भीलवाड़ा. शहर में 2 साल से बजरी बंद होने के कारण निर्माण कार्यों की गति धीमी है. ऐसे में कमठाणा मजदूरों को काम मिलने में मुश्किल हो रहा है. जिसके चलते इन मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने लगा है.
बता दें कि वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में पूरे साल पक्के निर्माण कार्य जारी रहते हैं. लेकिन पिछले 2 साल से बजरी बंद होने के कारण निर्माण कार्यों की गति धीमी हो गई है. जिसका असर निर्माण कार्य में काम करने वाले मजदूरों पर भी पड़ा है. इन मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा होने लगा है. दिहाड़ी पर काम करने वाले ये मजदूर हर दिन रोजगार की आस में सुबह 8 बजे चौखटी पर एकत्रित हो जाते हैं. लेकिन, इनमें से कइयों को दोपहर तक इंतजार करने के बाद भी रोजगार नहीं मिलने पर निराश होकर लौटवना पड़ता है.
यह भी पढे़ं. स्पेशल स्टोरी: इस दिवाली नहीं रहेगी गरीबों की झोली खाली, क्योंकि टीम निवाला लाया है 'हैप्पी किट'
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान इन मजदूरों का दर्द छलक उठा. मजदूरों ने बातचीत के दौरान बताया कि शहर के बडला चौराहा, श्री गेस्ट हाउस चौराहा, शास्त्री नगर चौराहा, आरसी व्यास चौराहा, सांगानेरी गेट सहित आधा दर्जन जगह मजदूरों की चौखठी लगती है, जहां मजदूर अपने और परिवार के पेट को पालने के लिए रोजगार की तलाश में एकत्रित होते हैं. लेकिन रोजगार नहीं मिलने के कारण कई मजदूरों को खाली हाथ घर लौटना पड़ता है.
यह भी पढे़ं. राजस्थान से ट्रक लेकर निकले दो चालकों की आतंकियों ने कर दी हत्या, परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल
शास्त्री नगर स्थित बडला चौराहे पर दोपहर तक इंतजार के बाद भी रोजगार नहीं मिलने पर सीता देवी ने कहा कि हम रोजगार की तलाश में रोज इस चौखट पर एकत्रित होते हैं. लेकिन, दोपहर तक रोजगार नहीं मिलने पर कई बार यहां से निराश होकर घर जाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि कई बार तो दो जून की रोटी भी उपलब्ध नहीं हो पाती है. उन्होंने सरकार से मांग है कि बजरी की शुरुआत की जाए या फिर रोजगार उपलब्ध कराया जाए, जिससे 2 जून की रोटी मिल सके.
यह भी पढे़ं. जैसलमेर में भारत-पाक सरहद की तारबंदी में फंसा मिला प्रवासी पक्षी, पैर में लगा था जीपीएस टैग
वहीं मजदूर भंवरलाल ने कहा कि बजरी बंद होने से के बाद रोजगार नहीं मिल रहा है. पहले प्रति दिन 300 रुपये मजदूरी मिलती थी. लेकिन वर्तमान दौर में 250 रुपये में भी मजदूरी नहीं मिल रही है. सरकार रोजगार के लिए कुछ कार्य करे तो रोजगार मिल सकता है. उन्होंने कहा कि रोजगार के संकट के चलते अब परिवार के पालन-पोषण का ही संकट खड़ा होने लगा है. इसी प्रकार अन्य मजदूर रामलाल कुमावत ने बताया कि हम प्रतिदिन मजदूरी के लिए आते हैं. कहीं बाहर मजदूरी नहीं मिलने से वापस घर लौटना पड़ता है.