भीलवाड़ा. विश्वव्यापी कोरोना महामारी के चलते भीलवाड़ा का वस्त्र उद्योग चौपट हो गया था. वहीं, वर्तमान में भीलवाड़ा के कपड़ों की विदेशों में मांग बढ़ने से यहां का वस्त्र उद्योग फिर से पटरी पर लौट आया है. पहले की ही तरह एक बार फिर श्रमिक अपने जीवन-यापन के लिए काम पर लौट चुके हैं. स्थानीय स्तर पर भी भीलवाड़ा के कपड़ों की मांग बढ़ी है.
गौरतलब है कि भीलवाड़ा का वस्त्र उद्योग कोरोना महामारी के चलते 2 महीने तक बंद रहा था, लेकिन अब कोरोना का प्रभाव कम होने से भीलवाड़ा के कपड़ों की मांग विदेशों में बढ़ी है. देश में सबसे ज्यादा कपड़े का उत्पादन भीलवाड़ा की औद्योगिक इकाइयों में होता है. यहां वर्तमान में कपड़े का अच्छा उत्पादन होने के साथ ही स्थानीय स्तर पर भी कपड़े की मांग बढ़ गई है, जिससे कामगारों के साथ ही उद्योगपतियों ने भी राहत की सांस ली है.
ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा के प्रमुख उद्यमी अनिल सोनी के पास पहुंची. उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि कोरोना के कारण पहले वस्त्र उद्योग बंद थे, लेकिन अब ये उद्योग चालू हो गए हैं. 75 प्रतिशत काम चालू है. दीपावली के बाद उत्पादन बढ़ सकता है. भीलवाड़ा की तमाम उद्योग इकाइयों में 75 प्रतिशत उत्पादन शुरू हो गए हैं. यहां डे नियम, कोटन और प्रोसेस सहित अन्य काफी संख्या में इकाइयां हैं. स्थानीय स्तर पर भी ग्राहक बढ़े हैं.
विदेशों में भी यूरोप, दुबई और अफगानिस्तान में सामान जा रहा है. अब उम्मीद ये है कि वो व्यापार बढ़ सकता है. कपड़ा क्षेत्र में पहले 50 प्रतिशत हानि हो रही थी. वहींं, सभी मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा था. वर्तमान में सभी मजदूरों को रोजगार मिल रहा है. हम कोरोना गाइडलाइंस की पालना करते हुए ही उद्योग चला रहे हैं. जहां बिना मास्क और सैनिटाइज किए बिना किसी को औद्योगिक इकाइयों में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है.
भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन संघ के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा वस्त्र उद्योग में 400 विविंग यूनिट भीलवाड़ा जिले में स्थित है. यहां प्रतिमाह उत्पादन क्षमता 9 करोड़ मीटर है जो कि भारत में सबसे ज्यादा है. इस समय कोरोना के बाद 70-80 प्रतिशत उत्पादन हो रहा है. वर्तमान में स्थानीय स्तर के कपड़ों का भी उत्पादन हो रहा है.
यहां का कपड़ा विदेशों में भी जा रहा है. अगर विदेशों में कपड़ा नहीं जाता तो उद्योग फिर से पटरी पर नहीं लौटते. निर्यात के साथ ही लोकल मांग भी बढ़ी है. दीपावली के त्योहार को देखते हुए रिटेल बिक्री ज्यादा बढ़ गई है. शादी-समारोहों में भी मांग बढ़ी है. भीलवाड़ा जिले में विभिन्न क्षेत्र में 40 हजार श्रमिक काम करते हैं और सकल उद्योग क्षेत्र में एक लाख श्रमिक काम करते हैं, सभी को रोजगार मिल रहा है. अगर विदेशों में और मांग बढ़ी तो श्रमिकों की मांग भी बढ़ जाएगी.
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मेवाड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष अनिल मानसिंहगा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि सरकारी आंकड़े के अनुसार भीलवाड़ा में 80 प्रतिशत कपड़ा उत्पादन हो चुका है. अगर अच्छी स्थिति रही तो दीपावली बाद 100 प्रतिशत उत्पादन शुरू हो जाएगा. साथ ही उन्होंने पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि हिंदुस्तान में सबसे अच्छी कपड़ा मंडी भीलवाड़ा में है, लेकिन वित्त मंत्रालय गाइडलाइंस के अनुसार भीलवाड़ा जिले के वस्त्र उद्यमियों को सपोर्ट नहीं करता है, जिससे हमें दिक्कत होती है. अगर बैंक सपोर्ट करने लग जाएं तो उद्यमी और आगे बढ़ सकते हैं.