठाणा मजदूरों को काम मिलने में मुश्किल हो रहा है. जिसके चलते इन मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने लगा है.

भीलवाड़ा में बजरी बंद होने से मजदूरों को नहीं मिल पा रहा रोजगार

बता दें कि वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में पूरे साल पक्के निर्माण कार्य जारी रहते हैं. लेकिन पिछले 2 साल से बजरी बंद होने के कारण निर्माण कार्यों की गति धीमी हो गई है. जिसका असर निर्माण कार्य में काम करने वाले मजदूरों पर भी पड़ा है. इन मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा होने लगा है. दिहाड़ी पर काम करने वाले ये मजदूर हर दिन रोजगार की आस में सुबह 8 बजे चौखटी पर एकत्रित हो जाते हैं. लेकिन, इनमें से कइयों को दोपहर तक इंतजार करने के बाद भी रोजगार नहीं मिलने पर निराश होकर लौटवना पड़ता है.

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ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान इन मजदूरों का दर्द छलक उठा. मजदूरों ने बातचीत के दौरान बताया कि शहर के बडला चौराहा, श्री गेस्ट हाउस चौराहा, शास्त्री नगर चौराहा, आरसी व्यास चौराहा, सांगानेरी गेट सहित आधा दर्जन जगह मजदूरों की चौखठी लगती है, जहां मजदूर अपने और परिवार के पेट को पालने के लिए रोजगार की तलाश में एकत्रित होते हैं. लेकिन रोजगार नहीं मिलने के कारण कई मजदूरों को खाली हाथ घर लौटना पड़ता है.

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शास्त्री नगर स्थित बडला चौराहे पर दोपहर तक इंतजार के बाद भी रोजगार नहीं मिलने पर सीता देवी ने कहा कि हम रोजगार की तलाश में रोज इस चौखट पर एकत्रित होते हैं. लेकिन, दोपहर तक रोजगार नहीं मिलने पर कई बार यहां से निराश होकर घर जाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि कई बार तो दो जून की रोटी भी उपलब्ध नहीं हो पाती है. उन्होंने सरकार से मांग है कि बजरी की शुरुआत की जाए या फिर रोजगार उपलब्ध कराया जाए, जिससे 2 जून की रोटी मिल सके.

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वहीं मजदूर भंवरलाल ने कहा कि बजरी बंद होने से के बाद रोजगार नहीं मिल रहा है. पहले प्रति दिन 300 रुपये मजदूरी मिलती थी. लेकिन वर्तमान दौर में 250 रुपये में भी मजदूरी नहीं मिल रही है. सरकार रोजगार के लिए कुछ कार्य करे तो रोजगार मिल सकता है. उन्होंने कहा कि रोजगार के संकट के चलते अब परिवार के पालन-पोषण का ही संकट खड़ा होने लगा है. इसी प्रकार अन्य मजदूर रामलाल कुमावत ने बताया कि हम प्रतिदिन मजदूरी के लिए आते हैं. कहीं बाहर मजदूरी नहीं मिलने से वापस घर लौटना पड़ता है.

Intro:स्पेशल स्टोरी

भीलवाड़ा- भीलवाड़ा शहर में कमठाणा का काम के लिए बजरी बंद होने से रोजगार नहीं मिलने के कारण मजदूरों का ईटीवी भारत पर दर्द छलक पड़ा। मजदूरों ने कहा कि हमारे को चौखठी पर आने के बाद भी 12 बजे तक रोजगार नहीं मिलता है। जिससे हमारे को मायूस होकर हमारे घर वापस लौटना पड़ता है । ओर हमारे को परिवार चलाने में भी काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।


Body:वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में पूरे वर्ष पक्के निर्माण कार्य जारी रहते हैं। लेकिन पिछले लगभग 2 वर्ष से बजरी बंद होने के कारण निर्माण कार्यों की गति धीमी हो गई है । जहां निर्माण कार्य में काम करने वाले मजदूरों को रोजगार नहीं मिलने से उनका ईटीवी भारत पर दर्ज छलक पड़ा । भीलवाड़ा शहर में रोजगार पाने के लिए कई जगह प्रतिदिन प्रात 8 बजे मजदूर एकत्रित होते हैं। जहां से अपने काम के लिए ठेकेदार मजदूरों को रोजगार के लिए ले जाते हैं। लेकिन वर्तमान समय में कई मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा है। कमठाना मजदूरों की चौखट लगने पर ईटीवी भारत ने धरातल पर स्थिति का जायजा लिया। जहां मजदूरों को दिन मे 12 बजे तक रोजगार उपलब्ध नहीं हुआ। जिसका दर्द ईटीवी भारत पर छलक पड़ा । शहर के बडला चौराहा, श्री गेस्ट हाउस चौराहा, शास्त्री नगर चौराया ,आरसी व्यास चौराया, सांगानेरी गेट सहित आधा दर्जन जगह मजदूरों की चौखटी लगती है । जहां से मजदूर अपने पेट को पालने के लिए रोजगार की तलाश में एकत्रित होते हैं । लेकिन रोजगार नहीं मिलने के कारण कहीं मजदूरों को बैरंग घर लौटना पड़ता है ।

शहर के शास्त्री नगर स्थित बडला चौराहे पर 12 बजे तक रोजगार नहीं मिलने पर मजदूर सीता देवी का ईटीवी भारत पर दर्द छलक पडा सीतादेवी ने कहा कि हम रोजगार की तलाश में रोज इस चौखट पर एकत्रित होते हैं। 8 बजे प्रतिदिन यहां आते हैं 12 बजे तक रोजगार नहीं मिला है। हमारे को कई बार यहां से निराश होकर घर जाना पड़ता है। हमारे पास शाम के वक्त की 2 जून की रोटी भी उपलब्ध नहीं हो पाती है। वही घर जाने पर बच्चे- बच्ची भी अपनी आवश्यकताओं के लिए पैसे के लिए कहते हैं हमारी सरकार से मांग है कि बजरी की शुरुआत की जाए या हमारे को रोजगार उपलब्ध कराया जाए जिससे हमारे को 2 जून की रोटी मिल सके ।

बाइट -सीतादेवी ,कमठाणा मजदूर

वही अन्य मजदूर भंवरलाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि बजरी बंद होने से हमारे को रोजगार नहीं मिल रहा है।पहले हमारे को प्रति दिन 300 रूपये मजदूरी मिलती थी लेकिन वर्तमान दौर में 250 रूपये में भी मजदूरी नहीं मिल रही है। सरकार रोजगार के लिए कुछ कार्य करें तो हमारे को भी रोजगार मिल सकता है ।हमारे को परिवार चलाने में भी काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है ।

बाइट- भंवरलाल ,मजदूर

वही अन्य मजदूर रामलाल कुमावत का भी ईटीवी भारत पर दर्द छलक पड़ा उन्होंने कहा कि हम प्रतिदिन या मजदूरी के लिए आते हैं कहीं बाहर मजदूरी नहीं मिलने से हमारे को वापस घर लौटना पड़ता है ।

वाइट -रामलाल कुमावत ,मजदूर

अब देखना यह होगा कि संवेदनशील गहलोत सरकार इन मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में बजरी की शुरुआत करने के लिए प्रभावी तरीके से पैरवी करती है या इनको अन्य विकल्प से रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए कोई पहल करती है जिससे इनको आसानी से रोजगार उपलब्ध हो सके और 2 जून की रोटी भी मिल सके।

सोमदत त्रिपाठी ईटीवी भारत,भीलवाड़ा




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